राजनीति

राजीव अरुण एक्का मामले में राजभवन पहुंचा भाजपाइयों का प्रतिनिधिमंडल, FIR दर्ज करने व पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग

जैसा की पहले से ही तय था। आज भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल अपने प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में राजभवन पहुंचा और राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन् से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में खुलकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के पूर्व प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का के कृत्यों की बखान की गई है, तथा राजभवन से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए, राज्य सरकार को दिशा-निर्देश देने को कहा गया है। पत्र के साथ एक पेन ड्राइव भी दिया गया है, जिसमें वो वीडियो क्लिप है, जिसमें राजीव अरुण एक्का किस दूसरी जगह फाइल निबटाते दिख रहे हैं। जिस वीडियो को मीडिया को कल भाजपा वालों ने दिखाया/वितरित किया था।

पत्र में बताया गया है कि राज्यपाल पेन ड्राइव में जो वीडियो क्लिप है, उसका वे अवलोकन करें। राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जो मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के अतिरिक्त गृह, कारा, सूचना प्रसारण एवं आपदा प्रबंधन विभाग के भी प्रधान सचिव थे। जिन्हे मीडिया में उपर्युक्त वीडियो क्लिप के उजागर होने के बाद राज्य सरकार ने पंचायती राज विभाग का प्रधान सचिव बनाया है, से संबंधित है।

यह वीडियो क्लिप झारखंड सरकार में दलाली एवं बिचौलियागिरी करने वाला एक प्रमुख व्यक्ति विशाल चौधरी के रांची शहर में अरगोड़ा के निकट स्थित प्राइवेट कार्यालय का है। जहां बैठकर सरकारी कागजातों/फ़ाइलों पर दस्तख़त करते हुए राजीव अरुण एक्का नज़र आ रहा रहे हैं। जो कल 5 मार्च 2023 के पूर्वाह्न तक झारखंड के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और राज्य के गृह, कारा जैसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील विभाग के अतिरिक्त सूचना जनसंपर्क, आपदा प्रबंधन  विभाग के भी प्रधान सचिव थे।

वीडियो में जो महिला बग़ल में खड़ी होकर फ़ाइल साइन करवा रही है। वो कोई सरकारी कर्मचारी नहीं, बल्कि विशाल चौधरी की प्राइवेट कर्मचारी बतायी जा रही है। बग़ल से जिसकी आवाज़ सुनाई दे रही है वो विशाल चौधरी की आवाज़ बतायी गयी ह।, जो अपने महिला कर्मचारी से किसी से पैसे आने-नहीं आने के बारे में पूछ रहा है। महिला कर्मचारी के ना कहने पर संभवतः विशाल किसी को फ़ोन लगाकर उसी पैसे का तगादा कर रहा है।

भाजपा नेताओं का कहना है कि कई लोगों ने बताया है कि राजीव अरूण एक्का के प्रभार वाले सारे विभागों की वैसी महत्वपूर्ण, मालदार एवं संवेदनशील फ़ाइलें सचिवालय से सीधे विशाल चौधरी के प्राइवेट कार्यालय में पंहुचा दी जाती थी जिनमें मोटी रक़म वसूली करने का स्कोप होता था। फिर विशाल फ़ोन कर लाभान्वितों से पैसे वसूलता था, तब एक्का साहब विशाल के निजी कार्यालय में जाकर पैसे वसूले जा चुके संचिकाओं पर हस्ताक्षर करते थे।

विषयवस्तु की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि राज्य के मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव जो गृह, कारा जैसे संवेदनशील विभाग के भी प्रभार में हो, का यह ग़लत कार्य राज्य और देश की सुरक्षा से भी जुड़ा  हुआ है। ऐसे में आशंका है कि एक्का ने अपने इस ग़ैर क़ानूनी काम से इस दलाल के मार्फ़त बड़े पैमाने पर पैसे की वसूली कर मनी लांड्रिंग की है।

चूंकि गृह विभाग सीधे मुख्यमंत्री के अधीन है। ये मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भी थे। ऐसे में मुख्यमंत्री के यहाँ निर्णय के लिये जाने वाली तमाम संचिकाएँ भी इस अधिकारी के माध्यम से कल तक मुख्यमंत्री के पास जाती थी। ऐसी संचिकाएँ दलाल के प्राइवेट कार्यालय बिना मुख्यमंत्री की जानकारी के पहुँच रहा हो, ये कैसे संभव है? निश्चित रूप से विशाल चौधरी के मार्फ़त वसूली का हिस्सा मुख्यमंत्री जी तक भी पंहुच रहा होगा, जो गहन जाँच का विषय है।

मुख्यमंत्री जी ने पद और गोपनीयता की जो शपथ ली है, उनके प्रधान सचिव का यह असंवैधानिक कृत्य उस गोपनीयता की शपथ का भी उल्लंघन है। ऐसे में तो गृह विभाग की गोपनीय एवं बेहद संवेदनशील सूचनाएँ भी उग्रवादियों/आतंकवादियों एवं अपराधियों तक दलाल के मार्फ़त पहुंचने की संभावना से कैसे इंकार किया जा सकता है?

भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से कहा है कि यह आपराधिक दुष्कृत्य  Prevention of corruption Act के धारा 7 से 13तक का Official secret Act के  धारा 3 का और Central civil service  नियम 14 का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है। प्रसंगवश यह उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व ईडी की कार्रवाई के क्रम में एक और दलाल  प्रेम प्रकाश के आवास से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगे जवानों के एके 47 जैसे महत्वपूर्ण हथियार बरामद हुए हैं जिसपर जांच की कार्रवाई चल रही है।

महोदय, यह  प्रकरण राज्य की सत्ता के शीर्ष में व्याप्त सिर्फ भ्रष्टाचार तक ही सीमित नहीं, बल्कि राज्य और देश की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय है जिसकी सीबीआई जैसी निष्पक्ष संस्था से जांच होनी चाहिए। मुख्यमंत्री द्वारा राजीव अरुण एक्का को दूसरे विभाग में स्थानांतरित एवम पदस्थापित करने मात्र से इसका पटाक्षेप नही हो सकता। ये राज्य के महत्वपूर्ण पद पर रह चुके हैं इसलिए ये अपने खिलाफ होने वाले जांच को प्रभावित कर सकते हैं। राजीव अरुण  एक्का और मामले में संलिप्त विशाल चौधरी पर अविलंब एफआईआर दर्ज कर राज्य सरकार द्वारा सीबीआई जांच की अनुशंसा की जानी चाहिए।

राज्यपाल से भाजपाइयों ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी का यह प्रतिनिधिमंडल उनसे अनुरोध करता है कि उपर्युक्त के आलोक में राजीव अरुण एक्का (भाप्रसे) पर मुकदमा दर्ज करते हुए पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने हेतु राज्य सरकार को निर्देशित करने की कृपा की जाए। पत्र में दीपक प्रकाश, बाबूलाल मरांडी, कर्मवीर सिंह, डा. दिनेशानन्द गोस्वामी, रवीन्द्र कुमार राय, समीर उरांव, आदित्य साहू, नवीन जायसवाल, सीपी सिंह एवं समरीलाल के हस्ताक्षर हैं।