झारखण्ड के कृषि मंत्री पर दलित उत्पीड़न का केस, रणधीर सिंह का विवादों से रहा है गहरा रिश्ता
कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह फिर विवादों में है। इस बार विवाद में होने का मूल कारण अलुवारा पंचायत के मुखिया जयदेव महरा द्वारा इनके खिलाफ दलित उत्पीड़न का केस दर्ज करवाना है। जयदेव महरा ने इन पर आरोप लगाया है कि 13 अक्टूबर को सायं 4 बजे प्रखण्ड प्रमुख के यहां चाय नाश्ते के एक कार्यक्रम में कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने जाति सूचक शब्द का प्रयोग किया और गंदी-गंदी गालियां दी। आपत्ति दर्ज कराने पर कृषि मंत्री और उनके अंगरक्षक ने मुखिया के साथ धक्का-मुक्की भी किया।
जब इस घटना की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए मुखिया जयदेव महरा थाने में गये, तब थाना प्रभारी ने प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार किया, उसके बाद इसकी लिखित सूचना उन्होंने आरक्षी अधीक्षक को दी। पुनः 15 अक्टूबर को रात्रि के दस बजे कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह एवं उनके अंगरक्षक तथा अन्य उनके घर का मुख्य दरवाजा का ताला तोड़कर घर में घुस गये, तथा गालियां देने लगे, एवं जातिसूचक शब्द का प्रयोग किया और राइफल तान दिया।
जयदेव महरा ने कृषि मंत्री पर आरोप लगाया है कि घर से निकलते वक्त, सादे कागज पर उनसे हस्ताक्षर भी करवा लिये गये है। जयदेव महरा ने यह केस अनुमंडल व्यवहार न्यायालय में दर्ज कराया है। इधर कृषि मंत्री के कम्प्यूटर आपरेटर राहुल ने भी मुखिया व अन्य नौ लोगों पर केस दर्ज कराया है। उसने केस में इस बात को उद्धृत किया है कि वह कृषि मंत्री के साथ योजना निरीक्षण के लिए उक्त स्थल पर गया था, जहां अलुवारा पंचायत के मुखिया ने उसके साथ गाली गलौज व मारपीट किया।
कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह अपने व्यवहारों से हमेशा से विवाद में रहे हैं, वे किसी को बोलने भी नहीं देते, उन्हे लगता है कि वे जो कर रहे हैं, वह ध्रुवसत्य है, आपको याद होगा, हाल ही में रेडिशन ब्लू में प्रभात खबर के जन्मोत्सव कार्यक्रम में कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज को अपमानित कर दिया था, उन्हें अपनी बात रखने तक नहीं दिया था, खुब हंगामा भी किया, जिससे कार्यक्रम कुछ मिनटों के लिए बाधित भी रहा। उस कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह भी उपस्थित थे, केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह उनसे बार – बार शांत रहने को अनुरोध कर रहे थे, पर वे कहां चुप होनेवाले थे। अंत में ज्यां द्रेज को अपनी बात बीच में ही समाप्त करना पड़ा और फिर वे उक्त कार्यक्रम से निकल गये, जिसकी कई संस्थाओं व बुद्धिजीवियों ने कड़ी आलोचना भी की थी।