राज्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करने में जुटी भाजपा, सरकार और पुलिस
अगर आप झारखण्ड में रहते हैं, तो तीन बात आज ही गांठ बांध लीजिये, आपको हर समय भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में बात करनी होगी, उसके खिलाफ एक शब्द भी बोलना आपको भारी पड़ सकता हैं, उसी प्रकार सरकार के क्रियाकलापों की हरदम प्रशंसा करनी होगी और अंत में झारखण्ड पुलिस के खिलाफ एक शब्द भी न लिखना होगा और न बोलना होगा।
अगर आपने गलती से भी इन तीनों के खिलाफ जुबान खोला या कहीं भी कुछ लिखा तो समझ लीजिये ये तीनों मिलकर आपको ऐसा कानून पढ़ायेंगे कि आपकी जिंदगी कोर्ट के चक्कर लगाते कट जायेगी, चाहे आप कितना भी शरीफ क्यों न रहें, यहीं नहीं अगर आप चाहेंगे कि यहां का अखबार या चैनल आपके लिए सत्य खबरें, जनहित में प्रसारित करें तो ये भी आप भूल जाइये, क्योंकि उन्हें आप से ज्यादा उन्हें सीएम रघुवर की चिन्ता हैं, क्योंकि सीएम रघुवर रहेंगे तो उन्हें मुंहमांगी मुराद मिलेंगी, विज्ञापन मिलेगा, आप जनता से उन्हें क्या मिलेगा?
यह मैं, ऐसे ही नहीं लिख दे रहा हूं, इसके कई प्रमाण हैं, आजकल जो भी व्यक्ति, चाहे वह किभी भी दल या संगठन में क्यों न हो? उसे जानबूझकर कानून और अदालत के चक्कर में भाजपा तथा सरकार के लोगों द्वारा पुलिस की मदद से फंसाकर, उनकी जिंदगी को तबाह किया जा रहा हैं, यहीं नहीं झारखण्ड पुलिस भी संविधान को ताक पर रखकर, सरकार और भाजपाइयों की सहायता से ऐसे लोगों पर शिकंजा कस रहीं हैं, जो लोकतंत्र के हिमायती हैं।
ताजा मामला, खूंटी से हैं। खूंटी सांसद कड़िया मुंडा के घर से जवानों के अपहरण मामले में 20 लोगों के खिलाफ नई प्राथमिकी दर्ज कराई गयी है। जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई हैं, उनमें से एक विनोद कुमार भी हैं। विनोद कुमार पर आरोप है कि वे फेसबुक पर राष्ट्र विरोधी पोस्ट कर रहे, माहौल बिगाड़ रहे हैं।
ये विनोद कुमार लोकनायक जयप्रकाश आंदोलन और छात्र युवा संघर्ष वाहिनी में वर्षों सक्रिय रहे हैं। विभिन्न पुस्तकों जैसे समर शेष हैं, मिशन झारखण्ड, रेड जोन, आदिवासी संघर्षगाथा जैसे कई पुस्तकों के लेखक, तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्वतंत्र रुप से लेखन एवं आदिवासी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा जारी रखनेवाले विनोद कुमार के खिलाफ झारखण्ड सरकार ने प्राथमिकी दर्ज करा दी। यहीं नहीं विनोद कुमार जैसे और भी कई लोग हैं, जिन्होंने आदिवासियों के संघर्ष और उन पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद किया, उन्हें भी इस बार निशाना बनाया गया हैं।
अब सवाल उठता है कि अब पत्रकारों, साहित्यकारों, समाजसेवियों, धर्मानुरागियों के खिलाफ इसलिए प्राथमिकी दर्ज की जायेगी, कि उनकी बात राज्य सरकार को पसन्द नहीं हैं, तो ये तो गलत परम्परा की शुरुआत हो गई और अगर ऐसा है तो वर्तमान शासन, इन्दिरा गांधी के आपातकाल से भी ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि यहां तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले होने शुरु हो गये हैं।
हमारा मानना है कि जो गलत हैं, जो सचमुच में देश की एकता व अखण्डता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उन्हें किसी भी हालत में मत छोडिये, चाहे वो जो भी हो, पर जब आप आप पत्रकार, साहित्यकार और समाजवेसियों को इसलिए आप निशाना बनायेंगे, और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायेंगे कि वे आपकी जय-जयकार नहीं कर रहे, तो ये तो बहुत ही गलत परम्परा की शुरुआत आपने कर दी, क्योंकि कल हो सकता है कि जब आप विपक्ष में रहे और कोई दूसरी सरकार आ गई तो वह आपके साथ यही रवैया अपनायेगी, क्योंकि उसे भी बहुत सारी आपकी बाते अच्छी नहीं लगेगी।
और फिर वह आपको अदालत व कानून के लपेटे में, ऐसी लेगी की आप जिंदगी भर याद रखेंगे, क्योंकि ये तो लोकतंत्र हैं, जनता किसी भी दल को सदा के लिए सरकार में बने रहने का रजिस्ट्री नहीं करती, कभी-कभी पांच साल में तलाक भी दे देती हैं और ये बात सभी दलों, खासकर भाजपा, उसकी सरकार और झारखण्ड पुलिस को बहुत अच्छी तरह समझ लेना चाहिए, हालांकि सरकार के इस रवैये की कई संगठनों ने कड़ी आलोचना की है, जिसका प्रभाव पड़ना तय हैं। हो सकती है, लोग सड़कों पर भी उतरे। कल माले कार्यालय रांची में इसे लेकर एक बैठक भी होनी हैं, देखते हैं लोग क्या निर्णय लेते हैं?