भाजपा कार्यकर्ता पूछ रहे, बताइये बाबूलाल जी, झारखण्ड को कितने में बेचा, अभी एक ने हिम्मत दिखाई, अब कई लोग सामने आयेंगे, ये तो स्पष्ट हो गया कि आपने दलालों के माध्यम से टिकट बेचवाकर भाजपा को हरवा दिया
दैनिक भास्कर की आज की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट आज जहां भाजपा नेताओं की दिलों की धड़कन बढ़ा दी है। वहीं समर्पित व पार्टी के प्रति निष्ठा रखनेवाले कार्यकर्ताओं के मुख को जुबान दे दी हैं। हालांकि सच देखा जाये, तो ये समर्पित भाजपा कार्यकर्ता पहले से ही मुखर रहे हैं और वे इस बात का आरोप कई बार सोशल साइट पर या अपने मित्र-कार्यकर्ताओं से बातचीत के क्रम में उठाते रहे हैं कि उनके नेताओं ने सारी बेशर्मी की हदें पार कर दी हैं।
ये पार्टी की टिकटों को बेच भी रहे हैं। लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं रहने के कारण वे खुलकर नहीं बोला करते थे। लेकिन आज दैनिक भास्कर में जैसे ही एक रिपोर्ट छपी। अब तो जो नहीं भी बोला करते थे। वे सवाल दाग रहे हैं और भाजपा के शीर्षस्थ प्रदेश नेता मुंह छुपाते फिर रहे हैं।
हालांकि आज की दैनिक भास्कर की खबर कई सवालों को भी पैदा कर रहे हैं। पहला सवाल कि जो लोग टिकट खरीदकर चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं, क्या उन पर कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? दूसरा सवाल जो धोखे से पैसे से टिकट खरीदने की सोच रखते हैं, ऐसे लोगों से कोई चीटिंग करता हैं तो क्या गलत करता है? सच्चाई तो यही है कि वो भी तो चीटिंग करके ही टिकट खरीदना चाह रहा था और उस टिकट को पाकर विधायक बनने की सोच रखता था।
तीसरा सवाल ये जो सामाजिक, इकोनॉमिक पॉलिटकल रिसर्च के नाम पर जो बड़ी-बड़ी दुकानें खोली जाती है, दरअसल इन दुकानों में काम करनेवाले लोग और इसके मालिक की सोच किस प्रकार की होती हैं? वो भी आज के समाचार से पता चल जाता है और रही बात दीपक प्रकाश की तो वो महान है ही, उनकी महानता को कौन नहीं जानता?
नहीं तो दीपक प्रकाश ही बताएं कि वे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी या पूर्व गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी से ज्यादा बड़े पद पर तो कभी नहीं गये, तो फिर ये और इनके साले संदीप वर्मा इतने बड़े धन्नासेठ कैसे बन गये? आखिर इनके पास कौन सा अलादीन का चिराग, वो भी किस ब्रांड का हैं, कि ये देखते ही देखते अरबपति बन जाते हैं और हम जैसे नौकरीपेशा वाले लोग सुबह-शाम दाल-रोटी के चक्कर में ही मौत के मुंह में समा जाते हैं।
विद्रोही24 ने उसी वक्त लिख दिया था कि भाजपा का सर्वनाश तय है। जब दीपक प्रकाश को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंप दी गई थी। विद्रोही24 ने तो इसके प्रदेश अध्यक्ष संभालने से लेकर इससे उक्त पद से हटाने तक कई बार समाचार प्रकाशित किये कि इस व्यक्ति के रहते पार्टी का कभी भला नहीं होनेवाला। लेकिन जैसे ही इसे हटाया गया, बाबूलाल मरांडी को कमान थमा दी गई।
ये वहीं बाबूलाल मरांडी हैं, जो दीपक प्रकाश पर शुरु से ही प्यार लूटाते रहे हैं। शुरु से मतलब समझते हैं, जब वे पहली बार झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री बने थे और जब उन्होंने झाविमो का गठन किया तो उस समय भी बाबूलाल मरांडी ने इन्हें कंघी ब्रांड का प्रमुख सेनापति बना दिया था। लेकिन दीपक प्रकाश तो महान हैं, उन्हें वहां मन नहीं लगा तो फिर भाजपा में आकर अपनी कलाबाजी शुरु की और आज राज्यसभा के सांसद है और प्रदेश में पूरी पार्टी को अपने इशारों पर आज भी नचा रहे हैं। पार्टी को रसातल में भी पहुंचा दिया।
विद्रोही24 को तो दैनिक भास्कर के इस रिपोर्ट पर तो कोई आश्चर्य ही नहीं हो रहा। आश्चर्य हो भी तौ कैसे। आश्चर्य तो वहां होता हैं, जहां कोई चरित्रवान पर अंगूली उठती हैं। यहां तो ऐसे नेताओं पर अंगूली उठानेवालों की भाजपा में बाढ़ आई हुई हैं और ये बाढ़ इसलिए आई कि अब भाजपा चरित्रवालों की पार्टी ही नहीं रहीं। एक-एक कर जिन पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगे, वे भाजपा के गलेहार बनते चले गये।
कई भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता तो भाजपा के कई बड़े-बड़े नेताओं को कई उपनाम रख दिये हैं और खुलकर उन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। लेकिन भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व कान में तेल डालकर सोया हुआ है। कोई डेढ़फुटिया, कोई बनडमरू तो कोई भदरु कहकर उन्हें पुकार रहा है। लेकिन भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व यह जानने की कोशिश भी नहीं कर रहा कि उनके किस नेता को डेढ़फुटिया, बनडमरु और भदरु कहकर पुकारा जा रहा हैं।
जबकि आज भाजपा का कौन ऐसा कार्यकर्ता हैं, जो यह नहीं जानता की बनडमरु, डेढ़फुटिया और भदरु किसे कहा जा रहा हैं। आश्चर्य है कि ये कार्यकर्ता इन लोगों के द्वारा मनी और हनी का कार्यक्रम चलाये जाने पर भी खुलकर लिख रहे हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं। ये लोग चले थे, झामुमो को मिटाने, अब खुद मिट रहे हैं, मिटाये जा रहे हैं। लेकिन शर्म नहीं हैं। आज तो सोशल साइट पर भाजपा के कई कार्यकर्ताओं ने ही अभियान चला दिया है। जो देखनेलायक व पढ़नेलायक है। भाजपा कार्यकर्ता पूछ रहे हैं ….
“झारखण्ड का एक ही लाल बाबूलाल जी आपको यह बताना चाहिए कि झारखण्ड को कितने में बेचा आपने, अभी तो एक ने हिम्मत दिखाई है। अभी और बहुत लोग सामने आएंगे। यह साफ हो गया कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दलालों के माध्यम से टिकट बेचा है। इसलिए झारखण्ड में भाजपा की हार हुई। कई विधायक का फीडबैक ठीक नहीं था। फिर भी उनको टिकट दिया गया। सबसे बड़ा सवाल इसकी जांच कौन करेगा? क्योंकि सब इसमें हिस्सेदार होंगे।”
कितने शर्म की बात है कि जिस भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी रहे हैं। जिन्होंने संसद में कभी ताल ठोककर कहा था कि सत्ता प्राप्त करने के लिए अगर हमें किसी की पार्टी को तोड़कर सत्ता अपनानी पड़े तो हम ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करेंगे। जिस अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी कहा था कि बाजार था, बिकनेवाले तैयार थे, लेकिन बाजार में खरीदार नहीं था।
उस भाजपा में आज टिकट बेचनेवालों की बाजार लग रही है। लोग बोली लगा रहे हैं। लोग खरीद भी रहे हैं और विधायक व सांसद भी बन रहे हैं। इसकी जांच तो अब होनी ही चाहिए, लेकिन जांच कौन करेगा, जांच हो भी जायेगा तो क्या आयेगा? क्या भाजपा के लोग कभी भी इस सच्चाई को सामने आने देंगे कि उनके नेताओं ने टिकट बेची हैं या बेचने के लिए कदम बढ़ाया या उनके नेताओं के घर पर इस प्रकार की डीलिंग हुई हैं।
अरे जिस पार्टी का घटिया स्तर का नेता घटियास्तर के न्यूज चैनल पर कार्रवाई न हो, उसका चैनल चलता रहे, उसकी पैरवी केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री से करता हो और केन्द्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री उस घटियास्तर के नेता को पत्र द्वारा सूचित करता है कि उक्त चैनल पर कार्रवाई करने का काम गृह मंत्रालय ने किया है, क्योंकि उसकी गतिविधियां देश के प्रति ठीक नहीं हैं। वैसे चैनल के मालिक के घर भाजपा शासित एक राज्य का मुख्यमंत्री गलबहियां करता हैं, भोजन करता है। उस पार्टी से देशहित और राज्यहित की बात सोचना भी बेमानी है।
भाजपा नेताओं को तो अब किसी भी दल या उनके नेताओं पर बोलने का हक ही नहीं कि दूसरी पार्टियां गलत हैं। सच्चाई यह है कि जितने गलत दूसरी पार्टियों में लोग हैं, उससे कही ज्यादा गलत भाजपा में लोग हैं। लेकिन इन लोगों ने सारे शर्म और हया को बेच खाया हैं। अब इन्हें शर्म नहीं आती। ये तो बेशर्मी का भी प्रतियोगिता करते/कराते कहते हैं कि देखों हमनें बेशर्मी प्रतियोगिता में पूर्णतः सफल नहीं हुआ, बल्कि प्रथम स्थान प्राप्त किया हैं।
बधाई हो निरंजन, आप महान है क्योंकि आपने पैसे से भाजपा का टिकट लेने का प्लान बनाया। बधाई हो विवेक आपने बहुत ही अच्छी सोच रखी हैं, बढ़िया कंपनी बनाई है, आपके इस कंपनी और कार्य से लोग प्रेरणा लेंगे और माल कमाने की कोशिश करेंगे और दीपक प्रकाश जी, आप तो महानों से महान हैं। काश भाजपा के सारे शीर्षस्थ व नवोदित नेता आपसे सीख लेंते कि कैसे घर में डीलिंग कराई जाती है।
एक बात तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जरुर पुछूंगा कि देश में कैशलेस सुविधा हो, इस पर आप जोर डालते हैं, दिमाग लगाते हैं, इसमें आपको सफलता भी मिल रही हैं तो टिकट बेचने और खरीदने में दीपक प्रकाश के घर में जहां डीलिंग हुई, वहां कैशलेस सुविधा का ध्यान क्यों नहीं रखा गया? ए मोदी जी, प्लीज बताइये न।