भाजपाइयों को CM रघुवर के भाषण में दिलचस्पी नहीं, भाषण शुरु होते ही सभास्थल छोड़ जा रहे हैं लोग
भाजपा के लोगों के लिए ये सदमे से कम नहीं हैं, उनके नेता व राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास के भाषण को सुनने में न तो जनता को और न ही भाजपा कार्यकर्ताओं को दिलचस्पी है, आश्चर्य की बात है कि जमशेदपुर जो रघुवर दास का ही इलाका है, वहां अर्जुन मुंडा और सरयू राय के भाषण को तो लोग सुनना चाहते हैं, पर रघुवर दास को सुनना नहीं चाहते।
उसका प्रमाण है, कल जमशेदपुर में आयोजित भाजपा का वह कार्यक्रम जिसमें सरयू राय ने सीएम रघुवर दास से दूरियां बनाई और वे उस वक्त वहां से निकल पड़ें, जब उन्हें पता चला कि मुख्यमंत्री रघुवर दास उक्त कार्यक्रम में थोड़ी देर में पहुंचनेवाले हैं, और लीजिये इधर सीएम रघुवर का भाषण शुरु और लोगों का वहां से बिदककर निकलना शुरु।
यही हाल रांची का भी है, आज हरमू मैदान में आयोजित भाजपा के इस कार्यक्रम में अर्जुन मुंडा के भाषण पर तो भाजपा कार्यकर्ता लट्टू हो गये, खूब तालियां बजाई पर सीएम रघुवर की बारी आई तो न तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई पड़ी और न ही कार्यकर्ताओं की गर्मजोशियां दिखाई पड़ी, आखिर इतना जल्दी स्वयं को बेहतरीन मुख्यमंत्री कहलवानेवालों का उनके कार्यकर्ताओं के बीच ऐसा हाल क्यों हो गया?
ये भाजपाइयों के लिए चिन्ता की बात हो गई है। अगर इसी प्रकार चलता रहा तो आनेवाले लोकसभा–विधानसभा चुनाव के समय में जब मुख्यमंत्री रघुवर दास जनसभा को संबोधित करने निकलेंगे तो उन्हें सुनने के लिए आठ–दस आदमी भी मौजूद नहीं होंगे, क्योंकि जब राज्य के मुख्यमंत्री है, तब ये हाल है, जब चुनाव प्रारम्भ होगा, और चुनाव आयोग के इशारे पर जब सारी गतिविधियां प्रारम्भ होगी तो ये मजा भी नहीं मिल पायेगा।
जमेशदपुर के कल की सभा के बारे में चर्चा है कि जैसे ही सीएम रघुवर का भाषण प्रारम्भ हुआ, लोग निकलने लगे। जैसे ही लोग बाहर निकलने लगे, तो बाहर निकलने के गेट को बंद कर दिया गया ताकि लोग निकल नहीं सके, जबकि उसके पहले कई लोग बाहर निकल चुके थे, कुर्सियां खाली नजर आने लगी थी।
जमशेदपुर से प्रकाशित कई अखबारों ने तो इस घटना को प्रमुखता से छापा है कि भाजपाइयों ने दावा किया था कि इस कार्यक्रम में बारह हजार कार्यकर्ता जुटेंगे, पर कुर्सियां 4500 लगाई गई, जिनमें से आधे से अधिक कुर्सियां खाली रह गई, और बाकी जो बचा तो सीएम रघुवर के भाषण शुरु होते ही, खाली होने लगी, ये सारी चीजें सीएम रघुवर की घटती लोकप्रियता की कहानी कह रही है।
यहीं हाल रांची का रहा, जहां आगे की कुर्सियां तो भरी रही, पर पीछे की कुर्सियां ये बताने के लिए काफी थी कि यहां के सीएम रघुवर कितने लोकप्रिय हैं और उनके भाषण को सुनने के लिए लोगों व भाजपा कार्यकर्ताओं में कितनी दिलचस्पी है, अगर ये ही हाल रहा तो स्पष्ट है कि झारखण्ड में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का खेल खत्म है, और महागठबंधन लोकसभा की फसल काटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
अगर सब कुछ इसी तरह चलता रहा तो फिर भाजपा वाले अपना बोरिया–बिस्तर बांधकर यहां से विदा होने के लिए तैयार रहे। कहने को तो भाजपा के मूर्धन्य व रघुवर दास के समर्थक ये भी कहेंगे कि ये तो छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमण सिंह की सभा थी, पर भाजपा कार्यकर्ता व यहां की जनता जान चुकी है कि इस प्रकार की सभा में भीड़ जुटने से अंततः वाहवाही कौन लूट जाता है, इधर भाजपा कार्यकर्ताओं ने विद्रोही 24.कॉम को बताया कि वे आज भी रघुवर दास को अपना नेता नहीं मानते, उनके लिए अर्जुन मुंडा, रघुवर दास से लाख बेहतर हैं, जो कार्यकर्ताओं को सम्मान देते हैं, उनके सुख-दुख में हमेशा साथ रहते हैं।