सिविल सोसाइटी ने CM रघुवर को दी चुनौती, किसी भी जनोपयोगी कार्य की वास्तविकता पर करें बहस
झारखण्ड सिविल सोसाइटी ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को सोशल साइट के माध्यम से खुली चुनौती दे दी है। झारखण्ड सिविल सोसाइटी से जुड़े आर पी शाही ने ट्वीटर के माध्यम से झारखण्ड सरकार को चुनौती देते हुए लिखा है कि “मैं रवि प्रताप शाही जन्म से क्षत्रिय, कर्म से वैश्य और दिल से भारत का एक साधारण नागरिक, झारखण्ड की सरकार को चुनौती देता हूं कि वह विगत चार सालों में अपने किसी एक जनोपयोगी कार्य का विवरण देकर मुझे एक माह का समय दे दे, मैं उसके प्रचार व वास्तविकता के अंतर को उजागर कर दूंगा।”
आर पी शाही के इस चुनौती को सीएम रघुवर दास स्वीकार करेंगे या नहीं, ये तो बाद की बात है, पर इतना जरुर है कि आर पी शाही के इस चुनौती ने राज्य में एक नई क्रांति को जन्म दे दिया है, यानी अब समाज का एक जागरुक नागरिक भी, राज्य सरकार को चुनौती देने की स्थिति में हैं, साथ ही यह कहने की स्थिति में हैं कि वह उनके कार्यों से खुश नहीं हैं और सरकार के कार्य से सामान्य जनता को परेशानी बढ़ी है, भले ही राज्य सरकार को लगे कि उसने राज्य की जनता को बेहतर अवसर प्रदान किये हैं।
दरअसल राज्य सरकार बड़े पैमाने पर पिछले कई सालों में राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई अपने चेहरे चमकाने में लूटा दी, लेकिन सच्चाई अभी भी यहीं है कि राज्य की जनता आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है, खुद सरकार की कई बहुप्रतीक्षित योजनाएं अधर में लटक गई हैं, जिसका आभास राज्य में रह रहे सामान्य जनता को हैं, पर राज्य के मुख्यमंत्री इस बात को मानने को तैयार नहीं, उनके सामने जो राज्य के अधिकारियों का समूह जो गलत तस्वीर लाकर प्रकट कर रहा हैं, वे उसे देखकर प्रसन्न हो जा रहे हैं, पर स्थितियां ठीक इसके उलट हैं।
आर पी शाही के इस चुनौती को कई बुद्धिजीवियों ने सराहा हैं, उनका कहना है ये बेहतर लोकतंत्र के लिए जरुरी है, तथा सरकार को नकेल कसने के लिए भी जरुरी है, क्योंकि सरकार फिलहाल मदांध है, उसे पता ही नहीं कि उन्होंने राज्य की जनता को किस अंधेरे में रख रखा है, ये अलग बात है कि जनता कुछ बोलती नहीं, बस चुपी लगा जाती है और जब चुनाव आते हैं तो वह सरकार को उखाड़ फेकती हैं, पर सच्चाई यह भी है कि यह समस्या का समाधान नहीं, क्योंकि फिर जब कोई दूसरा आता हैं तो राज्य का आइएएस-आइपीएस उक्त सत्तारुढ़ दल के नेता को हाइजैक कर अपनी मनमानी करने लगता हैं।
राज्य सरकार को चाहिए कि आर पी शाही की चुनौती स्वीकार करें, अगर वे चाहते है कि सचमुच राज्य प्रगति करें तो, नहीं तो जैसे चल रहा हैं, चलने दें क्या फर्क पड़ता हैं, जनता तो पीसने के लिए ही बनी हैं, और राजा उन्हें अपने पैरों से मसलने के लिए, जनता भी तैयार और राज्य के राजा यानी सीएम भी तैयार, करते रहे मनमानी, चलाते रहे सरकार।