BJP MLA वहीं जो कानून अपने हाथ में लें, AGM को पीटे, और पुलिस ऐसे महापुरुष को बचाने में लग जाये
लीजिये, ऐसे तो भाजपा विधायक और मंत्रियों के किस्से कई हैं, चलते रहते हैं, लोग इनकी किस्सों को सुनते हैं और यह भी जानते है कि चूंकि ये सत्तापक्ष से जुड़े हैं, इसलिए ये कुछ भी अतःतः कर लें, इनके खिलाफ कुछ नहीं होगा, क्योंकि सत्ता का एक अलग अपना ही चरित्र होता है, ऐसे एक समय ऐसा भी था कि लोग भाजपा के नेताओं की सादगी व चरित्र की दुहाई दिया करते थे, पर अब माहौल बिल्कुल बदल चुका है, अब भाजपा नेता शानो–शौकत में जीने की आदि हो चुके हैं, अधिकारी तो दूर, अब तो ये जनता के मान–मर्दन करने में भी नहीं चूकते।
ऐसे भाजपा के कई विधायक हैं, पर कल बोकारो के भाजपा विधायक विरंची नारायण, जो पहले भी विवादों में रहे हैं, जनता इनके खिलाफ इनके सामने ही इनके करतूतों पर सवालिया निशान उठाती रहती है, जिसको लेकर जनता और इनके बीच कई जगहों पर तू–तू, में–में भी हो चुकी है, पर शायद इनको कोई फर्क नहीं पड़ रहा। ताजा मामला बोकारो इस्पात लिमिटेड से जुड़ा है, जहां बीएसएल के नगर सेवा विभाग के एजीएम अजीत कुमार के साथ इन्होंने कैंप टू स्थित तालाब के निकट मारपीट कर दी। मारपीट में घायल अजीत कुमार को स्थानीय अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
लोग बताते है कि चूंकि अजीत कुमार को जैसे ही पता चला कि कुछ लोग जमीन का अतिक्रमण करने गये है, वे वहां पहुंचे तथा वहां चल रहे काम को रोकने को कहा, फिर क्या था बोकारो के विधायक और उनके समर्थकों ने उनके साथ गाली–गलौज करते हुए मारपीट कर दी। बोकारो के विधायक का कहना था कि चूंकि वहां विधायक निधि से तालाब का जीर्णोद्धार होना था, एजीएम का कहना था कि बीएसएल प्रबंधन से इसका एनओसी नहीं लिया गया है, इसलिए यह काम नहीं हो सकता, जबकि बोकारो के विधायक विरंची नारायण काम कराने को अड़े थे, एजीएम अजीत कुमार का कहना था कि बिना एनओसी लिए, बीएसएल को विश्वास में लिये इस क्षेत्र में कोई कार्य नहीं हो सकता, और लीजिये यही मारपीट का मुद्दा बन गया। इधर लोग कहते है कि इस मामले में पुलिस कानूनी प्रक्रिया में जुट गई है।
इधर एजीएम अजीत कुमार ने बोकारो विधायक और उनके समर्थकों पर मारपीट करने का आरोप लगाते हुए स्थानीय पुलिस थाने में आवेदन दे दिया है, बोकारो विधायक विरंची नारायण की ओर से उनके ठेकेदार ने आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर दी है, यानी दोनों ओर से प्राथमिकी के लिए आवेदन दे दी गई है, अब इस आवेदन पर आगे क्या होगा? स्थानीय जनता को पता है।
इधर इस घटना को लेकर स्थानीय बोकारो इस्पात संयंत्र के अधिकारियों में स्पष्ट रुप से आक्रोश दिखा जा रहा है, इन अधिकारियों ने कल इस घटना के विरोध में न्याय मार्च भी निकाला, बीएसएल के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार की घटना को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, इसकी जितनी निन्दा की जाय कम है, कानून को अपने हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है, कानून का सम्मान करना सभी सीखें।
सैयां भये कोतवाल..डर काहे का..।।