अपनी बात

BJP को BJP से ही खतरा, BJP के IT CELL को ताबरतोड़ जवाब दे रहे सरकार से नाराज युवा

6 नवम्बर को झारखण्ड विधानसभा के प्रथम चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी हो जायेगी, पर भाजपा किसे कहां से उम्मीदवार बनायेगी, निर्णय नहीं ले पा रही। उसके हाथ-पांव फूले हुए हैं, क्योंकि उसे मालूम है कि टिकट तो एक को ही मिलेंगे, पर उसके बाद नाराजगी का जो गुब्बारा फूटेगा, उसे संभाल पाना किसी के बूते की बात नहीं।

राजनीतिक पंडित बताते है कि भाजपा ने इतने ही बाहर से अपने यहां कूड़े-कर्कट बटोर लिये हैं, कि ऐसा होना ही था, विपक्ष के लिए खुशी की बात है कि उनके यहां टिकटों के लिए मारा-मारी या सिरफुटौव्वल नहीं हैं, वहां सिरफुटौव्वल इस बात को लेकर है कि कौन पार्टी, कितने सीटों पर लड़ेंगी, जो आम तौर पर होता हैं।

ऐसे तो भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू भी कमर कस चुकी हैं और इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना ली है, अगर ऐसा होता है तो आजसू ही भाजपा के लिए बड़ा सिरदर्द साबित होने जा रही हैं, जिससे कोई इनकार भी नहीं कर रहा, लोहरदगा सीट तो उसका सबसे बड़ा प्रमाण हैं, हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आये सुखदेव भगत, फिलहाल यहां से नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन आजसू इस सीट को किसी भी हालत में भाजपा को नहीं देगी, यह भी ध्रुव सत्य है।

इधर भाजपा में ही कांग्रेस और राजद से गये, ऐसे लोगों की संख्या भरमार हैं, जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए कमर कसे हैं, वहीं भाजपा में पहले से रह रहे भाजपा के कार्यकर्ताओं व नेताओं का कहना है कि वे क्या सिर्फ भाजपा का झंडा ढोने और बाहरी लोगों का सामान ढोने के लिए राजनीति में आये हैं क्या? अगर भाजपा ने भाजपा के समर्पित लोगों को टिकट नहीं दिया तो फिर इस बार भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं के गुस्से को झेलने के लिए तैयार रहे।

आश्चर्य तो यह है कि जिन 13 सीटों पर प्रथम चरण में चुनाव होने हैं, वहां भाजपा में बाहरी उम्मीदवारों की संख्या इतनी है कि उन बाहरी उम्मीदवारों में से किसे भाजपा का टिकट मिलेगा, कहना मुश्किल हैं, और फिलहाल ये सब रांची-दिल्ली की ओर टकटकी लगाये हुए हैं। भाजपा के दिल्ली मुख्यालय और रांची मुख्यालय में बैठे नेता समझ रहे है कि इन्हें संभाल पाना मुश्किल हैं, और जैसे ही भाजपा में टिकट बंटवारा होगा, जिन्हें टिकट नहीं मिला हैं, वे भाजपा से भाग कर, अन्य दलों की और टिकट के लिए दौड़ लगायेंगे।

शायद इसीलिए झारखण्ड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं, क्योंकि वे झारखण्ड की राजनीति को अच्छी तरह जानते हैं, लेकिन उनकी पार्टी को इसका फायदा मिलेगा, इस पर प्रश्च चिह्न हैं, क्योंकि अगर कांग्रेस, झामुमो, राजद और वामदल में मजबूत गठबंधन हो गया तो जितना भाजपा का सफाया सुनिश्चित हैं, उतना ही झाविमो की जीत को भी खतरा होगा, इसलिए भाजपा से नाराज होकर भागनेवाले चाहेंगे कि वे महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार बनें, पर हमें लगता है कि महागठबंधन ने ऐसे लोगों के लिए अपना दरवाजा अभी से बंद कर रखा हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि दलबदलूओं को लेकर झारखण्ड की जनता में कुछ ज्यादा ही नाराजगी है।

सूत्र बता रहे हैं, कि भाजपा कार्यकर्ताओं की सबसे बड़ी नाराजगी के कारण स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास हैं, क्योंकि उन्होंने इस प्रकार की बयानबाजी एक वर्ग के खिलाफ की हैं, कि वो वर्ग अपना अपमान अभी तक नहीं भूला हैं, और सबक सिखाने के लिए तैयार बैठा हैं, कार्यकर्ता बताते हैं कि दूसरे दलों के कूड़ा-कर्कटों को अपने दलों में मिला लेने से जो भाजपा समर्पित कार्यकर्ताओं में इतनी नाराजगी हैं कि उन्हें संभाल पाना मुश्किल हो रहा हैं, उनका कहना है कि जिंदगी भर जिनसे वे लड़ते रहे और आज उन्हें हमारे माथे पर कोई बिठाने का काम करेगा, तो वे बर्दाश्त कैसे करेंगे, क्या भाजपा का कार्यकर्ता भाजपा का बंधुआ मजदूर है।

इधर सीएम रघुवर दास का पेज, तथा भाजपा का प्रचार-प्रसार का कमान संभाल रहे, भाजपा के आइटी सेल को रघुवर सरकार से नाराज झारखण्ड के युवाओं ने धूआं छुड़ा दिया हैं। भाजपा आइटी सेल के लोग सरकार और सीएम रघुवर के चेहरे को चमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे तथा उनके लोग “अबकी बार 65 पार” का नारा लगा रहे हैं और इधर जैसे ही सीएम रघुवर दास के फेसबुक पेज पर कोई नया चेहरा चमकानेवालो पोस्ट डाला जाता हैं।

रघुवर सरकार से नाराज युवा, सरकार पर ऐसे-ऐसे गंभीर आरोप लगाते है कि उनके जवाब देने की स्थिति में भाजपा का आइटी सेल नहीं रहता, और भाजपा के आइटी सेल के लिए काम करनेवाले लोग, जो उन्हें सिखाया गया हैं, बस वे ही चीज पोस्ट करते रहते हैं, जैसे जय भाजपा, विजय भाजपा, अबकी बार रघुवर सरकार, लेकिन नाराज युवाओं का जो तर्क हैं, उसका जवाब किसी के पास नहीं रहता, जो बताता है कि इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं।

विद्रोही24.कॉम से बात करने के क्रम में कई भाजपा कार्यकर्ता नाम नहीं छापने के शर्त पर बताते है कि अगर भाजपा को कोई फिलहाल प्राणदान दे सकता हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, रघुवर दास तो लेकर डूब ही जायेंगे, वे कहते है कि जिस दिन भारत निर्वाचन आयोग ने झारखण्ड विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी की, उसी दिन से जो झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से जो रौनक गायब हुआ हैं, और लोगों में जो परिवर्तन आया हैं, वो भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं के दिल के धड़कन बढ़ा दिये हैं, क्योंकि इस बार महागठबंधन ने लगता है कि उपचुनाव की तरह नतीजे देने के लिए कमरकस लिया हैं, अगर ऐसा होता हैं तो भाजपा कही 25 के नीचे ही आकर दम न तोड़ दें।