दीपक, बाबूलाल, धर्मपाल आदि भाजपाइयों को कुणाल षाड़ंगी, संजय सेठ, सूर्य प्रभात से कुछ सीखना चाहिए
राज्य सरकार और सिस्टम को दोष देनेवाले भाजपा के राज्यस्तरीय शीर्षस्थ नेताओं, आपको किसी दूसरे दल के नेताओं से कुछ सीखने की जरुरत नहीं हैं, आप ही के पार्टी के अंदर कई ऐसे-ऐसे नेता व छोटे कार्यकर्ता मौजूद है, जो इस कोरोना महामारी के वक्त मानवता की सेवा के लिए सबसे आगे निकल पड़े हैं, जिनकी प्रशंसा इन दिनों सर्वत्र हो रही हैं।
आप लोग अभी भी राजनीति ही कर रहे हैं, उस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की तरह, जो कोई ऐसा मौका नहीं छोड़ता कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नीचा दिखाया जाये, जैसा कि उसने आज ही किया और फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से माफी भी मांगा। हमें आश्चर्य होता है कि पूरे देश में कोरोना रुपी महामारी की आग लगी हुई है, और उस आग को बुझाने में कई लोग बिना किसी स्वार्थ के लगे हुए हैं, उसमें राजनीतिक दलों व अन्य सामाजिक संगठनों के लोग भी शामिल है।
पर दुर्भाग्य यह भी है कि इन्हीं राजनीतिक दलों में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो कोई काम तो नहीं कर रहे, बस प्रदेश कार्यालय में बैठ प्रेस कांफ्रेस आयोजित कर सरकार व सिस्टम को दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इस सिस्टम को बनाने में सर्वाधिक समय आप ही की पार्टी ने व्यतीत किया है, इसलिए इस सिस्टम को तो झेलना, यहां की जनता को हैं ही।
आप ही बताइये न, आप ने अपनी ही पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा का सुध लिया? कि वे किस स्थिति में हैं? अरे वे तो कोविड 19 के मरीज बनकर आज भी टाटा मोटर्स अस्पताल में पड़े हुए हैं, लेकिन सुध कौन ले रहा है, तो झामुमो से हाल ही में भाजपा ज्वाइन किये कुणाल षाड़ंगी यानी आपके भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता। जैसे ही उन्हें पता चला कि लक्ष्मण गिलुवा को रेमिडेसिवर दवा चाहिए, कुणाल षाड़ंगी ने बन्ना गुप्ता व पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को टिव्ट किया और देखते ही देखते लक्ष्मण गिलुवा को रेमिडेसिविर मिल गई, जिसे देखते हुए चाईबासा के नेता संजय अखाड़ा ने भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी को विडियो बनाकर धन्यवाद दिया।
जैसे ही संजय अखाड़ा ने विडियो जारी की और प्रशासन हरकत में आया, रघुवर दास के लोगों को लगा कि कही भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी न इसका श्रेय ले जाये, रघुवर भक्तों ने भी विडियो जारी कर दिया कि इस प्रकरण पर रघुवर दास ने ज्यादा जोर लगाया, जबकि सच्चाई जमशेदपुर के लोगों को पता है। यही कुणाल षाड़ंगी को जब पता लगा कि एक पत्रकार कोविड 19 से पस्त है, उसे बेड नहीं मिल रहा, बेचारा कुणाल षाड़ंगी उसे बेड ही नहीं, बल्कि सब कुछ का इंतजाम करा दिया, यहां तक कि प्लाजमा भी। ये कुणाल षाड़ंगी केवल जमशेदपुर ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य व देश के कई हिस्सों में भी लोगों की मदद करने के लिए आगे आये हैं, आप क्या कर रहे हैं?
रांची में ही भाजपा सांसद संजय सेठ हैं, इनको जैसे ही पता चला कि लोगों को भोजन का संकट होनेवाला है, वे भोजन के पैकेट लेकर चल पड़े, यहीं नहीं, इनकी प्रशंसा ऐसी-ऐसी महिलाएं-पुरुष कर रही हैं, जिन्हें संजय सेठ जानते तक नहीं। सवाल दीपक प्रकाश, बाबू लाल मरांडी, धर्मपाल सिंह, रघुवर दास आदि भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं से कि आप कर क्या रहे हैं, आपने अब तक कितनों को मदद की है, ईमानदारीपूर्वक बताइयेगा?
अरे आप लोगों से अच्छा तो वो भाजपा का छोटा सा कार्यकर्ता सूर्य प्रभात है, जो मात्र 100 रुपये में बहुत लोगों के घर ऑक्सीजन सिलिण्डर तक पहुंचा दिया। कहने का अर्थ हैं, ये समय बकने का नहीं है, ये समय किसी में दोष ढूंढने का नहीं हैं, ये समय उनलोगों की सेवा करने का है, जो जीवन और मौत से जूझ रहे हैं। ऐसा नहीं कि आप निकल पड़ेंगे तो वे बच ही जायेंगे, लेकिन इतना तो लोगों को लगेगा कि आपने उनके लिए कुछ किया, यही क्या कम है। लक्ष्मण गिलुवा प्रकरण ने तो आप सब को नंगा कर दिया हैं, लक्ष्मण गिलुवा जब ठीक होंगे तो ठीक होने के बाद, उनको यह जरुर ज्ञान हो जायेगा कि भाजपा में कौन काम का आदमी हैं और कौन बेकार हैं, जिसे सिर्फ बकना आता है, करना नहीं आता।