अपनी बात

धनबाद में BJP नेताओं ने ‘घर-घर रघुवर’ अभियान की हवा निकाली, ‘रघुवर’ से ज्यादा यहां ‘अर्जुन’ मजबूत

धनबाद स्थित भाजपा कार्यालय में भारी संख्या में घरघर रघुवर अभियान से जुड़ी प्रचार सामग्रियां बड़ी संख्या में कचरे के ढेर में परिवर्तित हो रही हैं, कोई भाजपा नेता कार्यकर्ता इसमें रुचि नहीं ले रहा। धनबाद की छः विधानसभा सीटों में किसी इलाके के भाजपा नेता ने घरघर रघुवर अभियान में अब तक रुचि नहीं दिखाई है, ऐसे भी यहां के लोग घरघर कमल पर ज्यादा विश्वास रख रहे हैं।

लोग कहते हैं कि धनबाद में अर्जुन मुंडा सरयू राय जैसे नेताओं की हमेशा से धमक रही हैं, रघुवर दास यहां आया राम गया राम से अधिक कुछ भी नहीं। पूरा इलाका आज भी अर्जुन मुंडा को अपना नेता मानता है, जबकि रघुवर दास से आज भी बहुत सारे चिढ़े हुए हैं, लेकिन कोई मुख पर नहीं बोलता।

एक भाजपा कार्यकर्ता ने विद्रोही24.कॉम को बताया कि घरघर रघुवर अभियान के लिए आये पम्पलेट तख्तियां का इस तरह पड़े रहना, इस बात का पक्का सबूत है कि यहां रघुवर दास का क्या इमेज है? वह भाजपा कार्यकर्ता बतलाता है कि चूंकि अर्जुन मुंडा का व्यवहार और अपने कार्यकर्ताओं के प्रति उनका प्रेम, उन्हें औरों से अलग करता है, जबकि रघुवर दास जैसे नेता हर पल कार्यकर्ताओं को देख झूंझलाना और चुनाव आने पर सटाने का काम करते हैं। 

ऐसे में उनका पम्पलेट और तख्तियां लेकर कौन घुमेगा, क्यों प्रचार करेगा, और ऐसे भी वे भाजपा के कार्यकर्ता है कि रघुवर दास के। रघुवर दास आज हैं, आनेवाले समय में फिर किसी पार्टी में चले जायेंगे, कौन जानता, पर भाजपा आज भी हैं, और कल भी रहेगी, इसलिए भी भाजपा में घरघर रघुवर अभियान फेल और घरघर कमल अभियान चालू।

वह भाजपा कार्यकर्ता बताता है कि भाई सरयू राय की बात हमलोग कैसे उठा दें, उनका कहना है कि घरघर कमल ही पार्टी के लिए ठीक है, इसलिए ठीक हैं तो ठीक है, पर घरघर रघुवर एकदमे ठीक नहीं हैं, तभी तो राजधानी रांची से आया घर-घर रघुवर की तख्तियां व पम्पलेट अपनी बर्बादी पर आंसू बहा रहा हैं।

भाजपा कार्यकर्ता यह भी कहते हैं कि धनबाद लोकसभा के सभी छः विधानसभा सीटों पर पार्टी कोई भी उम्मीदवार खड़ा करें, भाजपा के कार्यकर्ता ईमानदारी से उसे जीतायेंगे, लेकिन रघुवर दास के लिए कोई काम नहीं करेंगे, घरघर रघुवर अभियान से दूर रहेंगे और घरघर कमल लेकर चलेंगे। घरघर कमल से किसी को चिढ़ भी नहीं हैं, क्योंकि पार्टी को व्यक्तिवादी नहीं, बल्कि कमलमय बनाना है।