धनबाद में भाजपा के दलितों के घर भोजन कार्यक्रम से खफा, दलितों ने जताया कड़ा विरोध
भाई बहुत हो चुका, अब दलितों के घर भोजन करने की नौटंकी बंद करिये, अब दलितों को भी आपकी यह राजनीति पसंद नहीं आ रही, वे समझ रहे हैं, कि उनके घर भोजन करने की नीति, उनके सम्मान को बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए भाजपा ऐसा कर रही हैं। धनबाद के गोविंदपुर के खिलकनाली गांव में पिछले दिनों भाजपा विधायक फुलचंद मंडल का जिस प्रकार दलितों ने विरोध किया, वह बताता है कि अपने सम्मान को लेकर अब दलित वर्ग का युवा समुदाय भाजपा से दो-दो हाथ करने को तैयार है, हालांकि भारी विरोध के बावजूद भाजपा विधायक फुलचंद मंडल ग्राम स्वराज अभियान कार्यक्रम के तहत गांव में पहुंचे, पर किसी दलित ने अपने घर भोजन करने के लिए उन्हें आमंत्रित नहीं किया, अंत में उन्होंने भाजपा कार्यकर्ता के घर भोजन किया और रात्रि विश्राम किया।
पूरे देश में इस कार्यक्रम को लेकर भाजपा नेताओं में तरह-तरह की भ्रांतियां नजर आ रही है, हाल ही में कर्नाटक में एक दलित ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार येदियुरप्पा के लिए अपने घर पुलाव बनाया था, पर येदियुरप्पा ने पुलाव न खाकर बगल के रेस्टोरेंट से इडली और बड़ा मंगवाया और वहीं खाया।
इधर उमा भारती ने पिछले दिनों दलितों के साथ सामाजिक समरसता भोज में भोजन करने से इनकार कर दिया। छतरपुर के नौगांव में ददरी गांव पहुंची, उमा भारती ने मंच से घोषणा करते हुए कहा कि वह इस समरसता भोज में भोजन नहीं करेगी। उमा भारती ने कहा कि वह भगवान राम नहीं कि दलितों के साथ भोजन करने से वे पवित्र हो जायेंगे, जब दलित हमारे घर आकर साथ बैठकर भोजन करेंगे, तब हम पवित्र हो जायेंगे, दलित को जब मैं अपने घर में अपने हाथों से खाना परोसूंगी तब मेरा घर धन्य हो जायेगा।
यानी भाजपा में ही ग्राम स्वराज अभियान को लेकर दलितों के घर भोजन को लेकर एकरुपता नहीं है, और जब एकरुपता नहीं तो ऐसे में दलित समुदाय, इस प्रकार की नौटंकी पर सवाल उठा रहा हैं तो क्या गलत कर रहा है? धनबाद में जिस प्रकार से दलितों ने भाजपा के दलितों के घर जाकर भोजन करने की प्लानिंग की जो धज्जियां उड़ाई है, उससे पता चलता है कि आनेवाले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में दलितों का समर्थन यहां भाजपा को मिल पायेगा, इसमें अब संदेह है।