राजनीति

भाजपा विधानसभा के मानसून सत्र में झारखण्ड सरकार के चेहरे से नकाब उतारने को तैयार, रुपा तिर्की और महाधिवक्ता-अपर महाधिवक्ता का मामला भी उठेगा सदन में, मानसून सत्र में सरकार की खिचाई तय

भारतीय जनता पार्टी झारखण्ड विधानसभा के मानसून सत्र में झारखण्ड सरकार के चेहरे से नकाब उतारने को तैयार बैठी है। आज भाजपा प्रदेश मुख्यालय में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपने विधायकों के साथ बैठक की और विधायकों को विधानसभा में किन-किन मुद्दों पर सरकार को पछाड़ा जाये, इसको लेकर चर्चाएं की।

फिलहाल ताजा मामला तो रुपा तिर्की हत्याकांड का है, जिसको लेकर कल यानी बुधवार को झारखण्ड उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया तथा दूसरा मामला महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता का है, जिसके खिलाफ झारखण्ड हाई कोर्ट ने अवमानना का केस चलाने को आदेश दिया तथा इसको लेकर नोटिस भी जारी कर दी। यह झारखण्ड के इतिहास में ऐतिहासिक घटना है।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो बहुत कम ही समय में हेमन्त सरकार विपक्ष के चंगुल में आकर फंस गई, आम तौर पर ऐसा होता नहीं, लेकिन जिस प्रकार से सरकार ने मात्र छह महीने में अपनी भद्द पिटवाई है, वो बताने के लिए काफी है कि यहां सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। महिलाओं पर अत्याचार, पुलिसिया बर्बरता, जमीन लूट की घटनाएं आम बात हो गई है, और लोग वर्तमान में इतने डरे हुए है कि कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं।

आज के भाजपा विधायक दल के बैठक में जिस प्रकार से प्लानिंग बनाई गई है, उससे साफ पता चलता है कि भाजपा इस बार के मानसून सत्र में आक्रामक रुख अख्तियार करेगी। आज भी झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष की ओर से जो सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, जैसा कि हर सत्र के पूर्व में इस प्रकार की बैठक आयोजित होती है, उस बैठक से भाजपाइयों ने दूरियां बनाई।

भाजपा के एक नेता ने विद्रोही24 से कहा कि सदन सत्तापक्ष और विपक्ष के आपसी सहयोग से चलता है, पर जिस प्रकार से सत्तारुढ़ दल ने नेता विरोधी दल के मामले में हठधर्मिता दिखाई है, वो बताता है कि इससे लोकतंत्र को ही हानि पहुंचेगी, इसका भी प्रभाव सदन में दिखेगा।

उनका यह भी कहना था कि मुद्दे तो कई है, सदन में सरकार से पूछेंगे कि सरकार गिरने-गिराने के मुद्दे पर अपने ही विधायकों से सवाल-जवाब करने में हेमन्त की पुलिस के हाथ-पांव क्यों फूल रहे हैं? उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक व सामाजिक स्तर पर हेमन्त सरकार ने अपना सम्मान खो दिया हैं, इसलिए मानसून सत्र में सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब ही अगर सही-सही दे दें, तो बहुत बड़ी बात होगी, पर ये तो तब होगा, जब सदन को चलाने में सरकार की रुचि होगी।