खूंटी, रांची और कोडरमा में महागठबंधन मजबूत, हजारीबाग सीट जीत सकती है भाजपा
पांचवे चरण का चुनाव भी संपन्न हो गया। पांचवे चरण के चुनाव में झारखण्ड में खूंटी, रांची, कोडरमा और हजारीबाग में मतदान होना था, जो शांतिपूर्ण ढंग से गुजर गया, कही से भी कोई अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला। आज के मतदान से यह भी पता चला कि पीएम नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता में कही से कोई कमी नहीं आई है, पर राज्य के सीएम रघुवर दास को लोग देखना पसन्द नहीं करते, जिसके कारण इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने भाजपा से दूरी बनाई और महागठबंधन के प्रति अनुराग दिखाया।
रांची लोकसभा के शहरी क्षेत्रों में भाजपा का दबदबा दिखा, हटिया में भी शहरी क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति ठीक-ठाक रही, वहीं रांची लोकसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस का दबदबा साफ दिखाई पड़ा। यहीं हाल खूंटी का रहा, खूंटी में इस बार पत्थलगड़ी और सीएम रघुवर दास की कार्यप्रणाली से दुखी जनता ने कांग्रेस के प्रति अपना समर्पण दिखाया, हालांकि यहां पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने शुरुआत में कड़ी मेहनत की थी, लगा था कि भाजपा ये सीट निकाल लेगी, पर जनसंगठनों तथा मिशनरीज की गोलबंदी भाजपा पर भारी पड़ गई।
रांची-खूंटी-कोडरमा और हजारीबाग के शहरी मतदाताओं की आज भी पहली पसंद नरेन्द्र मोदी है, तथा राष्ट्रवाद उनके केन्द्र में हैं, पर सीएम रघुवर दास के नाम आते ही ये मतदाता नाक-भौ सिकोरने लगते हैं, इन मतदाताओं का कहना है कि उनलोगों ने न तो सीएम रघुवर दास और न ही अपने प्रत्याशी को देखा है, वे सीधे नरेन्द्र मोदी को सामने रख, मतदान कर रहे हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में जातीय गोलबंदी, सामाजिक गोलबंदी, मुस्लिम-ईसाई-आदिवासी गोलबंदी ज्यादा काम कर गया।
आज मतदान के दिन, इन चारों लोकसभा क्षेत्रों में जनसंगठनों के लोगों ने जितनी सक्रियता दिखाई, उतनी भाजपा के लोगों ने सक्रियता नहीं दिखाई, इनका पिछले पांच-छः दिनों से अचानक सक्रिय हो जाना, सोशल साइट में सक्रिय होना, लोगों के बीच जाकर उनका माइन्ड वॉश करना काम कर गया, जिसका परिणाम हुआ कि कई ग्रामीण इलाकों में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा बम्पर वोटिंग वह भी एकतरफा हो गई।
राजनैतिक पंडित बता रहे है कि झारखण्ड में चार चरणों में मतदान होना है, जिसमें दो चरणों में मतदान संपन्न हो गया, 2014 में भाजपा के पास इन इलाकों की सारी सीटे थी, पर तीन सीटों पर महागठबंधन का मजबूत होना, भाजपा के लिए शुभ लक्षण नहीं हैं, ये अलग बात है कि नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता यहां आज भी मौजूद है, पर सीएम रघुवर दास की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध जनता लगता है कि भाजपा को माफ करने के मूड में नहीं हैं, शायद भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं ने इसे ठीक से नहीं समझा। उन्हें लगा होगा कि नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता यहां काम कर जायेगी, पर ऐसी स्थिति यहां दिख नहीं रही।
आनेवाले बचे हुए लोकसभा सीटों पर भी कमोबेश यहीं स्थिति होगी, क्योंकि गिरिडीह में हेमन्त की इधर दो दिनों में हो रही सभा और उसमें जुट रही भीड़, जमशेदपुर में कई समुदायों द्वारा उन्हें समर्थन की घोषणा, सब कुछ क्लियर कर दे रहा है। उधर कोडरमा में झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी की सीधी टक्कर, भाकपा माले के राजकुमार यादव से हो चुकी है, यहां भाजपा तीसरे नंबर पर दिख रही हैं, यानी भाजपा की ये हालत के लिए कौन जिम्मेवार है, आप समझ सकते हैं, राजनैतिक पंडित कहते है कि अगर परिणाम यहीं रहा तो विधानसभा चुनाव में भाजपा की विदाई तय है, और महागठबंधन का मार्ग प्रशस्त होने से कोई रोक भी नहीं सकता।
उधर हजारीबाग में महागठबंधन यानी कांग्रेस के प्रत्याशी और भाकपा के प्रत्याशी के बीच वोटों के हुए बिखराव का फायदा भाजपा प्रत्याशी जयंत सिन्हा को मिल सकता है, साथ ही कुछ इलाकों में बड़े पैमाने पर हुए वोटों के बहिष्कार का भी फायदा जयन्त सिन्हा को मिलता दिख रहा है, क्योंकि राजनैतिक पंडित बताते है कि जिन-जिन क्षेत्रों में वोटों के बहिष्कार हुए, अगर वहां वोटिंग होता तो भाजपा का ही नुकसान होता, यानी कुल मिलाकर आज हुए चुनाव में तीन सीटों पर महागठबंधन की बल्ले-बल्ले तथा एक सीट पर भाजपा घी के दिये जला सकती है।
बारीक निरीक्षण..तथ्यगत सत्य सटीक राजनीतिक विश्लेषण