सावधान, झारखण्ड की बेटियों, जब तक रघुवर सरकार है, राज्य महिला आयोग का दरवाजा मत खटखटाना, नहीं तो उलटा लटका दी जाओगी
झारखण्ड की बेबस बेटियों/महिलाओं भूलकर भी अपने उपर हो रहे अत्याचार की बात, जब तक इस राज्य में भाजपा की रघुवर सरकार चल रही है, राज्य महिला आयोग से न करो, नहीं तो उलटा लटका दी जाओगी, जैसे अपने उपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ न्याय मांगने गई पुनम पुष्पा किंडो व पूजा ठाकुर को राज्य महिला आयोग ने उलटा लटका दिया, उसे ही दोषी ठहरा दिया, और इन दोनों के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई करने की अग्रतर कार्रवाई करने का आदेश भी दे दिया।
अगर आप राज्य महिला आयोग के आदेश वाद संख्या 205/17 देखें, तो साफ पता लगता है कि राज्य महिला आयोग ने इन दोनों बेटियों को न्याय दिलाने से ज्यादा मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के अधिकारियों व कर्मियों को बचाने में ज्यादा दिमाग लगाया, क्योंकि मामला सीधे मुख्यमंत्री से जुड़ा था, ऐसे में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण, जिनकी कृपा से इतना बड़ा पद पाई हैं, उसी के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई करने की अग्रतर कार्रवाई करने का आदेश कैसे दे देती, अंततः कल्याणी शरण ने वहीं किया, जो मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके लिए काम कर रहे लोगों के हित में था।
राज्य महिला आयोग के इस आदेश व इस अन्याय से वे लोग मर्माहत है, जिन्हें देश व राज्य की संवैधानिक संस्थाओं पर भरोसा था, वे साफ कहते है कि जब ऐसे लोग संवैधानिक पदों पर जायेंगे और वे अपने आकाओं को बचाने में ही ज्यादा दिमाग लगायेंगे, उनके समर्थकों को बचाने में ज्यादा दिमाग लगायेंगे, तो देश व राज्य की बेटियों का सम्मान कैसे सुरक्षित होगा? अब तो क्लियर हो गया कि राज्य की बेटियों को राज्य महिला आयोग से भी न्याय नहीं मिलेगा, ये बेटियां राज्य महिला आयोग द्वारा ही दोषी करार दे दी जायेंगी।
जरा देखिये राज्य महिला आयोग के अन्याय को, 22 जनवरी 2019 को एक पत्र जारी करती है, जिसमें वह लिखती है, कि वादी पूनम पुष्पा किंडो वगैरह के द्वारा झारखण्ड राज्य महिला आयोग में दिनांक 23 जनवरी 2017 एवं 16 मार्च 2018 को शिकायत पत्र समर्पित किया गया है, जो शिकायतवाद संख्या 205/17 के रुप में आयोग में पंजीकृत है। शिकायत पत्र में वर्णित तथ्यों की गहराई से निष्पक्ष एवं त्वरित जांच करने हेतु मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र, रांची के प्रभारी को आयोग के पत्रांक 165, दिनांक 17 अप्रैल 2018 द्वारा पत्र प्रेषित किया गया, जिसके अनुपालन में जांच प्रतिवेदन दिनांक 14 मई 2018 को आयोग को प्राप्त हुआ।
प्राप्त विस्तृत प्रतिवेदन में उल्लेखित है कि जनसंवाद केन्द्र के पूर्व कर्मियों द्वारा विभिन्न मंचों पर तरह–तरह के तथ्यहीन व बेबुनियाद आरोप वादी द्वारा लगाये गये। आयोग को तथ्य संबंधी साक्ष्य (कार्य के दौरान की गई निजी वार्तालाप की ऑडियो क्लिपिंग एवं अन्य) भी उपलब्ध कराये गये है। वादी के खिलाफ मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र द्वारा कृत कार्रवाई अनुशासनात्मक कार्रवाई है। अनुशासनहीनता के आरोप में निष्कासित निलंबित पूर्व कर्मियों द्वारा बेवजह मुख्यमंत्री जनसंवाद एवं संबंधित विभाग की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए इस तरह से विभिन्न मंचों पर अपना शिकायत पत्र जमा किये है।
प्राप्त जांच प्रतिवेदन में यह भी उल्लेखित है कि पूनम पुष्पा किंडो, पूजा ठाकुर वगैरह द्वारा कार्य के दौरान विभिन्न लोगों से निजी व अव्यवहारिक बातचीत करके फोन को व्यस्त रखना, सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाना, आंतरिक मूल्यांकण परीक्षा के बेहद असंतोषजनक प्रदर्शन करना, जैसे कारणों की वजह से इन्हें जनसंवाद केन्द्र द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई जो सर्वथा उचित कदम था।
झारखण्ड राज्य महिला आयोग की टीम द्वारा 14 मई 2016 को मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के क्रम में कुल 37 महिलाकर्मियों का अलग–अलग बयान दर्ज किया गया, जिससे यह प्रमाणित होता है कि जनसंवाद केन्द्र रांची के किसी महिलाकर्मी व अन्य लोगों को कोई परेशानी कभी नहीं हुई है। यहां का माहौल पूर्णतः पारिवारिक है। परियोजना पदाधिकारी, मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र रांची के पत्रांक MJSK/2018/43 दिनांक 14 मई 2018 के माध्यम से प्रस्तुत प्रतिवेदन तथा आयोग द्वारा दिनांक 14 मई 18 को मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के कुल 37 महिलाकर्मियों से पूछताछ के आधार पर आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि वादी द्वारा लगाये गये आरोप मनगढंत एवं असत्य है।
अनुशासनहीनता के लिए मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र, रांची द्वारा वादी के विरुद्ध की गई कार्रवाई के कारण ही वादी के द्वारा असत्य, अनर्गल व बेबुनियाद आरोप लगाये गये है। आयोग प्रतिवादी पर वादी द्वारा लगाये गये एक आरोप प्रमाणित नहीं पाते हुए इस वाद को संचिकास्त करता है। आयोग अनुशंसा करता है कि पूनम पुष्पा किंडो व पूजा ठाकुर के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई की जाये।
अब सवाल राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण से…
- क्या उनके पास उस समय का सीसीटीवी फूटेज है, जिस समय की यह घटना है, अगर वह सीसीटीवी फूटेज नहीं हैं, तो उस सीसीटीवी फूटेज को संरक्षित रखने का काम किसका था, मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र चला रहे अधिकारियों का/ सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों का या उन दोनों बेटियों का, जिसने आरोप लगाये कि उनके साथ गलत व्यवहार होता है, आखिर वे कौन लोग है, जो उस वक्त के सीसीटीवी फूटेज को नष्ट कर दिया? क्या राज्य महिला आयोग ने इसकी जांच की? और बिना सीसीटीवी फूटेज के वो इतना बड़ा फैसला कैसे उन दोनों बेटियों के खिलाफ सुना दी, जबकि संदेह के आधार पर तो दोषी मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र चला रहे लोग ही हैं।
- राज्य महिला आयोग बताएं कि दुनिया का वह कौन ऐसा संस्थान हैं, जहां काम करनेवाले लोग अपने मालिक के खिलाफ उनके रहते बयान दे दें, क्या वे इसलिए बयान देंगे कि वह अपने मालिक के खिलाफ बोलेगा या बोलेगी, तब भी राजा हरिश्चन्द्र की तरह उसका मालिक अपने यहां उसे काम करने देगा, वेतन थमायेगा? कमाल की बात है, कल्याणी शरण जी, आपने बड़े ही दावे से कह दिये कि आपकी टीम 37 महिलाकर्मियों से बात की।
- कल्याणी शरण जी, आपको तो यह बात जरुर मालूम होगा कि ये मुख्यमंत्री जनंसवाद केन्द्र, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के मुख्यालय में चलता है, जिस पर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का नियंत्रण है, जब आपकी टीम 37 महिलाकर्मियों से जाकर वहां मिल आई, तो आपकी टीम सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में कार्यरत विभागीय महिला यौन उत्पीड़न निरोध शिकायत समिति की अध्यक्ष से क्यों नहीं मिली, उनसे क्यों नही सम्पर्क साधा, जबकि मामला बहुत ही गंभीर था, महिला यौन उत्पीड़न से संबंधित था? क्या आपको मालूम नहीं कि निर्भया कांड के बाद ही भारत सरकार ने हर विभाग में इस प्रकार की कमेटी गठन करने का ऐलान किया था, ताकि किसी बेटी के साथ गंदा सलूक या अत्याचार न हो, आपकी टीम या आपने विभागीय महिला यौन उत्पीड़न निरोध शिकायत समिति की अध्यक्ष के मंतव्यों को क्यों नहीं सुना, क्या इसकी जरुरत नहीं थी, मैं आपको बताता हूं, आप विभागीय महिला यौन उत्पीड़न निरोध शिकायत समिति की अध्यक्ष से मिलने की जरुरत ही नहीं समझी, क्योंकि आपको पता था कि वहां जायेंगी तो दूध का दूध और पानी का पानी करना पड़ेगा, इसलिए आपने मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके इर्द–गिर्द घुमनेवाले लोगों के इशारों पर वो काम कर दिया, जिसकी जितनी निंदा की जाय कम है, साथ ही आपके क्रियाकलापों पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
- क्या आपने मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय द्वारा बनाई गई त्रिसदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट देखी है? जिसमें विभागीय महिला यौन उत्पीड़न निरोध शिकायत समिति की अध्यक्ष सुनीता धान, सहायक निदेशक सह सदस्य विभागीय महिला यौन उत्पीड़न निरोध शिकायत समिति अविनाश कुमार, सहायक सह सदस्य विभागीय महिला यौन उत्पीड़न निरोध शिकायत समिति निधि स्मिता टोपनो शामिल थी, उन्होंने जो अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय को सौंपी, क्या आपने उस रिपोर्ट को देखा? आपने इसकी जरुरत ही नहीं समझी होगी? क्योंकि आपको लगा होगा कि ये विभागीय महिला यौन उत्पीड़न निरोध शिकायत समिति क्या चीज है, जो वो बोल देगी, वहीं सत्य हो जायेगा, जबकि ये पूर्णतः गलत है, आप विभागीय महिला यौन उत्पीड़न निरोध शिकायत समिति को नजरदांज नहीं कर सकती।
- जिस समय की ये घटना थी, उस समय सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के प्रधान सचिव एवं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार थे, क्या आपने उनसे सम्पर्क किया, उनकी राय ली, आप तो राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हैं, आपने उनसे क्यों नहीं उनके विचार लिये, क्योंकि जिस दिन की ये घटना है, उसी दिन ये दोनों बेटियां मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में बैठकर, सारी बातें उन्हें विस्तार से बताई थी और उन्होंने उस वक्त मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र चला रहे लोगों को कड़ी डांट भी पिलाई थी।
- आपने मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र द्वारा परोसे गये झूठ को सही मान लिया, जबकि त्रिसदस्यीय कमेटी अपने जांच रिपोर्ट में लिखी है “शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत दायर करने के बाद स्वयं नियोक्ता द्वारा सभी महिलाकर्मियों से जनसंवाद केन्द्र में उनके प्रति सकारात्मक एवं मर्यादित व्यवहार किये जाने के बाबत् लिखित उद्घोषणा की आवश्यकता क्यों पड़ी? कोई भी महिलाकर्मी नियोक्ता के प्रति पेशेवर निष्ठा एवं अपनी आर्थिक वचनबद्धता के कारण सार्वजनिक तौर पर संस्थान के बारे में किसी भी तरह की नकारात्मक टिप्पणी नहीं कर सकती थी।” और यह शत प्रतिशत सही भी है।”
- आपने मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र द्वारा परोसे गये झूठ को सही मान लिया, जबकि त्रिसदस्यीय कमेटी अपने जांच रिपोर्ट में लिखी है “PRI TO PRI CONVERSATION की नियोक्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये आडियो रिकार्डिंग से प्रतीत होता है मि.सुमित कुमार द्वारा कार्यस्थल पर मिस पूनम पुष्पा किंडो से किया गया वार्तालाप केजूयल था” और आपने इस कैजूयल बातचीत को भी गंभीर बताते हुए दोनों बेटियों को ही दोषी ठहरा दिया।
- कमाल है, कैसी आपकी टीम है, जो 37 लड़कियों से मिल ली और उसे सच्चाई का पता ही नहीं चला, जबकि त्रिसदस्यीय टीम ने अपने रिपोर्ट में साफ लिखा कि “Someone secretly asked for the justice and it was said that everybody knows about the unethical practices at the workplace but no one would dare to speak publicly against employer because of their financial need and fear of expulsion from the job and manhandling at the hand of employer.”
- राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण जी, आपके द्वारा दिया गया आदेश साफ बताता है कि आपने न्याय किया ही नहीं है, हमें तो लगता है कि उपर से आपको आदेश आया है कि ऐसा लिखकर दे दो, आपने दे दिया, कमाल है जिस मामले पर चर्चा चल रही, उस मामले को ही गौण कर दिया गया, होना तो ये चाहिए था कि जिसने सीसीटीवी के फूटेज को डिलीट किया, उसे संरक्षित नहीं किया, उसे उलटा लटकाया जाता, पर यहां तो दो बेटियां ही कसूरवार ठहरा दी गई, ये कहकर कि उनके साथ काम कर रही लड़कियां उनके बातों को समर्थन नहीं कर रही, अरे वो समर्थन करेंगी कैसे?
- कल्याणी शरण जी, जरा वो त्रिसदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट को फिर से देख लीजियेगा, आपको अपना चेहरा नजर आ जायेगा, ईश्वर से डरिये, रघुवर दास आज है, कल नहीं रहेंगे, पर आपके द्वारा किये गये कर्म ही आपको आगे या पीछे ले जायेंगे। आपने वो काम किया है, जिसकी जितनी निंदा की जाय कम है। आपने राज्य की करोड़ों बेटियों के चेहरे से मुस्कान छीन ली, उन्हें पता चल गया कि राज्य महिला आयोग उनके लिए नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री तथा उनके सहयोगियों को बचाने के लिए बनाई गई है, जिसका आपने अक्षरशः पालन कर दिया, वाह कल्याणी शरण जी वाह, मान गये आपको, आपके न्याय को, आपके भाजपा के प्रति तथा उससे संबंधित लोगों को बचाने के लिए आपके मन में चल रहे समर्पण की भावनाओं को।
पत्रकार महोदय,
ये बहुत घटना बहुत दुःखद है हम झारखण्ड के लोगो को डूब मारने वाली बात है परन्तु इस कृत्य को भाजपा से न जोड़े ये मेरा आपसे नम्र निवेदन है, माननीय मोदी जी से लेकर सभी नेता कार्यकर्ता महिलाओं के मामले में संवेदनशील रहे हैं उनके नाम से कई केंद्र सरकार द्वारा योजनाएं भी चल रही है।
धन्यवाद