बाल दिवस पर बाल पत्रकारों से मिले CM हेमन्त, एक सवाल के जवाब में कहा 24 में से 20 घंटे राज्य की जनता की सेवा में लगे रहते हैं
बाल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में यूनिसेफ के बाल पत्रकारों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने बाल पत्रकारों द्वारा स्पोर्ट्स, समावेश और विविधता पर पूछे गये सवालों का गंभीरता पूर्वक जवाब दिया और बाल पत्रकारों को हर प्रकार से संतुष्ट करने का प्रयास किया। बाल पत्रकारों में रांची जिले के सात प्रखंडों के 20 बाल पत्रकार शामिल थे। अब जरा देखिये बाल पत्रकारों ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से कौन-कौन से सवाल पूछे।
अनन्या – आप बचपन से ही मुख्यमंत्री बनना चाहते थे या फिर आपका कोई और सपना था?
हेमन्त सोरेन – आमतौर पर बचपन में मैं मुख्यमंत्री या मंत्री बनने के विषय पर नहीं सोचा था। मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं ऐसे परिवार से आता हूं जहां मेरे पिताजी आदरणीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी एक आंदोलनकारी रहे हैं। आंदोलनकारी और पॉलीटिशियन में बहुत अंतर है। हमारे पिताजी और परिवार के साथ कई ऐसे घटनाक्रम घटे जहां से राजनीति की शुरुआत हुई। संयोग से मैं राजनीतिक क्षेत्र में आया। राजनीति के क्षेत्र में आने के बाद राज्य की जनता ने आज मुझे मुख्यमंत्री बनाया। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे झारखंड की जनता ने राज्य के मुख्य सेवक के रूप में सेवा देने का मौका दिया है।
अनुप्रिया – हमारे राज्य में बहुत सी लड़कियां हैं जो खेलकूद में आगे रही हैं, पर आज भी कुछ माता-पिता अपने बेटियों को खेलने से मना करते हैं, और उनके मनोबल को तोड़ते हैं। उन माता-पिता को आप क्या कहना चाहेंगे?
हेमन्त सोरेन – मैं अपनी ओर से उन सभी बच्चियों के माता-पिता से आग्रह करता हूं कि जो बच्चियां खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हैं उन्हें जरूर मौका दें। बच्चियों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने से रोकें नहीं। पढ़ाई लिखाई जीवन में जितना जरूरी है उतना ही जरूरी खेल भी है। खेल के क्षेत्र में बच्चे अब अपना करियर के साथ-साथ परिवार और देश-दुनिया में राज्य का नाम भी रोशन कर रहे हैं।
शिवम – आपके अनुसार बाल अधिकारों को सुनिश्चित करना कितना महत्वपूर्ण है?
हेमन्त सोरेन – बाल अधिकार सुनिश्चित होना महत्वपूर्ण विषय है। हमारी सरकार का प्रयास है कि हरसंभव बाल अधिकारों का संरक्षण हो। बाल अधिकार पहले भी जरूरी था अब भी है और आगे भी रहेगा। बच्चों के अधिकारों को उन तक पहुंचाना सुनिश्चित किए जाएंगे तभी बच्चे भविष्य में अच्छा कर सकेंगे।
डिंपल – आपने खेल को प्रोत्साहन देने के लिए बहुत सारे पहल किए हैं, वह कौन से पहल हैं जिसके माध्यम से लड़के एवं लड़कियों को समान रूप से खेलने का अवसर मिलेगा?
हेमन्त सोरेन – हमारी सरकार ने राज्य में खेल प्रोत्साहन के लिए कई सारे पहल किए हैं। मुख्यमंत्री ने फुटबॉल खिलाड़ी अष्टम उरांव का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य में कई बच्चियां हैं जिन्होंने फुटबॉल के क्षेत्र में परिवार और राज्य का नाम रोशन किया है। झारखंड की कई महिला खिलाड़ियों ने हॉकी, तीरंदाजी, फुटबॉल सहित कई खेल में सीमित संसाधनों के साथ अपने करियर को उड़ान दिया है। अभाव में भी अपने हुनर को आगे बढ़ाया है। हमारी सरकार झारखंड के सभी खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। हमने खेल नीति के तहत नेशनल इंटरनेशनल पदक विजेताओं को नौकरी में भी आरक्षण देने का काम किया है। पंचायत, प्रखंड एवं जिला स्तर में खेल मैदान बनाए जा रहे हैं। राज्य सरकार खेल के क्षेत्र में लड़का लड़की सभी को समान अवसर दे रही है।
पलक – आपको बचपन में कौन सा खेल पसंद था, क्या आप उस खेल को अभी भी खेलते हैं?
हेमन्त सोरेन – मैंने बचपन में कुछ स्पोर्ट्स को छोड़कर बाकी सब खेल खेले हैं। खेलने के क्रम में कई बार गंभीर चोटें भी लगी हैं। मैं बचपन में स्विमिंग, बैडमिंटन, क्रिकेट, एथलेटिक्स इत्यादि खेलों में पार्टिसिपेंट किया है। अभी भी विधानसभा सत्र के समय विधानसभा अध्यक्ष एकादश एवं विधायक एकादश के बीच क्रिकेट मैच का आयोजन होता है। वहां भी मैं पार्टिसिपेंट करता हूं। हालांकि अब व्यस्तता रहने के कारण कोई भी खेल लगातार नहीं खेल पाता हूं।
करण- आपकी सफलता के पीछे किन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है?
हेमन्त सोरेन – मेरी सफलता में सबसे पहले मेरे माता-पिता का योगदान रहा है फिर मेरी पत्नी का भी सपोर्ट काफी रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं 24 में से 20 घंटे राज्य की जनता की सेवा लिए समर्पित रहता हूं। व्यस्तता रहने के कारण परिवार एवं बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाता हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को ऐसा लगता है कि राजनीति अच्छा और ग्लैमर है परंतु मैं जानता हूं कि राजनीति बिल्कुल इनके विपरीत है।
सरिता – हमारे राज्य की किस समस्या को आप एक बड़ी चुनौती के रूप में देखते हैं, और इसके समाधान में हम बच्चे किस प्रकार से योगदान दे सकते हैं?
हेमन्त सोरेन – राज्य में सबसे बड़ी चुनौती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कुपोषण है। हमारी सरकार का प्रयास है कि राज्य में कुपोषण जड़ से समाप्त हो और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराया जा सके। क्वालिटी एजुकेशन को लेकर हमारी सरकार निरंतर प्रयासरत है। राज्य में शिक्षा का नया स्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है। अब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी निजी विद्यालयों की तर्ज पर शिक्षा मिल सके इस निमित्त राज्य सरकार पूरी तैयारी कर रही है। राज्य से कुपोषण को समाप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं।
गुलाफ़सा – आपके पिता इतने बड़े राजनेता हैं उनसे राजनीति के क्षेत्र में आपको सबसे बड़ी प्रेरणा क्या मिली?
हेमन्त सोरेन – मेरे पिताजी के संगत और त्याग से मुझे काफी प्रेरणा मिली। मेरे पिताजी ने बचपन, जवानी और बुढ़ापा यह सारे फेज राज्य के लिए और यहां की जनता के लिए समर्पित किया है।
सृष्टि – हम तीसरी बार आपसे मिल रहे हैं, हम बच्चों के साथ मिलकर आपको कैसा लगता है?
हेमन्त सोरेन – हम तो चाहते हैं कि तीसरी बार नहीं बल्कि बार-बार आप लोगों से मिलें। हम चाहते हैं कि आप से मिलते रहें और आपको हमारी योजनाओं का लाभ देते रहें। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना की शुरुआत की है। सावित्री बाई फुले दलित समुदाय से आने वाली एक शिक्षिका रही हैं। उन्होंने काफी संघर्ष और पीड़ा झेलते हुए बच्चियों को आगे बढ़ाने का काम किया था। हमारी सरकार ने राज्य की बच्चियों को प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ 18 साल उम्र पूरा होने पर एकमुश्त 40 हजार की आर्थिक सहायता दे रही है। दो बच्चियां उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहती है उनका सारा खर्चा राज्य सरकार वहन करेगी ऐसी योजना राज्य सरकार ने बनाई है।
इस अवसर पर उपस्थित अंडर-17 फीफा विश्व कप 2022 में भारत का नेतृत्व करने वाली फुटबॉलर अष्टम उरांव ने मुख्यमंत्री के समक्ष अपने अनुभव एवं खेल यात्रा की यादों को साझा किया। फुटबॉल खिलाड़ी अष्टम उरांव ने कहा कि उन्होंने अपने पापा को देखकर फुटबॉल खेलना प्रारंभ किया था। चार साल तक काफी प्रैक्टिस, मेहनत की। अष्टम उरांव ने बताया कि किस तरह से वर्तमान राज्य सरकार ने उन्हें मदद पहुंचाई। फुटबॉलर अष्टम उरांव ने कहा कि अंडर-17 फीफा विश्व कप 2022 में टीम को जरूर हार मिली परंतु सीखने को बहुत कुछ मिला। मैं और मेरी साथी खिलाड़ियों ने मैच जरूर हारे पर जज्बा नहीं हारे। मन से कभी नहीं हारे। अष्टम उरांव ने मुख्यमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के प्रयास से हमारे मैच हमारे पेरेंट्स ने भी लाइव देखा। अष्टम उरांव ने उपस्थित बच्चों का उत्साहवर्धन किया।
इस दौरान यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ कनीनिका मित्र ने कहा कि बच्चों के लिए भागीदारी, नेतृत्व और सशक्तिकरण के सिद्धांत को बढ़ावा देने के लिए हमने इस साल 14 नवंबर को बाल दिवस के अवसर पर बाल पत्रकारों को प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर मुख्यमंत्री के साथ बातचीत करने और अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए एक मंच दिया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से युवा एवं महत्वकांक्षी बाल पत्रकारों ने अनुभवी पत्रकारों की तरह भूमिका निभाई और मुख्यमंत्री के साथ सहज माहौल में बाल अधिकारों से संबंधित प्रश्न पूछे।
इस अवसर पर यूनिसेफ झारखंड की संचार विशेषज्ञ आस्था अलंग ने कहा कि बाल दिवस बच्चों को उनकी आवाज को व्यक्त करने में सक्षम बनाने और उनके विचारों को सुनने का दिन है। यूनिसेफ के द्वारा झारखंड में 12 वर्षों से अधिक समय से बाल पत्रकार कार्यक्रम चल रहा है जो बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करता है और उन्हें सीखने, खुद को व्यक्त करने तथा बाल अधिकारों के लिए कार्य करने और परिवर्तन के वाहक बनने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इस आयोजन के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रेस विज्ञप्ति तैयार करने के लिए यूनिसेफ के तीन बाल पत्रकारों हिमांशु कुमार, वैष्णवी प्रिया और लक्ष्मी कुमारी को फुटबॉल देकर पुरस्कृत किया।