चक्रधरपुर में आयोजित भाजपा की सभा ने लक्ष्मण गिलुवा और अमित शाह दोनों के हाथ-पांव फूला दिये
आप माने या न माने, पर सच्चाई यही है कि चक्रधरपुर में 2 दिसम्बर को आयोजित भाजपा की सभा ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भी हाथ-पांव फूला दिये हैं। दोनों को इस बात का आभास हो गया है कि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत की गाड़ी भयंकर दलदल में फंस चुकी है, और फिलहाल इससे उबरने का कोई फार्मूला दिख नहीं रहा।
जबकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भाजपा का खेल उसी वक्त खत्म हो गया, जब अमित शाह ने अपनी पहली चुनावी सभा में (जामताड़ा की सभा में) डंके की चोट पर कह दिया कि आनेवाले विधानसभा चुनाव के बाद राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ही पुनः सत्ता संभालेंगे, जिसका प्रभाव यह पड़ा कि मतों का ध्रुवीकरण इस प्रकार से भाजपा के विरोध में हुआ कि देखते ही देखते भाजपा का प्रभाव बहुत तेजी से घटने लगा।
अब स्थिति यह है कि भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को अपनी सभा में अपनी बात सुनाने के लिए लोगों का इंतजार करना पड़ रहा हैं, यानी उस भाजपा को इंतजार करना पड़ रहा हैं, जो चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पूर्व आंगनवाड़ी सेविकाओं, सहियाओं, रसोइयों से अपनी सभा में भीड़ जुटवाते थे, जिनके नेता आइएएएस/आइपीएस लोगों पर दबाव डालते थे कि वह भीड़ लाने का प्रबन्ध करें।
जो आइएएस/आइपीएस अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए जिला में स्थित स्कूलों को बंद करवाकर उनके बसों को भीड़ लाने में झोकवा देते थे, पर अब नजारा बदल गया है, जिनके पास कल लाखों की भीड़ जुटती थी, अब उनकी सभा में दो से पांच हजार तक ही भीड़ नजर आती हैं, इन भीड़ को देखकर, भाजपा के नेताओं को अब बोलना पड़ता है कि इतनी भीड़ से कोई विधायक नहीं बनता।
ताजा मामला, चक्रधरपुर का है। यहां रेलवे हाई स्कूल मैदान में दो दिसम्बर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की चुनावी सभा होनेवाली थी। चुनावी सभा का समय 11.30 बजे पूर्वाह्न निर्धारित था। लेकिन एक घंटा बीत जाने के बाद भी अमित शाह की हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि वे रांची हवाई अड्डे से उड़नखटोला पकड़कर चक्रधरपुर रेलवे हाई स्कूल मैदान पहुंच जाये, क्योंकि उस वक्त तक मात्र पन्द्रह सौ की ही भीड़ वहां मौजूद थी।
सूत्र बताते है कि एक समय तो ऐसा भी आया कि चक्रधरपुर में कम भीड़ को देखकर अमित शाह की सभा रद्द कराने की बात होने लगी, पर भाजपा के लोगों को लगा कि अगर ऐसा होता है तो इसका और भी गलत संदेश जायेगा। अंत में और भीड़ जुटे, इसके लिए प्रयास किये जाने लगे, दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को समझाया जाने लगा कि यह समय खेती-गृहस्थी का है, इसलिए भी जनसभा में भीड़ कम आ रही हैं, जिसको लेकर फिर अमित शाह चक्रधरपुर जाने को तैयार हुए और फिर उनकी सभा निर्धारित सभा से दो घंटे बाद उक्त मैदान में शुरु हुई।
लेकिन इस सभा में उपस्थित कम भीड़ ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष दोनों को चौका दिया, यानी स्थिति गंभीर है, जनता नाराज है, कुछ भी कहे, जो जनता लोकसभा में खुब भाजपा को मदद की थी, आज वही जनता नाराज हैं, क्यों नाराज हैं, थोड़ा भाजपा के नेताओं को मंथन करना चाहिए, पर अहंकार में डूबी भाजपा को इससे मतलब क्या?
फिलहाल स्थिति यह है कि जमशेदपुर पूर्व में राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास और चक्रधरपुर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा दोनों की हालत पस्त हैं, और पूरे प्रदेश की हालत को देखकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की हालत खराब है, यानी झारखण्ड से इस बार लगता है कि भाजपा शासन गायब।