धन्य है नीतीश कुमार, जिसने राजद विधायक चंद्रशेखर यादव जैसे नमूने को बिहार का शिक्षा मंत्री बनाया, पूरा देश कर रहा थू-थू
ये कोई पहली बार नहीं हुआ कि राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं की ओर से हिन्दूओं व हिन्दू धर्म का अपमान किया गया हैं। हिन्दूओं और हिन्दू धर्म का अपमान करना तो इनके डीएनए में हैं। ऐसे में भला निरामूर्ख व राजद कोटे से बना बिहार का शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव श्रीरामचरितमानस के विषय में उटपुटांग बोल दिया तो क्या हो गया? हमें तो कोई इस पर आश्चर्य ही नहीं लगता, क्योंकि राजद के नेताओं से श्रीरामचरितमानस के लिए इससे अधिक की परिकल्पना की ही नहीं जा सकती।
ऐसे भी श्रीरामचरितमानस और गोस्वामी तुलसीदास के खिलाफ तो दिल्ली से निकलनेवाली एक पत्रिका ‘सरिता’ तो हमेशा से ही विषवमन करती रही है। शायद बिहार के लोग भूल गये कि लालू के मुख्यमंत्रित्व काल में राजद के ही कई नेता स्वयं को शंकराचार्य घोषित करवा लिये थे, पर उनका क्या हश्र हुआ, सभी जानते हैं।
स्वयं लालू यादव कभी अपने भाषणों में हिन्दूओं के द्वारा होनेवाली अनन्त पूजा को लेकर अपना दिव्यज्ञान प्रस्तुत कर चुके हैं। 1990 के दशक में, सत्ता का अहंकार तो लालू को ऐसा जगा था कि वे ब्राह्मणों से इतनी घृणा करने लगे थे कि वे पटना जंक्शन पर लगे पं. जवाहर लाल नेहरु की प्रतिमा पर उनके जन्मदिन के अवसर पर माल्यार्पण करना उचित नहीं समझा था।
ब्राह्मणों के खिलाफ विषवमन करना उनके भाषण में शुमार था और ये सब होता था ब्राह्मणवाद के विरोध के नाम पर। उस वक्त तो यादवों ने लालू यादव को अपना सिरमौर (भगवान या उद्धारकर्ता समझ लीजिये) ही समझ रखा था और मुस्लिमों को लगता था कि ये ही वो व्यक्ति हैं, जिसके शासनकाल में बिहार का इस्लामीकरण बेहतर ढंग से हो सकता है, खुलकर इन सब ने साथ दिया।
जिसका परिणाम बिहार के सीमांचल इलाकों में अब दिख रहा हैं। उसी सीमांचल में राजद व जदयू की घिग्घी बंद होने लगी हैं, बस 20 साल और इंतजार करिये ये राजद और जदयू वाले उस बिहार के सीमांचल इलाके से भागते फिरेंगे, क्योंकि सीमांचल में मुस्लिमों को तब तक ऐसी मजबूती मिल चुकी होगी कि वहां केवल और केवल इस्लाम ही दिखेगा।
दरअसल चंद्रशेखर यादव ने श्रीरामचरितमानस को नफरत भरा ग्रंथ ऐसे ही नहीं बता दिया, ये उसकी सोची समझी कुटिलता है। चूंकि चंद्रशेखर यादव जानता है कि बिहार का यादव और मुसलमान तो राजद के साथ है, पर नीतीश के साथ तो उनकी जात यानी सिर्फ कुर्मी लोग हैं, बिहार में तो ऐसे भी जात पर चुनाव होते हैं, जात की राजनीति में अभी लालू की पार्टी, नीतीश पर भारी है।
भाजपा के वोटर तो सवर्ण और वैश्य तथा कुछ अन्य जाति के लोग है। इसलिए ऐसा बयान दो कि नीतीश को जोर का झटका धीरे से लगे। ऐसे भी नीतीश की वर्तमान बिहार की राजनीति में बैंड बज गई हैं। नीतीश तो बिहार के भाजपाई नेताओं के खिलाफ खूब बोलते थे/हैं, याद होगा हाल ही में बिहार के विधानसभाध्यक्ष की तो इन्होंने सदन में ही इज्जत उतार ली थी लेकिन राजद के नेताओं द्वारा जो उनकी खिल्ली उड़ाई जा रही हैं, उस पर वे मौन हो जाते हैं, ऐसे भी वे मौन होने के सिवा कर ही क्या सकते है? क्योंकि राजद से निकाह तो उन्होंने खुद ही किया था, और इतनी जल्दी राजद से तलाक और फिर हलाला कैसे संभव है?
जरा सोचिये, दो कौड़ी का आदमी, जिसे कोई जानता तक नहीं, जो एक आलेख ठीक ढंग से नहीं लिख सकता, जिसकी पार्टी स्वयं को राम मनोहर लोहिया की पार्टी बताती है, वो राम मनोहर लोहिया जो रामायण मेला लगाया करते थे, वो राम जिनकी चित्र भारतीय संविधान में अंकित हैं, वो राम जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रिय भजनों में शुमार थे, उस राम और रामचरितमानस पर अंगूलियां उठाता है।
राजद का जगदानन्द सिंह जैसा आदमी चंद्रशेखर यादव को कहता है कि वो सही है। शायद जगदानन्द और चंद्रशेखर यादव जैसे लोगों को मालूम नहीं कि जिस श्रीरामचरितमानस के खिलाफ वो आग उगल रहा हैं, उसी श्रीरामचरितमानस में इन जैसों के लिये पाखंडी शब्द का भी प्रयोग हुआ हैं। अगर नहीं पढ़ा हैं तो इस चौपाई को दोनों मूर्ख पढ़ लें…
हरित भूमि तृन संकुल समुझि परहिं नहिं पंथ।
जिमि पाखंड बाद तें गुप्त होहिं सदग्रंथ।।
-श्रीरामचरितमानस, किष्किंधाकांड, दोहा-14
कौन दोहा-कौन चौपाई किस संदर्भ में आया हैं, किसके द्वारा कहां गया हैं, मूर्ख को पता ही नहीं, पर जरा देखिये कैसे श्रीरामचरितमानस पर कीचड़ उछाल रहा हैं और उससे भी ज्यादा आश्चर्य ये देखिये कि बिहार का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उसे झेल रहा हैं। पर जगदानन्द और चंद्रशेखर को मालूम होना चाहिए कि नीतीश कुमार की मजबूरियां हो सकती है। भगवान राम और उनके भक्तों खासकर गोस्वामी तुलसीदास की कोई मजबूरियां नहीं होती। शायद तुम दोनों ने सुंदरकांड की वो चौपाई नही पढ़ी।
साधु अवग्या कर फलु ऐसा। जरइ नगर अनाथ कर जैसा।।
-सुंदरकांड, श्रीरामचरितमानस
तुमदोनों और तुम्हारी पार्टी को भगवान जल्द ही अंहकार तोड़ने जा रहे हैं। तुम्हें जो ये अहंकार हो गया है कि तुम बिहार में फिर से इस प्रकार के कुकर्म के बाद सत्ता में आ जाओगे, ये अब असंभव है। बिहार से तुम्हारी अब सत्ता गई। ये ध्रुव सत्य है।
अंत में एक बात और सुन लो। थोड़ा गीता पढ़ लो। उसमें कर्मफल का सिद्धांत है। कर्मफल का सिद्धांत ही है कि आज लालू प्रसाद की अधोगति हो चुकी है। थोड़ा लालू प्रसाद को भी देख लेते तो शायद तुम्हें बुद्धि आती, पर तुम बुद्धिहीन को तो भगवान ने बुद्धि ही हर ली, जल्द ही तुम दोनों भी लालू प्रसाद की तरह अधोगति को पाओगे, वो दिन दूर नहीं, ईश्वर सब देख रहा हैं और उस ईश्वर के आशीर्वाद से मैं महसूस कर रहा हूं कि आनेवाली जिंदगी तुम्हारी कितनी भयावह है।