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सावधान, सरकार में शामिल लोग ही ठगी करा रहे हैं, ताजा मामला ITI बोकारो में पूल कैम्पस का

झारखण्ड सरकार, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग, प्राचार्य का कार्यालय, औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग, बोकारो ने विभिन्न अखबारों के माध्यम से निजी क्षेत्र की कंपनी में नियुक्ति हेतु POOL CAMPUS 2018 से संबंधित सूचना का एक विज्ञापन निकाला हैं, जिसमें कहा गया है कि राज्य के बेरोजगार युवकों/युवतियों को निजी क्षेत्र में नियोजित कराने के उद्देश्य से औद्योगिक प्रशिक्षण स्थान बोकारो के परिसर में ग्लोबल एचआर सर्विसेज नोएडा यूपी 201301 के द्वारा दिनांक 14 सितम्बर को तकनीकी अभ्यर्थियों एवं 15 सितम्बर को गैर-तकनीकी अभ्यर्थियों के लिए पूल कैम्पस का आयोजन किया जा रहा है।

जिसमें मारुती सुजूकी अहमदाबाद, जय भारत मारुती अहमदाबाद, भारत सीट्स गुड़गांव, फिल्पकार्ट एनसीआर, मिन्ट्रा दिल्ली-एनसीआर और रिविजो लॉजिस्टिक पैन इंडिया/झारखण्ड से जुड़ी कंपनियां भाग लेगी। विज्ञापन में उल्लेखित हैं कि पुल कैम्पस में भाग लेने के इच्छुक अभ्यर्थियों को ग्लोबल एचआर सर्विसेज नोएडा, यूपी 201301 के द्वारा निबंधित किया जाना है, जिसका निबंधन शुल्क एक हजार रुपये हैं, जो ग्लोबल एचआर सर्विसेज नोएडा को देय होगा, बिना निबंधन के कोई भी अभ्यर्थी इसमें भाग नहीं ले सकते।

इस सरकारी विज्ञापन में यह भी कहा गया है कि उपरोक्त रिक्तियां निजी क्षेत्रों से संबंधित है, इसलिए रिक्तों की शर्तों के लिए सीधे नियोजक उत्तरदायी है। विभाग एवं औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, बोकारो मात्र सुविधा प्रदात्ता के रुप में कार्य कर रहे हैं। नोट – औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान,बोकारो के द्वारा कोई भी शुल्क नहीं लिया जायेगा, एवं पूल कैम्पस में भाग लेने के लिए किसी भी प्रकार का भत्ता देय नहीं होगा। प्राचार्य, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, बोकारो।

कमाल की बात है, एक तो सरकारी विज्ञापन, वह भी निजी कंपनियों के लिए, जिसमें खुद औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान का प्राचार्य अभ्यर्थियों से एक हजार रुपये का निबंधन शुल्क की मांग एक निजी कंपनी के लिए कर रहा है, क्या ये सही हैं? अगर केवल सुविधा प्रदात्ता के रुप में ही औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बोकारो, उक्त कंपनी के साथ खड़ा हैं तो फिर वह सुविधा प्रदात्ता ही रहता, एक खास कंपनी के लिए सरकारी विज्ञापन निकालने और उसके लिए धन इकट्ठे करने की डिमांड की आवश्यकता क्यों?

हालांकि इस विज्ञापन पर, कई बुद्धिजीवियों ने अंगूलियां उठाई हैं, और कई लोगों ने संबंधित कंपनी की खोज खबर लेना चाही तो उक्त कंपनी का कहीं, ठौर-ठिकाना ही नजर नहीं आ रहा। ऐसे में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, बोकारो ने ग्लोबल एचआर सर्विसेज नोएडा की ओर से इतना भारी भरकम विज्ञापन, और उसमें भी ग्लोबल एचआर सर्विसेज नोएडा के लिए एक हजार रुपये प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए निबंधन की मांग का, विज्ञापन में कैसे जिक्र कर दिया, और अगर ऐसे में रोजगार के नाम पर जब हजारों जुटेंगे और उन बेरोजगार युवकों/युवतियों से कुछ गलत होता हैं तो इसका जिम्मेवार कौन होगा? क्योंकि हाल ही में, इस प्रकार की घटना झारखण्ड में आम बात हो गई हैं।

कल की ही बात है कि मुख्य सचिव ने कौशल विकास की मीटिंग में ही बात उठा दी कि आखिर, कौशल विकास के नाम पर, दी गई नियुक्तियों में युवकों/युवतियों की कोई दिलचस्पी क्यों नहीं, तो सवाल उठता है कि आप यहां पर कहोंगे कि हम आपको 20 हजार की नौकरी देंगे और जहां भेजोगे, वहां पांच-छह हजार की नौकरी थमा दोगे तो बेचारे ये बेरोजगार क्या करेंगे?

कमाल है, ये एक हजार रुपये, निबंधन के नाम पर प्रत्येक अभ्यर्थियों से जो मांग की जा रही हैं, इस रुपये का भुगतान सरकार ही क्यों नही कर देती, या इसका जिम्मा सरकार ही क्यों नहीं उठा लेती, ये तो सीधे फ्राडिज्म हैं, इतने रुपये की मांग तो क्लर्क या आइएएस या आइपीएस की नौकरी के लिए भी नहीं की जाती, तो फिर ऐसा इसमें क्या है कि ग्लोबल एचआर सर्विसेड नोएडा निबंधन के नाम पर 1000 रुपये प्रत्येक अभ्यर्थियों से वसूल रही हैं और इसमें सहयोग औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थान बोकारो कर रहा है।

झारखण्ड सिविल सोसाइटी के सोशल साइट पर ये मुद्दा गरमाया हुआ है। आर पी शाही ने विष्णु रजगढ़िया के एक टवीट को शेयर करते हुए कहा है कि इस कंपनी का वेबसाइट गुगल को सर्च करने पर नहीं पाया गया। विष्णु रजगढ़िया ने अपने टविटर पर लिखा है कि बोकारो में 14 सितम्बर को श्रम नियोजन विभाग का कैम्पस है, इसमें ग्लोबल एचआर सर्विसेस हर आवेदक से 1000 वसूलेगी। यह गलत है। यह खर्च सरकार उठाएं। नौजवान ठगे न जाएं, ये गांरटी हो।