CM रघुवर के विकास की धज्जियां उड़ा रहा है, वेल्लोर की ओर जानेवाली सभी ट्रेनें
जिस राज्य में नेता, सरकार और अखबारों-चैनलों के प्रतिनिधि जनता की सेवा को त्यागकर, एक साथ मिलकर गोवा सागर तट पर पवित्र स्नान करते हैं, उस राज्य की सामान्य जनता अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए, इधर-उधर भटकते हुए, इसी प्रकार ट्रेन से कटकर मरती रहती हैं। यह मैं इसलिए लिख रहा हूं कि हमें सूचना मिली है कि धनबाद के एक युवक मुकेश कुमार की मौत तमिलनाडू के काठपाड़ी स्टेशन पर ट्रेन से कट कर हो गई। मुकेश अपने भाई अनुज को लेकर, वेल्लोर इलाज के लिए, 18 जून को अल्लापुजा-धनबाद एक्सप्रेस से काठपाड़ी स्टेशन उतरा था। वहीं 22 जून को काठपाड़ी रेल हादसे में उसकी दर्दनाक मौत हो गई।
मुकेश का धनबाद सिविल कोर्ट में एक दुकान है, जिसका नाम नेहा स्टेशनरी है। मुकेश का मकान धनबाद के हीरापुर स्थित लिंडसे क्लब रोड में हैं। जैसे ही धनबाद में, ये खबर आई है, शोक की लहर दौड़ गई है। सोमवार को धनबाद सिविल कोर्ट के सारे दुकानदार अपना-अपना दुकान बंद रखेंगे और शोक मनायेंगे। मुकेश की ट्रेन दुर्घटना में मृत्यु से उसके पूरे परिवार के सामने भीषण संकट आ पहुंचा है, पर किसी राजनीतिक दल को इसकी चिंता नहीं।
अब सवाल उठता है कि मुकेश वेल्लोर क्यों गया? उत्तर है – अपने भाई की इलाज के लिए। आखिर वह कौन सी बीमारी है, जिसका इलाज वेल्लोर जैसे तमिलनाडू के छोटे से शहर में है, पर झारखण्ड के रांची, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर जैसे शहरों में नहीं। आखिर झारखण्ड के ज्यादातर लोग कोई भी बीमारी होने पर झारखण्ड की शहरों का न रुख कर वेल्लोर क्यों भागते है?
आखिर झारखण्ड बनने के बाद भी जिनकी सरकार 16 सालों तक चलती रही, फिलहाल साढ़े तीन साल से जो सत्ता में है, और खुद को विकास का पुरोधा बोलते हुए थकते नहीं, आखिर उन्होंने झारखण्ड में बेहतर स्वास्थ्य के लिए अब तक क्या किया? क्या ये जनता को जानने का हक नहीं? क्या यहां के धन्ना सेठ, धार्मिक संस्थाएं और सरकारें, इतनी निकम्मी है, कि वे यहां एक ऐसा अस्पताल नहीं बना सकते, जो वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की तरह सस्ती स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराये और जो स्वास्थ्य सेवा में विश्वसनीय हो? शर्म आनी चाहिए, यहां की सरकार को, जिनके पास रांची में रिम्स, धनबाद में पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल और जमशेदपुर में टाटा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के होने के बावजूद झारखण्ड के लोगों के दिलों में ये संस्थाएं, वह विश्वास नहीं स्थापित कर सकी, जो वेल्लोर की क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ने स्थापित कर लिया।
हमें याद है कि जब जून 2013 में हम अल्लापुजा-धनबाद एक्सप्रेस से अरकोण्णम जा रहे थे, तो हमारे बर्थ के ठीक सामने अपर बाजार के एक व्यवसायी अपनी पत्नी का आंख का आपरेशन कराने के लिए वेल्लोर जा रहे थे, हमने उनसे पुछा कि भाई आप रांची में रहते है, इतने बड़े-बड़े डाक्टर रांची में है, आंख के लिए तो यहां भारती कश्यप नामी है, आप उनसे क्यों नहीं दिखाएं, उनका कहना था कि माफ कीजिये, यहां दिखाने से अच्छा है कि हमलोग वेल्लोर चले जाये, क्योंकि हमने ऑपरेशन, दवा, सुविधाओं को लेकर सब कुछ पता लगाया तो हमें रांची से वेल्लोर ठीक लगा, इसलिए हम अपनी पत्नी को लेकर, वेल्लोर जा रहे हैं।
दूसरी घटना, जब हम उसी समय अरकोण्णम से लौटने के क्रम में चेन्नई से अल्लापुजा-धनबाद एक्सप्रेस पकड़ रहे थे, उसी समय हमारे बर्थ के ठीक सामने रांची के एक पत्रकार अपने बेटे का आंख का आपरेशन कराकर चेन्नई से रांची लौट रहे थे। अब से कुछ दिन पहले मैने फेसबुक में देखा कि रांची के एक समाचार पत्र से जुड़े एक छायाकार अपनी पत्नी को लेकर आज भी क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाजरत है।
स्थिति ऐसी है कि धनबाद अल्लापुजा एक्सप्रेस में आज भी मरीजों और उनके परिवारों की संख्या ज्यादा रहती हैं, जो इलाज के लिए वेल्लोर जा रहे होते हैं। हम आपको बता दे कि टाटा से भी यहीं ट्रेन खुलती है, जिसका नाम टाटा –अल्लापुजा है, जो राउरकेला में जाकर दोनों एक हो जाती हैं और इन दोनों ट्रेनों में लगभग वहीं स्थिति होती है। यानी अगर धनबाद या टाटा से जा रहे हैं तो समझ लीजिये, ज्यादातर लोग काठपाड़ी या चेन्नई उतर जायेंगे और जो काठपाड़ी और चेन्नई में चढ़े, तो समझ लीजिये ये अपनी ईलाज कराकर लौट रहे हैं।
कितने शर्म की बात है, कि विकास का नारा देनेवाले, बेशर्म लोग, बेशर्म सरकारें, अपने लिए तो मेदांता, वेदांता, एम्स और पता नहीं, क्या-क्या प्रबंध कर लिये हैं, यहीं नहीं अपने और अपने परिवार के लिए कैबिनेट से इलाज के लिए मुंहमांगी रकम की व्यवस्था कर लेते हैं, पर आम जनता को वेल्लोर जाने को मजबूर करते हैं, जरा मुख्यमंत्री रघुवर दास बतायें कि उन्हीं के शासनकाल में जो उन्होंने अपने लिए विधानसभा का निर्माण कर लिया, क्या उतने में ही एक बेहतर आम जनता के लिए सस्ती और विश्वसनीय अस्पताल का वे प्रबंध नहीं कर सकते और जब नहीं कर सकते, तो बेकार की विकास की बातें करने का अधिकार किसने दिया? काठपाड़ी स्टेशन पर मृत मुकेश सवाल पूछ रहा हैं, और सवाल पूछ रहे हैं, वे करोड़ों झारखण्ड के नागरिक, रघुवर सरकार बताये कि स्वास्थ्य मामले में, सरकार उनके साथ ऐसा भेदभाव क्यों बरत रही हैं।