अपराध

बोकारो प्रशासन इस बात का भी पता लगाएं कि जब शंकर रवानी तड़ीपार था तो फिर बोकारो क्या करने और किससे मिलने आता था? उसके यहां आने से किस राजनीतिज्ञ को सर्वाधिक फायदा था?

गुरुवार को बोकारो में ठेकेदार शंकर रवानी की हत्या के बाद धनबाद के दबंग भाजपा सांसद ढुलू महतो की कारस्तानी की चर्चा पूरे धनबाद-बोकारो ही नहीं, बल्कि राज्य के सभी छोटे से लेकर बड़े प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस पदाधिकारियों के बीच में हैं। जिस प्रकार से ढुलू महतो ने बोकारो एसपी पूज्य प्रकाश के साथ तू-तड़ाक व अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया, वो न तो संवैधानिक भाषा थी और न ही किसी सांसद के मुख से वैसे भाषा का प्रयोग शोभा देता है।

बताया जाता है कि जिस शंकर रवानी की हत्या हुई। वो ठेकेदार था। उस पर 11 अपराधिक मामले दर्ज थे। एक मामला हत्या से भी जुड़ा था। लोग बताते है कि वो जेल भी जा चुका था। बोकारो की डीसी विजया जाधव तो कल बोकारो में संपन्न हुई दिशा की बैठक में साफ कह दिया कि शंकर रवानी तड़ीपार था, ऐसे में वो छिप-छिपकर यहां क्यों आता था?

दरअसल कल दिशा की बैठक में धनबाद सांसद ढुलू महतो भी पहुंचे थे और इस बैठक में उन्होंने शंकर रवानी का मुद्दा उठा दिया। जिस पर डीसी हस्तक्षेप करते बोली कि यह मुद्दा उठाने का यह उचित फोरम नहीं है। डीसी ने तो ढुलू महतो को यहां तक कह दिया कि सांसद की एक गरिमा होती है, अगर अधिकारियों से सही तरीके से पेश आयेंगे तो सहयोग मिलेगा।

किसी अधिकारी की कार्यशैली के बारे में यहां बात उठाना ठीक नहीं, चूंकि बैठक दिशा की थी। डीसी विजया जाधव ने साफ कह दिया कि अधिकारियों को डिमॉरलाइज करके कोई भी काम नहीं कराया जा सकता। उधर एसपी पूज्य प्रकाश ने भी कह दिया कि ढुलू महतो ने अमर्यादित भाषा का उनके खिलाफ प्रयोग किया था। चाहते तो वो भी कर सकते थे, पर उन्होंने मर्यादा का ख्याल किया।

सच्चाई यह है कि जब से ढुलू महतो ने राजनीति में कदम रखा है। उसके हौसले बुलंद है। पहले तो उसे बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी झाविमो से टिकट दिया और अब वो देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा में कदम रख दिया। भाजपा में कदम रखने के बाद से उसके हौसले अधिक बुलंद हो गये। किसी को भी तू-तड़ाक कर देना, उसका बाये हाथ का खेल है।

हाल ही में इसने विधानसभा में भी धनबाद के पूर्व एसएसपी के बारे में जो मन किया, वो बक दिया। चूंकि इसको कोई रोकनेवाला है नहीं, तो इनका मन बढ़ा हुआ है। इसलिए शंकर रवानी की हत्या के बाद, ये बोकारो के एसपी को भी फोन लगाकर जो मन किया, वो बक दिया। ढुलू महतो को लगता है कि इससे उसकी लोकप्रियता बढ़ जायेगी, लेकिन सच्चाई यह है कि इसकी इस हरकत के कारण भाजपा की ऐसी की तैसी हो रही है। कोई भी सभ्य व्यक्ति भाजपा को अब उस नजर से नहीं देखता,. जैसा कि पूर्व में देखा करता था।

समाजसेवी विजय झा तो साफ कहते है कि हर प्रकार की हिंसा समाज में हमेशा से ही अस्वीकार है, भले ही वह शाब्दिक हिंसा ही क्यों ना हो, शंकर रवानी की हत्या हो या अक्षय लाल चौहान की हत्या हो, हत्यारे का खुलासा होना ही चाहिए और ऐसे सभी हत्यारों की असली जगह काल कोठरी ही होनी चाहिए। बोकारो उपायुक्त को साधुवाद जिसने कि शंकर रवानी के बारे में जनता को जानकारी दिया कि वो तड़ीपार था, इस बात की जांच होनी चाहिए कि 11 केस का अपराधी तड़ीपार होते हुए भी किससे मिलने आता था और कौन उसका गॉड फादर था।

उसके मोबाइल की भी जांच होनी चाहिए कि तड़ीपार के दरम्यान किसके संपर्क में वो रहता था, जिसके संपर्क में रहता था, उन नामों को भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे अपराधियों को पनाह देने वाले लोगों का चेहरा समाज के सामने आ सके, क्या सांसद ढुलू महतो इसकी मांग प्रशासन से करेंगे। अक्षय लाल चौहान के हत्यारों का आज तक पता नहीं चला, इसकी जांच किसी सक्षम पदाधिकारी को दिया जाये क्या इसकी मांग करेंगे , यदि नहीं तो क्यों? ये रिश्ता क्या कहलाता है?