भाजपा का राजभवन के बाद प्रवर्तन निदेशालय से गुहार, राजीव अरुण एक्का से जुड़े तथ्यों एवं मनीलॉन्ड्रिग के विभिन्न पहलूओं की जांच की मांग
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के पूर्व प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का को लेकर राजभवन का दरवाजा खटखटाने के बाद, भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल, रांची स्थित क्षेत्रीय प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय पहुंचा। क्षेत्रीय प्रवर्तन निदेशालय के माध्यम से प्रवर्तन निदेशालय, भारत सरकार के निदेशक को राजीव अरुण एक्का से संबंधित डाक्यूमेंट्स व विभिन्न अखबारों के कतरन भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने संप्रेषित किये। भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने विभाग से संलग्न वीडियो क्लिप से जुड़े तथ्यों एवं मनीलॉड्रिंग के विभिन्न पहलूओं पर जांच कर कार्रवाई करने की मांग की।
भाजपा प्रतिनिधिमंडल द्वारा संप्रेषित दस्तावेजों के माध्यम से संज्ञान में लाया गया है कि यह वीडियो क्लीप झारखंड की इस सरकार में दलाली एवं बिचौलियागिरी करने वाले एक प्रमुख व्यक्ति विशाल चौधरी के अरगोड़ा के निकट स्थित प्राइवेट कार्यालय का है। जो व्यक्ति इस प्राइवेट कार्यालय में बैठकर सरकारी कागजातों / फाइलों पर दस्तखत करते नजर आ रहा रहे हैं, वे झारखंड के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और राज्य के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन जैसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील विभाग के अलावा और कई विभाग के भी प्रधान सचिव थे।
जो महिला बगल में खड़ी होकर फाईल साईन करवा रही हैं, वे कोई सरकारी कर्मचारी नहीं बल्कि विशाल चौधरी का प्राइवेट इम्पलाई बतायी जा रही है। बगल से जिसकी आवाज सुनाई दे रही है वो विशाल चौधरी की आवाज बतायी गयी है, जो अपने महिला कर्मचारी से किसी से पैसे आने नहीं आने के बारे में पूछ रहा है। महिला कर्मचारी के कहने पर संभवतः विशाल किसी को फोन लगाकर उसी पैसे का तगादा कर रहा है।
कई लोगों ने बताया है कि राजीव अरूण एक्का के प्रभार वाले सारे विभागों की वैसी महत्वपूर्ण, मालदार एवं संवेदनशील फाईलें सचिवालय से निकाल कर सीधे विशाल चौधरी के प्राइवेट कार्यालय में पहुंचा दी जाती थी, जिनमें मोटी रकम वसूली करने का स्कोप होता था । फिर विशाल फोन कर लाभान्वितों से पैसे वसूलता था, तब एक्का साहब विशाल के कार्यालय में जाकर वहीं पैसे वसूले जा चुके संचिकाओं पर हस्ताक्षर करते थे। भाजपाइयों का कहना है कि प्रदेश भाजपा द्वारा मीडिया में यह प्रकरण उजागर करने के बाद राजीव अरुण एक्का द्वारा प्रेस में दिया गया स्पष्टीकरण स्वयं वीडियो क्लीप की सत्यता को सिद्ध करता है।
विषयवस्तु की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि राज्य के मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव जो गृह, कारा जैसे सबसे संवेदनशील विभाग के भी प्रभार में रहे हों का यह गलत कार्य राज्य और देश की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। मुझे आशंका है कि एक्का ने अपने इस गैर कानूनी काम से इस दलाल के मार्फत बड़े पैमाने पर पैसे की वसूली कर मनी लांड्रिंग की है। गृह विभाग सीधे मुख्यमंत्री के अधीन है। ये मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भी थे। ऐसे में मुख्यमंत्री के यहाँ निर्णय के लिये जाने वाली तमाम संचिकाएँ भी इस अधिकारी के माध्यम जाती थी। ऐसी संचिकाएं दलाल के प्राइवेट कार्यालय बिना मुख्यमंत्री की जानकारी के पहुँच रहा हो, ये कैसे संभव है ? निश्चित रूप से विशाल चौधरी के मार्फत वसूली का हिस्सा मुख्यमंत्री जी तक भी पंहुच रहा होगा, जो गहन जाँच का विषय है?
मुख्यमंत्री जी ने पद और गोपनीयता की जो शपथ ली है, उनके तत्कालीन प्रधान सचिव का यह खतरनाक काम उस गोपनीयता शपथ का भी उल्लंघन है। ऐसे में तो गृह विभाग की गोपनीय एवं बेहद संवेदनशील सूचनाएँ भी उग्रवादियों, आतंकवादियों एवं अपराधियों तक दलाल के मार्फत पहुंच रहे होने की संभावना से कैसे इंकार किया जा सकता है? ज्ञात हुआ है कि विशाल चौधरी एवं राजीव अरुण एक्का में गहरे रिश्ते हैं। दोनों ने मिलकर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई करते हुए रांची सहित देश के विभिन्न राज्यों एवं विदेशों में भी कई अवैध सम्पत्तियां अर्जित की है। अतः विशाल चौधरी से इस संबंध में अविलम्ब कड़ाई से पूछताछ होनी चाहिए।
वर्णित स्थिति में मामले की उच्च स्तरीय जाँच अत्यावश्यक है।