अपनी बात

CM हेमन्त बताएं, 2021 के पहले प्रभात खबर के अनुज को गुरुजी पर किताब लिखने की यादें क्यों नहीं आई?

सीधा सवाल मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से, प्रभात खबर के कथित प्रख्यात पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा को 2021 के पहले दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जन्म तिथि याद क्यों नहीं आई? अनुज के किताबों को छापनेवाले प्रभात प्रकाशन भी बताएं कि प्रख्यात का अर्थ क्या होता है और किसी को भी प्रख्यात बताने का उसका पैमाना क्या है?

ये सारे सवाल इसलिए कि सुनने में आया है कि अनुज द्वारा लिखित दिशोम गुरु शिबू सोरेन के जन्म दिन पर रांची के आर्यभट्ट सभागार में एक कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है, जिसमें दिशोम गुरु से संबंधित तीन किताबें, दिशोम गुरु: शिबू सोरेन, Trible Hero: Shibu Soren एवं शिबू सोरेन(गुरुजी) की गाथा का लोकार्पण आपके हाथों द्वारा होने जा रहा है।

जनता जानना चाहती है कि प्रभात खबर के कार्यकारी संपादक का मात्र एक वर्ष में इतना जल्दी हृदय परिवर्तन, दिशोम गुरु के प्रति कैसे हो गया? क्या 2019 में सत्ता नहीं बदलती और रघुवर ही सत्ता में पुनः आ जाते तो ये तीन किताबें प्रभात प्रकाशन द्वारा अनुज के माध्यम से लिख दी जाती? क्या हेमन्त जी आपको मालूम नहीं कि अनुज की किताबें जो कल तक भाजपाइयों की रैलियों और उनके नेताओं के कार्यक्रम की शोभा बनती थी।

जिसे अनुज खुद भाजपा नेताओं को वे किताबें सौंपकर पुलकित हो जाते थे, फोटो खिंचवातें थे और उसे फेसबुक में चस्पा करते थे और खुद को इससे महिमामंडित करवा लिया करते थे। कुछ चित्र आपके सामने नीचे दिये गये हैं, रसास्वादन किजिये।

भाजपा नेता अमित शाह के साथ फोटो खींचवाकर गौरवान्वित और पुलकित होते अनुज

क्या हेमन्त सोरेन भूल गये कि अनुज की लिखी एक पुस्तक तो उस वक्त के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हवाई अड्डे पर सौंपा था, तो दूसरा इन्होंने खुद अमित शाह को सौंप कर फोटो खिंचवाई थी, मैं तो पूछता हूं कि आप उस वक्त नेता प्रतिपक्ष थे, कितनी बार उन्होंने आपसे मिलकर अपने पुस्तकों पर चर्चा की या उन्हें भेंट की। मैं पूछता हूं कि जिस निमंत्रण पत्र में इस बात का जिक्र है कि अनुज की पत्रकारिता 35 वर्ष की है, तो आप ही बताइये कि 2014-19 तक प्रभात खबर में आप और दिशोम गुरु कहां थे?

तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ वार्तालाप कर गौरवान्वित होते अनुज

लेकिन जैसे ही आप मुख्यमंत्री बने, लीजिये शुरु हो गया, उनके द्वारा आपके परिवार के प्रति प्रेम प्रकट करने का नाटक, जिसकी कड़ी में है, दिशोम गुरु पर लिखी तीन किताबें, जो पूर्णतः आपको अपने प्रेमजाल में फांसने के लिए लिखी गई है, नहीं तो आप ही बताएं, कि प्रभात खबर में ही एक चरित्रवान पत्रकार आज भी रांची में कार्यरत है, जिनकी कई पुस्तकें भारतीय ज्ञानपीठ जैसी प्रतिष्ठित संस्था द्वारा प्रकाशित हो चुकी है, ऐसे पत्रकार आपके लोगों से कई बार मिलें, ताकि वे आपको वो अपनी पुस्तकें भेंट कर सकें, पर आपके लोगों ने आपतक उन्हें पहुंचने ही नहीं दिया, ऐसे चरित्रवान पत्रकार का नाम है – सुशील भारती।

प्रभात खबर रांची के संपादक संजय मिश्र को अपनी पुस्तकें भेंट करते चरित्रवान पत्रकार सुशील भारती

जिनकी लिखी किताबें अनुज से कही अधिक श्रेष्ठ है, पर यहां हो क्या रहा है, जिसकी पहुंच सत्ता तक जितनी ज्यादा है, उसे तरमाल भी खूब मिल जाता है। कभी सुशील भारती से मिलिये, वे रांची के ही प्रभात खबर में काम करते हैं, पर उनकी दयनीय दशा कर दी है, इन प्रभात खबर वालों ने, हो सकता है कि ये न्यूज लिखने के बाद, उन्हें नौकरी से हटाने की भी कवायदें शुरु कर दी जाये, पर मैं यह भी ताल ठोककर कह देता हूं कि अगर उन पर कार्रवाई होती है तो मैं भी आमरण-अनशन करने को बाध्य होउंगा, समय और स्थान बाद में निश्चित कर दी जायेगी।

चरित्रवान पत्रकार सुशील भारती द्वारा लिखित पुस्तक का उपरिभाग का एक दृश्य

मैं देख रहा हूं कि राज्य में किसी का भी शासन हो, चाहे भाजपा का या झामुमो का, मजा वे ही लोग लेते हैं, जो हमेशा लेते रहे हैं, तीन चार पत्रकार और अखबारों/चैनलों को तो मैं निकट से ही जानता हूं, कि जैसे ही सत्ता बदली, ये लोग आपके समक्ष अब दंडवत् हो गये, जबकि यही लोग 2019 के पूर्व तक आपको कुछ समझते ही नहीं थे। मेरा विचार है कि आप सतर्क रहे, ऐसे चालाक लोगों से बचें, क्योंकि उनका मकसद आपके पिता को सम्मान करना नहीं, और नहीं दिशोम गुरु को जनता के दिलों में बैठाना है, उनका तो मकसद ही दूसरा रहा है कि शासन किसी का भी रहे, राज हमें ही करना है।

अगर ऐसा आपके शासन में भी हुआ, तो यहां की जनता जीते-जी मर जायेगी, फिर आनेवाले समय में कोई भी जनता किसी भी नेता या दल पर विश्वास नहीं करेगी, क्योंकि जब विश्वास टूटता हैं तो धरती तक हिल जाती है, उदाहरण कई है। जिसमें एक उदाहरण तो साफ है कि देखिये पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को, जिसके आगे-पीछे अनुज खुब किया करते थे, पर अब उन्हें रघुवर की जगह केवल हेमन्त ही दिखाई पड़ रहे हैं। जिसका प्रमाण है, दिशोम गुरु की याद और उन पर लिखी गई ये किताबें।

वे दिशोम गुरु, जिनके बारे में कभी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने कहा कि जब वे छोटे थे, तो गुरु जी के बारे में सुना करते थे, निश्चय ही अगर वे राजनीति में नहीं होते, तो वे बिरसा मुंडा की श्रेणी में होते। लेकिन आज क्या हो रहा है? सस्ती लोकप्रियता और अपनी गांठ मजबूत करने के लिए लोग गुरुजी का भी इस्तेमाल करने से नहीं चूक रहे। सवाल तो अभी भी है कि ये अचानक हेमन्त सरकार के एक साल पूरे होने के बाद आनेवाली 11 जनवरी को ही अनुज और प्रभात प्रकाशन ने तीन-तीन किताबें कैसे परोस दी?

अंततः अपने लोगों को कहिये कि ऐसे लोगों का अपमान न करें, जिनकी जिंदगी हमेशा ईमानदारी और सत्य पर आश्रित रही है, मैं ये नहीं कह रहा कि बेईमानों को मत सम्मान दीजिये, खुब कीजिये पर ईमानवालों की छाती पर चढ़कर बेईमानों को सम्मानित करेंगे तो ये जान लीजिये –

अतिशय रगड़ करे जब कोई। अनल प्रगट चंदन तेहि होई।।

अर्थात् चंदन जो शीतलता प्रदान करता है, फिर उसे भी जब ज्यादा घर्षित कर दिया जाता है तो वह अग्नि का रुप ले लेता है।