राजनीति

भाजपाइयों को हेमन्त सोरेन से चिढ़ हैं, हेमन्त का नाम सुनते ही असम के मुख्यमंत्री हेमन्ता की हिम्मत खत्म हो जाती है और बाबूलाल उछलकर पेड़ पर चढ़ टिव्ट करने लग जाते हैः सुप्रियो

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं और प्रदेश स्तरीय नेताओं को सिर्फ और सिर्फ हेमन्त सोरेन से चिढ़ है, हेमन्त का नाम सुनते ही असम के मुख्यमंत्री हेमन्ता विस्व शर्मा का हिम्मत खत्म हो जाता है, जबकि बाबूलाल मरांडी उछलकर पेड़ पर चढ़ जाते हैं और वहीं से ट्विट करने लगते है, जबकि सच्चाई यह है कि बाबूलाल मरांडी को अभी तक भाजपा ने मुख्यमंत्री का उम्मीदवार भी घोषित नहीं किया है। पता नहीं मोदी जी ही यहां अतिरिक्त प्रभार संभालने का मन बना रखे हैं, समझ नहीं आ रहा।

सुप्रियो ने कहा कि राज्य में चुनाव के पूर्व राज्य के माहौल में जहर की बू आ रही है। जिस प्रकार से भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं और प्रदेशस्तरीय नेताओं के बयान आ रहे हैं, वे चिन्ताजनक है। सुप्रियो ने राज्य की जनता और भाजपा के लोगों से अपील की कि हमसभी को यहां मिलकर रहना है। बाहर के लोग आयेंगे, आग लगाकर चले जायेंगे, लेकिन उस आग में सारे झारखण्डी झूलस जायेंगे, इसलिए झारखण्ड को बचाने का प्रयास करें और उनकी बातों में न आएं जो इस प्रकार की हरकत कर रहे हैं।

सुप्रियो ने कहा कि भाजपा के जो भी नेता यहां आ रहे हैं, वे सभी आधारहीन व मुद्दाविहीन बातें कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कहते हैं कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास लेकिन उनके नेता कहते हैं कि सबका साथ और केवल मेरा विकास। सच्चाई यही है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हाल ही में जो संपन्न हुए, उसमें सिर्फ राजस्थान विधानसभा में एक सीट पर अल्पसंख्यक प्रत्याशी को भाजपा ने उतारा, बाकी किसी सीट पर उसने अल्पसंख्यक प्रत्याशी नहीं उतारें।

सुप्रियो ने कहा कि ये बार-बार झारखण्ड की मदरसों की बातें करते हैं, लेकिन उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश व गुजरात में चल रहे मदरसों की बात नहीं करते। सर्वाधिक घुसपैठ त्रिपुरा में होती है, जहां ये आठ साल से शासन कर रहे हैं। सर्वाधिक घुसपैठ सीमाओं से हो रही है, वो भी उनके शासनकाल में जो केन्द्र में दस सालों से शासन में हैं। लेकिन इनको चिन्ता झारखण्ड की है। आखिर झारखण्ड के मदरसों से इन्हें क्या दिक्कत है? ये तो भारत सरकार, राज्य सरकार व शिक्षा विभाग के संयुक्त कार्यक्रम के तहत चल रहे हैं। क्या यहां के मदरसों में देश विरोधी कार्यक्रम चल रहे हैं? आखिर बेवजह के इन मुद्दों को उठाने का क्या मतलब?

सुप्रियो ने कहा कि जो असम के मुख्यमंत्री आदिवासियों की बात करते हैं, जरा वे खुद बताये कि उनके यहां जो झारखण्ड, छत्तीसगढ और ओडिशा के आदिवासी चाय बागानों में काम करते हैं, उन्हें वे टी ट्राइब कहना कब बंद करेंगे और उन्हें अनुसूचित जन जाति का दर्जा, सही मायनों में आदिवासी का दर्जा कब देंगे? क्या ये सही नहीं कि चाय बागानों में काम करनेवाले ये आदिवासी संताली, कुडुख, हो, सादरी, मुंडारी आदि भाषाएं बोलते हैं।

सुप्रियो ने कहा कि हेमन्ता बताएं कि लोकसभा के नींव रखने के समय दलित राष्ट्रपति को और लोकसभा के उद्घाटन के समय आदिवासी राष्ट्रपति को क्यों नहीं आमंत्रित किया गया? आखिर ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास के बेटे के कारनामे पर इनकी चुप्पी क्यों है? जिस राज्यपाल के बेटे ने एक अधिकारी की लात जूते से पिटाई कर दी, वो भी सिर्फ इसलिए कि उसने उसके लिए एक लग्जरी कार का प्रबंध नहीं किया।

सुप्रियो ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री अपना शारदा व पानी घोटाला भूल गये। अरे भाजपा तो भ्रष्टाचारियों को बचाने में ही मुख्य भूमिका निभाती है। उसका रिकार्ड भाजपा के पास स्वयं मौजूद है। जो बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक दिखाई देता है। लेकिन इन भाजपाइयों को अपना भ्रष्टाचार नहीं दिखाई देता।