अपनी बात

भाजपा ने CM हेमन्त का आग्रह ठुकराया, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से बनाईं दूरियां, पत्र के माध्यम से उसके कारण भी किये संप्रेषित

जैसा कि सर्वविदित था, कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा नियोजन नीति व आरक्षण के मुद्दे पर राज्यपाल रमेश बैस से मिलने जानेवाली सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा का कोई व्यक्ति शामिल नहीं होगा, वो आज दिखा भी। भाजपा के लोगों ने दूरियां बनाई और इसकी जानकारी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को भेज दी।

वहीं मुख्यमंत्री के आग्रह पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा शामिल होगी या नहीं, इस मुद्दे पर झारखण्ड विधानसभा में मोर्चा भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी ने संभाला। उन्होंने भी पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवालों पर वहीं जवाब दिया, जिनके लिए वे जाने जाते हैं। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में एक बात जरुर दिखा कि हर बात पर भाजपा के साथ खड़ी रहनेवाली आजसू ने अपना रुख बदलकर सीएम हेमन्त सोरेन के साथ जाने का रुख किया।

अब भाजपा के प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं होने से इतना तो क्लियर हो गया कि फिलहाल भाजपा किसी भी प्रकार से हेमन्त सोरेन को किसी भी मुद्दे पर माइलेज लेने नहीं देने पर अडिग है। अब देखिये इस पत्र को, पत्र को आप पढ़ेंगे तो सब क्लियर हो जायेगा कि आखिर भाजपा मुख्यमंत्री द्वारा बुलाये गये सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में क्यों शामिल नहीं हुई? ये हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को लिखा पत्र…

आदरणीय मुख्यमंत्री जी,

आपके द्वारा मेरे नाम प्रेषित पत्रांक अ स प्र सं 4000/07 दिनांक 19.12.2022 जो आपके नेतृत्व में महामहिम राज्यपाल से मुलाकात हेतु 20 दिसंबर 2022 को अपराह्न 3 बजे जा रहे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में मेरे दल के दो प्रतिनिधियों को नामित करने के संबंध में है, मुझे प्राप्त हुआ। आपने पत्र में यह उल्लेख किया है कि यह प्रतिनिधिमंडल विगत 11 नवंबर 2022 को झारखंड विधानसभा से पारित 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति एवम नियोजन नीति विधेयक को महामहिम राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजते हुए संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध करेगा।

महोदय, आप अवगत हैं कि नवगठित झारखंड राज्य की पहली सरकार ने श्री बाबूलाल मरांडी जी के नेतृत्व में वर्ष 2001 में खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति को लागू किया था जिसे उच्च न्यायालय ने निरस्त करते हुए समीक्षा के निर्देश दिए थे।  बाद में  निवर्तमान मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास जी के नेतृत्व में नियोजन नीति बनाई गई जो आपकी सरकार के द्वारा निरस्त किए जाने तक लागू रही।

आपकी सरकार के द्वारा वर्ष 2021 में लाई गई नियोजन नीति को विगत 16 दिसंबर 2022 को झारखंड उच्च न्यायालय ने फिर एकबार रद्द कर दिया है जो हिंदी, अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता समाप्त करने तथा 10वीं 12वीं परीक्षा राज्य के विद्यालयों से उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता से संबंधित विसंगतियों से परिपूर्ण था। आज राज्य की नियोजन नीति न्यायालय के विचाराधीन है। ऐसी परिस्थितियों में राज्य के बेरोजगार युवाओं का भविष्य चौराहे पर खड़ा है,अंधकारमय है। इधर आपने विधानसभा से पारित 1932 के खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति को 9वीं अनुसूची में शामिल  कराने का प्रस्ताव महामहिम राज्यपाल को भेजा है।

महोदय, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा  वर्ष 2007 में आई आर कोएल्हो मामले में यह स्पष्ट किया गया है कि 9वीं अनुसूची में शामिल विषयों की भी समीक्षा हो सकती है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति को 9वीं अनुसूची में शामिल कराने की बात करना न सिर्फ अपनी जिम्मेवारियों से भागने जैसा बल्कि झारखंड के लाखों बेरोजगार नौजवानों के भविष्य को अंधकार में धकेलने जैसा होगा।

आज राज्य सरकार को सस्ती लोकप्रियता के लिए नही बल्कि दूरदर्शी सोच के साथ युवाओं के उज्ज्वल भविष्य को संवारने केलिए विधि सम्मत निर्णय लेना चाहिए। आज माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक अवसर प्रदान किया है। राज्य सरकार माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार एक बार पुनः खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति की विधि सम्मत समीक्षा करे।

भारतीय जनता पार्टी राज्यहित में जनभावनाओं के अनुरूप सरकार को सहयोग करने के लिए साथ खड़ी है। यह समय राजनीति करने का नही है। यह सवाल किसी सरकार की हार और जीत से भी जुड़ा हुआ नही है बल्कि इसमें राज्य के साढ़े तीन करोड़ जनता का हित जुड़ा हुआ है। महोदय,यह विषय पूरी तरह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। राज्य  सरकार स्वयं नीतियां बनाने और लागू कराने के लिए सक्षम है। केवल उसे विधि सम्मत समीक्षा की प्रक्रिया पूरी करने की आवश्यकता है।

भवदीय

दीपक प्रकाश