असामाजिक, अनैतिक, भ्रष्ट, अपराधी स्वभाव, कारपोरेट जगत व पूंजीपतियों की पहली पसंद हो गई भाजपा
बात 60-70 के दशक की है, जब भाजपा दूसरे नामों से जानी जाती थी, हालांकि लोकसभा व विधानसभाओं में इस पार्टी के इक्के-दूक्के विधायक हुआ करते थे, पर इनके नेताओं की जादूगरी आम जनता के बीच सर-चढ़कर बोला करती थी। जब यह पार्टी 1980-1990 के दशक में भारतीय जनता पार्टी के रुप में उभरी, तब भी यह पार्टी अन्य पार्टियों की तुलना में कुछ अलग दिखती थी।
आम जनता इनके नेताओं को सुनने के लिए एक लंबी दूरी तय करती थी, इनके कार्यकर्ताओं के प्रति भी लोगों में प्रेम उमड़ा करता था, क्योंकि इनके कार्यकर्ता भी अपने पार्टी के नेताओं की तरह सादगी से भरा जीवन व्यतीत किया करते थे, पर जैसे ही पार्टी में चमक-दमक का प्रभाव बढ़ता गया, पार्टी जनता के बीच में अपनी छवि खोती चली गई।
आज स्थिति यह है कि राजनीतिक पंडित हो या गांव के बड़े-बुजुर्ग ये भाजपा को कांग्रेस की बी टीम कहने से नहीं चूकते और जो कल भाजपा की स्थिति थी, वह स्थान धीरे-धीरे वामपंथी पार्टियां लेती जा रही है, और कल आनेवाले समय में वामपंथियों का शासन भारत में आ जाये, तो किसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि बड़ी तेजी से वामपंथ के प्रति लोगों का नजरिया बदलता जा रहा हैं।
भाजपा वाले लाख उनके खिलाफ आग उगल लें, पर लोग वामपंथियों को सुनना चाहते है, एक युवा वर्ग तेजी से उसकी ओर झूकता जा रहा हैं, अगर भाजपा अपनी कार्यशैली में नहीं बदलाव लाई तो उसका वो हाल होगा, कि उसके पार्टी के अंदर ही उसका श्राद्ध करनेवाले लोग नहीं मिलेंगे, क्योंकि आप जनता को बार-बार नही बरगला सकते। कभी बिहार को बरगलाने का इसी तरह का काम लालू प्रसाद ने किया था, आज वे किस स्थिति में हैं, सभी को मालूम होना चाहिए और पूरे देश में कांग्रेस की क्या स्थिति हैं, वह भी सबको समझ में आ जाना चाहिए।
निरन्तर जनता को उल्लू बनाने की प्रवृत्ति तथा जनता को धोखे में रखकर, चुनाव के वक्त लॉलीपॉप दिखाने की प्लान को आप बार-बार नहीं भुना सकते और जब जनता के दिल में यह बात अच्छी तरह घर कर गई कि आप बेहतर नहीं हैं, आप पर भरोसा नहीं किया जा सकता, तो फिर आप किसका नुकसान करेंगे, इसका चिन्तन जितना जल्दी हो सकें, लोगों को कर लेना चाहिए।
आज सत्ता में विद्यमान भाजपा और संघ के लोगों को अच्छी तरह गांठ बांध लेना चाहिए कि लोकतंत्र में सदैव एक की सत्ता नहीं रहती और जिस दिन भी सत्ता की धुरी दूसरी ओर मुड़ी तो फिर आप के साथ क्या होगा? उसका विचार कर लेना चाहिए, क्योंकि लोग महसूस कर रहे हैं, कि उनके साथ बार-बार चीटिंग हो रही हैं, और यह चीटिंग निरन्तर चलती जा रही हैं, लोगों को बताया जा रहा है कि चूंकि विपक्ष में दम नहीं हैं, तो जनता के पास कोई विकल्प नहीं है, वो हार-थककर उन्हें ही सत्ता सौंपेगी, अगर ये मानसिकता कोई पालकर रखा हैं, तो उसे मालूम होना चाहिए कि ऐसे हालत में कभी-कभी जनता के बीच से ही विकल्प देश या राज्य को मिल जाता है।
फिलहाल जो पूरे झारखण्ड में सत्ता का घमंड सर चढ़कर बोल रहा हैं, मुख्यमंत्री और उनका परिवार जमशेदपुर में तहलका मचा रहा है, कनफूंकवों का दल किसी के भी सम्मान से खेल रहा हैं, राज्य के पुलिस पदाधिकारियों को हिदायत दे दी गई है कि राज्य में जितने भी अपराधी प्रवृत्ति के लोग हैं, उन्हें भाजपा से जोड़ने का कार्य करें और जो चारित्रिक गुणों से लैस लोग हैं, उनको झूठे केस में फंसाकर उनका जीवन बर्बाद करना प्रारम्भ किया जाय।
आइएएस अधिकारियों को भाजपा नेताओं की सभा में भीड़ लाने को कहा जा रहा हैं और इसके लिए आइएएस अधिकारी जिन-जिन जगहों पर भाजपा नेताओं का भाषण हो रहा हैं, वहां वे स्कूलों को बंद कराकर उनकी बसों से लोगों को सभा स्थल तक ला रहे हैं, उनके लिए खाने-पीने का प्रबंध भी कर रहे हैं, ये अराजकता का माहौल नहीं तो और क्या है? यहीं नहीं उन्हें हिदायत दी जा रही हैं कि वे समय-समय पर जय-जय मोदी, जय-जय रघुवर करते रहे। हाल ही में 12 सितम्बर को जिस प्रकार से झारखण्ड के आइएएस अधिकारियों ने जो मोदी विद झारखण्ड चलाकर अपनी भाजपा भक्ति दिखाई, उससे इनके देश के प्रति उमड़ते प्रेम व संविधान के प्रति निष्ठा का पता चल जाता है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आजादी के बाद जिन लोगों ने एक दौर कांग्रेस का देखा, आज भाजपा का दौर देख रहे हैं, कांग्रेस के कुछ नेताओं को तो लोग याद भी करते हैं, पर भाजपा के कितने नेता याद आयेंगे वो पता चलेगा, जब वामपंथियों का शासन आयेगा, तब तक के लिए भाजपाइयों के वर्तमान कुशासन और उनके दौर को झेलते रहिये, और नये सबेरे का इन्तजार करिये।