‘बीजेपी हमलोगों को तेल लगायेगा, हमलोग बीजेपी को तेल लगानेवाला नहीं हैं।’
जब पिकनिक का माहौल हो और आपके चाहनेवालों की तादाद जरुरत से ज्यादा हो, तो आपको वहीं बोलना पड़ेगा, जो लोग आपके मुख से सुनना चाहते हैं, आप कोई तुलसीदास तो है नहीं कि आपके मुख से श्रीरामचरितमानस का चौपाई निकलेगा, आप तो विशुद्ध आधुनिक जमात के नेता है, जो अपने तरीके से सब को एक ही लाठी से हांक देता है।
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ऐसे भी आपके बोलने से समाज में या पार्टी में क्या असर पडेगा? इसकी आपको कोई चिंता रहती ही नहीं, क्योंकि आप तो गर्व में फूले रहते हैं कि आपके साथ जनता हैं, पर आपको नहीं पता कि, जनता तो जनता है। हमने आज तक किसी नेता के साथ सदा के लिए जनता को नहीं देखा, जो जनता इंदिरा गांधी जैसी सशक्त महिला नेतृ को 1977 में तथा फील गुड का अनुभव करनेवाले अटल बिहारी वाजपेयी को 2004 में सत्ता से नीचे गिरा सकती हैं, तो आप कहां है? समझते रहिये।
झारखण्ड में एक मंत्री है – रणधीर कुमार सिंह। ये झाविमो की टिकट से सारठ से चुनाव लड़े और झाविमो को देखते ही देखते अलविदा कर दलबदल करते हुए, खुद को भाजपाई कहलाने लगे। दलबदल का फायदा भी मिला। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इन्हें कृषि मंत्री बना दिया। कृषि मंत्री रहते हुए इन्होंने कई रिकार्ड बनाये है। एक बार प्रभात खबर के कार्यक्रम में यहीं महाशय सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज को अपनी बात कहने नहीं दिया था। उस वक्त भी ये सुर्खियों में रहे और कल इन्होंने भाजपा के खिलाफ ऐसी बैटिंग कर दी कि क्या कहने?
इन्होंने कल भरी सभा में कह दिया कि ‘बीजेपी हमलोगों को तेल लगायेगा, हमलोग बीजेपी को तेल लगानेवाला नहीं हैं।’ अब सवाल उठता है कि कौन किसको तेल लगा रहा है या लगायेगा और उसका कितना फायदा उठायेगा, उससे जनता को क्या मतलब? क्या जनता को नहीं मालूम को, वह विधानसभा में किस पार्टी को वोट दी थी, और किसे, किस पार्टी से जिताया था, और वह व्यक्ति कैसे उक्त पार्टी को छोड़कर, भाजपा में जा मिला तथा मंत्री बन कर खुद को भगवा कलर में डूबो दिया?
आप कितना भी कहिये कि हम भाजपा को तेल नहीं लगायेंगे, भाजपा हमलोगों को तेल लगायेंगी, ये बात पचनेवाली नहीं हैं, सभी जान रहे है कि कौन किसको तेल लगा रहा हैं और कितना उसका फायदा उठा रहा हैं? शत् प्रतिशत सच्चाई है कि राज्य का मुख्यमंत्री किसी मंत्री की नहीं सुनता और न अपने विधायकों की सुनता है। वह सिर्फ अपने आस-पास रहनेवाले नौकरशाहों की सुनता है और उसी की हां में हां मिलाकर चल देता है, क्योंकि वो जानता है कि केन्द्र की मोदी सरकार उस पर मेहरबान है, और जब केन्द्र ही मेहरबान है तो फिर संघ हो या ऐसे मंत्री या विधायक जो उनसे नाराज चल रहे हैं, उसका क्या बिगाड़ लेंगे?
इसलिए 2019 तक उसके दवारा की जा रही मनमानी को कोई रोक नही सकता और न ही बोल सकता है, अगर बोलेगा तो फिर वह समझ लें कि उसकी क्या स्थिति होगी? कांग्रेस के विधायक योगेन्द्र साव के हालात तो मालूम ही है? हां मजा तो आयेगा 2019 के लोकसभा-विधानसभा चुनाव में, जब मोदी भाषण देने आयेंगे और उनकी सभा में गिने-चुने लोग भाषण सुनने पहुंचेंगे, तब सभी को पता चलेगा कि तेल लगाना/लगवाना क्या होता है? अभी तो जनता झेल रही हैं और उस समय वे सारे नेता झेंलेंगे, जिन्होंने पांच वर्षों तक राज्य की जनता को उल्लू बनाया।
अच्छा है..जनता भी मजा लेगी तेल के खेल का..
..तेल अऊर तेल का धार..