चीन ने कहा भारतीयों की हिम्मत नहीं चाइनीज प्रोड्क्टस का इस्तेमाल बंद कर दें, फिर भी भारतीयों का स्वाभिमान नहीं जग रहा
आप होली की मस्ती में डूबे रहिये और इधर चीन की गिद्धदृष्टि भारत पर आकर जम गई है। लीजिये फिर उसने धमकी दे डाली और आपके स्वाभिमान को ललकारते हुए कहा, भारतीयों तुम्हें चाइनीज प्रोडक्टस इस्तेमाल करने ही होंगे। शायद चीन को पता है कि भारतीयों का कोई स्वाभिमान नहीं होता, वे वहीं करते हैं, जो उन्हें करने में आनन्द देता हैं। भारतीय, जापानियों या इजराइल के नागरिकों की तरह नहीं कि जो कहें और वे करें।
भारत तो अपने आप में एक नमूनों से भरा देश है, जहां देशद्रोहियों की एक बहुत बड़ी आबादी बसती है, जिसे अपने देश की जय कहने में भी शर्मिंदगी महसूस होती है। जरा देखिये, आखिर चीन ने कहा क्या? चीनी सामानों के विरोध को लेकर चलाये गये कैंपेन से नाराज चीन ने भारत को धमकी दे डाली, उसने कहा कि टिवटर पर हल्ला कम मचाएं, वास्तविकता का सामना करें, ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि चाहे या न चाहे भारत को चाइनीज प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने ही होंगे।
एक समय था, कि भारतीयों की देशभक्ति की गूंज पूरे विश्व में सुनाई देती थी, जिस भारत को देखने व जानने के लिए चीनी यात्री ह्वेनसांग व फाहियान भारत आये थे, और उस वक्त इन दोनों यात्रियों ने भारत और उसकी शासकीय व्यवस्था, यहां के लोगों के रहन–सहन व देशभक्ति की भूरि–भूरि प्रशंसा की थी, जो विश्व के इतिहास में दर्ज हैं, और आज की स्थिति देखिये, वही चीन हमें धमकी देता है, वहीं चीन हमारे स्वाभिमान को ललकार रहा हैं, और हम उसे जवाब भी ठीक से नहीं दे पाते।
हमारे देश के नेता व प्रशासनिक अधिकारी तो चीन जाने का सपना देखते हैं, वे भारतीयों के पैसों से चीन जाकर, आनन्द लूटते हैं, और उन्हें अपने देश बुलाकर निवेश करने को कहते हैं, एक नमूना तो ऐसा है कि रांची में शंघाई टावर बनाने की बात करता है, जैसे लगता है कि रांची में शंघाई टावर बन जायेगा तो सारी समस्याएं ही समाप्त हो जायेगी।
कभी चीन के शासकों से ये सुना है कि वे अपने यहां ताजमहल बनायेंगे, अजी उन्हें जरुरत क्या है? ताजमहल बनाने की, वे कुछ नया नहीं करेंगे, जिससे पूरे विश्व में छा जाये, ऐसे भी वे ताजमहल बनायेंगे तो उनके ताजमहल को कोई असली ताजमहल थोड़े ही कहेगा, ऐसे में करोड़ों–अरबों खर्च कर नकलची बनने से क्या फायदा? क्यों न कुछ ऐसा किया जाये, जिससे वे पूरे विश्व को अपने कदमों में झूका दें, जो चीन ने किया।
आज वह अमरीका को टक्कर दे रहा हैं और हमारे नेताओं ने भारत को चीन के आगे विवश कर दिया, ये कटोरा लेकर चीन के सामने खड़े हैं, पूरे भारत को चीन के आगे बाजार के रुप में पेश कर दिया और चीन के नेता बराबर भारत के इस रुप को देखकर हंसते हैं, कि यहां के नेता व प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कैसे और कितने गिरे हुए हैं? जो अपने देश को चीन के आगे नाक रगड़वाने में ज्यादा रुचि रखते हैं।
जरा देखिये न क्रिकेट के मैदान में कैसे भारतीय खिलाड़ी चीन की एक कंपनी का टीशर्ट पहनकर इठलाते हैं और वहीं चीन हमारे जवानों के साथ भारत–चीन सीमा पर क्या करता हैं? वह किसी से छुपा नहीं है। ये तो हमारे जवान है, जो गरीब परिवारों से आते हैं, फिर भी वे विपरीत परिस्थितियों में देश की रक्षा करने के लिए अपनी जान हथेली पर रखकर चीनी बंदूकों का सामना कर रहे हैं।
ये भारतीय जवान जानते है कि चीनियों के पास जो अत्याधुनिक हथियार हैं, उसे उन तक पहुंचाने में भारतीयों का ही हाथ हैं, पर वे क्या करें? भारतीयता की सीख वे कहां से दे? वे जानते है कि भारत के लोग चीनी सामानों को खरीदकर बहुत ही आनन्दित होते हैं, और चीनी व्यापारी और चीनी सरकार, उनकी इस मूर्खता और काहिली पर हंसते हैं, पर वे कर ही क्या सकते हैं।
चीन की ग्लोबल टाइम्स ने ठीक ही कहा कि अरे भारतीयों तुम कुछ भी कर लो, सोशल साइट पर कुछ भी चिल्ला लो, तुम्हें चीनी प्रोड्क्टस खरीदने ही होंगे, क्या इसके बावजूद भी भारतीयों का स्वाभिमान जगेगा, मैं तो कहूंगा कि जिनके पास स्वाभिमान होता हैं, उसका स्वाभिमान जगता है, भारतीयों को स्वाभिमान कहा, इसे तो पाकिस्तान जैसा देश प्रतिदिन ठोकता रहता हैं, और यहां के नेता दांत निपोर कर चुप हो जाते हैं, शर्म की बात है कि ग्लोबल टाइम्स के इस वक्तव्य पर किसी भारत के किसी भी मीडिया हाउस ने उसका जवाब तक नहीं दिया, इससे बड़े शर्म की बात और क्या हो सकती है?