अपनी बात

एक लाख लोगों के पहुंचने का दावा करनेवाला भाजयुमो, अपने दीवार लेखन के उद्घाटन में मात्र छह लोग ही जुटा पाया, ऐसे में इनकी 23 की रैली फ्लॉप होगी या सफल, अनुमान लगा लीजिये

भारतीय जनता युवा मोर्चा 23 अगस्त को हेमन्त सरकार के खिलाफ रांची में एक आक्रोश रैली आयोजित करने जा रहा है। इसको लेकर कल रांची में एक योजना बैठक भी संपन्न हो गई। जिसमें इनके एक से एक धुरंधर नेता पहुंचे। खुब बोले। ये करेंगे। वो करेंगे। लेकिन सच्चाई क्या है? इनके नीचे के कार्यकर्ता ही अपने प्रदेश के नेताओं के क्रियाकलापों से नाराज है।

नाराज ऐसा कि कोई जमशेदपुर में धरने पर बैठ रहा हैं तो कोई धनबाद में चुपके से समय आने पर मजा चखाने की बात कर रहा है तो कोई रांची में कर्मवीर सिंह के नाम एक पत्र लिखकर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहा है। अब भाजपा की स्थिति ऐसी है कि इनको अब कार्यकर्ता भी नसीब नहीं हो रहे हैं। जरा देखिये कल की घटना।

भारतीय जनता युवा मोर्चा के आक्रोश रैली का कल दीवार लेखन का कार्यक्रम था। प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और नेता प्रतिपक्ष को दीवार लेखन में शामिल होना था। ये दोनों शामिल हुए, पर इस दीवार लेखन में गिनती के मात्र छह लोग ही शामिल हुए। भारतीय जनता युवा मोर्चा का एक भी कार्यकर्ता शामिल नहीं था। भारतीय जनता युवा मोर्चा की ओर से केवल इसके प्रदेश अध्यक्ष शशांक राज ही चित्र में दिखे।

अब इसे लेकर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिस नेता या दल के पास दीवार लेखन के समय भी कार्यकर्ताओं का अभाव हो जाये, टो-टा पड़ जाये और उसके बाद भी वो दल के नेता कहे कि वे मोराबादी मैदान में एक लाख लोगों को लेकर आ जायेंगे। ये कैसे संभव है। ऐसे भी भाजपा ने कई बार रांची में रैलियां निकाली, सभाएं की।

लेकिन इनकी रैलियां व सभाएं में अब दस हजार तक की भी भीड़ नहीं पहुंचती। ऐसे में भारतीय जनता युवा मोर्चा की रैली क्या असर दिखायेगी। इसे आप समझ सकते हैं। भाजपा के अंदर ही कल के दीवार लेखन और उसमें कार्यकर्ताओं की अनुपस्थिति को लेकर खुब चर्चाएं हो रही हैं। लोग इससे संबंधित फोटो को स्वयं वायरल कर रहे हैं और कह रहे हैं, कि दीवार लेखन में गिनती के छह आदमी हैं तो 23 मार्च के दिन रैली में कितने लोग उपस्थित होंगे।

समझा जा सकता है। सच्चाई यह है कि भाजपा में अब सही नेताओं का अभाव हो गया है। जो हैं भी उन्होंने अपनी चमक खो दी हैं। अब उपर से नेता थोपने की एक नई रिवायत यहां शुरु हुई है, जिसको लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में अलग प्रकार का आक्रोश जन्म ले चुका है। ऐसे में भाजपा की मिट्टी यहां पलीद हो जाये तो इसमें अतिश्योक्ति की कोई बात नहीं।