दलबदलूओं-दागियों के सपनों का झारखण्ड बनाने को भाजपा तैयार, समर्पित कार्यकर्ता थामेंगे बाबाजी का ठुल्लू
आज भाजपा की राज्य इकाई ने गजब कर डाला, पहले तो इक्के-दुक्के दलबदलू-दागी भाजपा में शामिल होते थे, इस बार इसने सोचा क्यों न, थोक भाव में दलबदलूओं-दागियों को शामिल कर लें, और इसमें इन्हें भरपूर सफलता भी मिली, क्योंकि इन दागियों-दलबदलूओं को लगता है कि इस बार भाजपा में रहकर चुनाव लड़ने से ही उनकी मनोकामना पूर्ण हो सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी जहां से इन्होंने अपनी बुनियाद मजबूत की, उसे ही ठेंगा दिखा दिया।
इधर समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में दूसरे दल की गंदगियां भाजपा में शामिल होगी, तो उनके जैसे समर्पित कार्यकर्ता जिन्होंने पार्टी को मजबूत करने में पूरी जिंदगी लगा दी, और जब फसल काटने का हुआ तो ये बाहरी लोग आकर मजे लेंगे तो हमें क्या मिला – बाबा जी का ठुल्लू। जितनी खुशियां इन दलबदलूओं-दागियों को भाजपा में शामिल होने से हैं, उतनी ही मातम भाजपा कार्यकर्ताओं में भी हैं, वे अब खूले स्वर में कह रहे हैं कि अब भाजपा को अपना नाम बदलकर दलबदलू-दागी पार्टी रख देना चाहिए, क्योंकि सर्वगुणसम्पन्न लोग तो भाजपा में शामिल हो ही गये।
समर्पित भाजपा कार्यकर्ता गुस्से में, कहा दूसरे दलों की गंदगियां हमारे नेताओं ने अपने माथे पर रख लिया
इनका यह भी कहना है कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर चल रहे राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान में भाजपा ने दूसरे दलों की गंदगियां अपने पार्टी में शिरोधार्य कर ली और निश्चय ही इसका देर-सबेर गंभीर परिणाम निकलेगा, इन भाजपा कार्यकर्ताओं ने विद्रोही24.कॉम को कहा कि हो सकता है कि वक्त अभी भाजपा का हैं, ये जो भी गलत-सही करें, इन्हें सफलता मिल जायेगी, पर देर-सबेर जब इसके सही परिणाम आयेंगे तो भाजपा के लोगों को अपना मुंह छिपाने का भी अवसर नहीं मिलेगा। ये ध्रुव सत्य है।
कल पलामू में भाजपा के कई पुराने कार्यकर्ताओं ने मीडिया से बातचीत में कहा कि छतरपुर के भाजपा विधायक राधाकृष्ण किशोर (जो पहले कांग्रेसी थे, और बाद में जद यू होते हुए, भाजपा में शामिल हुए) तो भाजपा कार्यकर्ताओं की बात ही नहीं सुनते, वे अपनी तरह से पार्टी को चलाना चाह रहे हैं, यहीं हाल पूरे प्रदेश की हैं, जहां-जहां से दलबदलू व दागी लोग भाजपा में शामिल हुए, वहां भाजपा पूरी तरह समाप्त हो गई और वहां उस व्यक्ति का साम्राज्य स्थापित हो गया, उसका सुंदर उदाहरण बाघमारा भी हैं, जहां यौन शोषण का आरोपी एवं सीएम रघुवर दास का चहेता, सजायाफ्ता ढुलू महतो तो भाजपा को खत्म कर टाइगर सेना तक बना डाला, वही विश्व हिन्दू परिषद से जुड़ी संगठन बजरंग दल को भी चुनौती दे डाली और बजरंग सेना तक बना डाला। ये उदाहरण बताते है कि भाजपा का आनेवाले समय में क्या होनेवाला हैं?
जरा देखिये आज कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत, कांग्रेसी विधायक मनोज कुमार यादव, एक अन्य विधायक भानुप्रताप शाही, झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी और जेपी पटेल, पूर्व आइपीएस अरुण उरांव, पूर्व आइपीएस डी के पांडेय और पूर्व आइएएस सुचित्रा सिन्हा ने भाजपा का दामन थाम लिया। पूर्व आइएएस और पूर्व आइपीएस का क्या कहना, ये उसी पार्टी में शामिल होते हैं, जिनकी सत्ता आने की प्रबल संभावना रहती हैं, ताकि सत्ता में आकर अपने पूर्व के भ्रष्टाचार से अर्जित अकूत संपत्तियों का संवर्द्धन-संरक्षण कर सकें, तथा अपने उपर लगे भ्रष्टाचार-अपराधिक मुकदमों से स्वयं को बचा सकें, क्योंकि ये जानते है कि सरकारी सेवोपरांत राजनीति में आने के बाद ही वे अपनी गलत कार्यों पर पर्दे डाल सकते हैं।
सरकारी जमीन को अपनी पत्नी के नाम करवाने का आरोपी तथा बकोरिया कांड में बुरी तरह फंसा पूर्व डीजीपी ए के पांडेय भी भाजपा में
वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश कुमार सिंह ने तो आज भाजपा में शामिल हुए पूर्व पुलिस महानिदेशक डी के पांडेय की अपने सोशल साइट पर धज्जियां उड़ा दी हैं, जरा देखिये, उन्होंने लिखा क्या है – “भाजपा ज्वाइन करने वालों में पूर्व डीजीपी डी के पांडेय भी हैं। डीजीपी रहते हुए ही पांडेय जी पर भाजपा कार्यकर्ता की तरह काम करने का आरोप लगता रहा था। जब तक पुलिस सेवा में रहे सबका साथ, सबका विकास वाला नारा हमेशा ही इनके जुबान रहा। मीडिया में छाए रहने की आदत भी थी। लेकिन बकोरिया मुठभेड़ के फर्जीवाड़ा को लेकर जब मीडिया ने घेरना शुरू किया तो मीडिया इनके लिए चिरकुट हो गयी। अफसरों को फोन पर ये धमकाते थे कि चिरकुट पत्रकारों को उठाते-बैठाते हो। अब एक नेता के तौर पर मीडिया वालों के प्रति आपका नजरिया क्या होगा पांडेय जी?
मुख्यमंत्री रघुवर दास विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन पर जमीन की लूट का आरोप लगाते रहे हैं, पांडेय जी भी इन आरोपो से घिरे हैं, मुख्यमंत्री को भी बताना होगा कि पांडेय जी के मामले में उनका रुख क्या होगा?” ऐसे आइपीएस भाजपा को ज्वाइन कर झारखण्ड का भला करेंगे, यानी सोचिये आपका झारखण्ड कहां जा रहा हैं? उसी प्रकार भानु प्रताप शाही जैसे विधायक पर भी कई भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं, पर वह भी भाजपा में शामिल होकर समस्त पापों से मुक्त हो गया, जैसे शशिभूषण मेहता और ढुलू महतो मुक्त हो गये।
राजनीतिक पंडित बताते है कि भाजपा सोच रही हैं कि वह ऐसे लोगों को शामिल कर लेगी तो विपक्ष समाप्त हो जायेगा, जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा ही धराशायी हो रही हैं, क्योंकि इनके आने से जो नैतिक व चारित्रिक रुप से जो लोग भाजपा को पसन्द करते थे, वे इनसे कब की दूरियां बना चुके, रही बात इन लोगों के आने से इनके समर्थक जब भाजपा से जुड़ सकते हैं, तो निःसंदेह भाजपा में रह रहे लोग भी इनसे बिदकेंगे और यही बिदकना भाजपा के लिए घातक होगा, जैसा कि शशिभूषण मेहता मामले में हुआ हैं।
राजनीतिक पंडितों का मानना, इससे भाजपा को ही नुकसान, विपक्ष को मिलेगा इसका फायदा
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस बार पांकी से बिट्टू सिंह का हारना तय था, पर शशिभूषण मेहता के भाजपा में आने और मिलन समारोह में जिस प्रकार मृतका सुचित्रा मिश्रा के परिवार के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सामने दुर्व्यवहार किया गया, उससे बिटटू सिंह की जीत उतनी ही सुनिश्चित हो गई, जितनी दिन-रात का होना।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अबकी बार 65 पार या 70 पार के लिए जो ये षडयंत्र रच रहे हैं, निःसंदेह इनके लिए भारी पड़ेगा, क्योंकि जो लोग भाजपा में रहकर पिछले कई वर्षों से भाजपा के टिकट को लेकर निश्चिंत थे, कि वे चुनाव लड़ेंगे, वे निःसंदेह भाजपा को आज न कल बाय-बाय करेंगे, इसलिए यह कहना कि अभी विपक्ष में भगदड़ हैं, मूर्खता ही होगी, क्योंकि अभी तो विपक्ष ने अपना पत्ता खोला ही नहीं हैं।
हालांकि आज भाजपा के ही लालचंद महतो का भाजपा को ठुकराकर अपनी पुरानी पार्टी जदयू में शामिल होने के संकेत बता रहे हैं कि भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के हाथों बाबा जी का ठुल्लू थमानेवाले नेता चेत जाये, यहां अब कोई बाबाजी का ठुल्लू थामने को तैयार नहीं, बल्कि भाजपा के ही बड़े तथाकथित नेताओं को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठे हैं, बस चुनाव की रणभेरी बजने भर देर हैं।
lalchand mahto kabhi bhi BJP me nahi thhe.