पुस्तक समीक्षाः एक सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर आधारित 15 कहानियों का संग्रह – “सुलभ प्रेम दुर्लभ”। जिसमें आप पायेंगे कि प्रेम के साथ रहकर कैसे जीवन को सरल बनाया जा सकता है?
श्री आर्केश द्वारा लिखित “सुलभ प्रेम दुर्लभ”, एक सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर आधारित कहानियों का संग्रह है, जिसमें पन्द्रह कहानियों को संकलित किया गया है। इन कहानियों में यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि प्रेम के साथ रह कर कैसे जीवन को सरल बनाया जा सकता है।
आपसी कलह और मनमुटाव के कारण जीवन की अशांति की वजह ढूँढ़ती कहानियाँ, बेशक अपनी सी लगेगी। परिवार और समाज में व्याप्त कठिन संघर्षों के बीच भी रिश्तों में मधुरता बनी रहे, तभी जीवन सार्थक है और यह सार्थकता प्रेम के साथ जुड़ कर ही प्राप्त किया जा सकता है।
जीवन को सीधी और सही राह प्रेम ही दिखा सकता है। एक स्वार्थ है, जो हमें त्याग नहीं करने देता और त्याग बिना प्रेम के हो नहीं सकता। स्वार्थ और त्याग के द्वंद्व के बीच फँसा इंसान जीवन को आसान बनाने के लिए किसे चुने? ऐसी ही स्थितियों को दर्शाती इन कहानियों में लेखक का देखा, सुना और भोगा अनुभव भी शामिल है।
हम भले ही ध्यान न दें, लेकिन यह सच है कि माता-पिता के अच्छे कर्मों का मीठा फल बच्चे भी चख लेते हैं। संग्रह की एक कहानी, “प्रतिफल” में कुछ ऐसा ही दर्शाया गया है। कहानी की एक पात्र राधा, जब शहर से गाँव लौट रही थी तो उसके सारे पैसे चोरी हो गए। तब एक ऐसे शख्स ने उसकी मदद की जो कभी शहर गया ही नहीं था। यह घटना सोचने पर विवश करती है कि वाकई कर्मों का फल इस धरती पर भी मिल जाता है।
ग्रामीण परिवेश में फलती-फूलती ये कहानियाँ भाग-दौड़ की जिन्दगी से उठी थकान को दूर करने में जरूर सफल होगी, ऐसी आशा है। पाठकों के लिए कहानी संग्रह “सुलभ प्रेम दुर्लभ” अमेजन पर उपलब्ध है। इसके लेखक श्री आर्केश हैं। प्रकाशक -निखिल प्रकाशन है। पृष्ठ संख्या – 123 व इस पुस्तक का मूल्य 100/- रुपये है।