राजनीति

‘यावज्जीवेत्सुखं जीवेत्’ के चार्वाक सिद्धान्त पर चल पड़ी रघुवर सरकार

‘यावज्जीवेत्सुखं जीवेत्’ के चार्वाक सिद्धान्त पर चल पड़ी रघुवर और उनके कनफूंकवों की सरकार
यावज्जीवेत्सुखं जीवेत्, ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्। भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः।।अर्थात् जब तक जीयो सुख से जीये, ऋण लेकर घी पीओ, अर्थात् सुख प्राप्त करने के लिए जो भी कर्म करना पड़े, करो। हो सके तो दूसरों से, इसके लिए कर्ज भी प्राप्त कर लो, क्योंकि तीनों वेदों के रचयिता महाधूर्त, मसखरे, निशाचर रहे हैं। जिन्होंने आमलोगों को मूर्ख बनाने के लिए आत्मा-परमात्मा, स्वर्ग-नरक, पाप-पुण्य जैसी बातों का भ्रम फैलाया है।

ठीक इसी सिद्धांत का अनुसरण कर रही हैं, राज्य की रघुवर सरकार। यह भी जब तक सत्ता में हैं, कानून तोड़ेंगे, अनाप-शनाप खर्च करेंगे, स्वयं के लिए बैन-पोस्टर-होर्डिंग लगाकर प्रचार करायेंगे और इसके लिए ऋण की भी जरुरत पड़े तो वह भी दांत निपोड़ते हुए ले लेंगे, उसे कैबिनेट से निर्लज्जतापूर्वक पास करायेंगे। जैसा कि कल मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कैबिनेट मीटिंग के दौरान किया, जरा देखिये कल क्या किया इन्होंने। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में ब्रांडिग के मद में खर्च किये गये 40.55 करोड़ जेसीएफ लोन लेकर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को उपलब्ध कराने का फैसला ले लिया।

जहां ऐसी सरकार हो, जो जनता की ब्रांडिग न कराकर, खुद की ब्रांडिग कराये, वह भी लोन लेकर उसका पैसा चुक्ता कराएं, और वह पैसा इन्हीं के कनफूंकवों के माध्यम से उनके चाहनेवाले ब्रांडिग कंपनियों, अखबारों व चैनलो को जाय, तो इसी से स्पष्ट हो जाता है कि इस सरकार की अब एकमात्र यहीं सोच हो गई है कि जब तक सत्ता में रहो, मस्ती से सत्ता सुख भोगो, कल सत्ता हाथ से निकल जायेगी, तो फिर ये आनन्द कैसे और कहा मिलेगा? इसलिए ईश्वर तथा नरेन्द्र मोदी की कृपा से मिले इस सत्ता का परम आनन्द प्राप्त करते हुए, इस दुनिया से विदा लो।