CM जनसंवाद: जब झूठी तसल्ली से ही जनता खुश है, तो फिर सही काम करने की जरुरत ही क्या है?
जब मुख्यमंत्री रघुवर दास को पता है कि धनबाद के खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार के एमडी के पास पैसे नहीं हैं, वो कहां से देगा, तो फिर मुख्यमंत्री रघुवर दास ही बताएं कि खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार से जुड़े कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान कैसे होगा? उन्हें कई महीनों से वेतन जो नहीं मिला है, उसे कौन उपलब्ध करायेगा? क्या ये मुख्यमंत्री रघुवर दास की जिम्मेदारी नहीं बनती कि माडा के इन कर्मचारियों का सुध लें, उनकी समस्याओं का समाधान करायें।
दरअसल आज मुख्यमंत्री जनसंवाद कार्यक्रम में सीधी बात आयोजित था, जिसे स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास देखते हैं। आज देव नारायण वर्मा की पत्नी ने सीधी बात कार्यक्रम में कहा कि वह अपने पति के इलाज के लिए अपने परिवार के लोगों से करीब 3-4 लाख रुपये कर्ज लिये, आज उनके परिवार के लोग अपने दिये गये कर्ज को मांग रहे हैं, वह कहां से उनके कर्ज लौटाएं, जब वह माडा के एमडी के पास जाती है, तो वह उनके आवेदन को फेंक देता है, क्या करें?
आश्चर्य यह भी है कि देवनारायण वर्मा ने मुख्यमंत्री से अक्टूबर 2017 में लगाई थी, यानी उनके गुहार लगाने के भी अब लगभग दो वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, और आज उनका सवाल सीधी बात कार्यक्रम में आ रहा हैं, वह भी उसकी समस्या का समाधान होगा या नहीं, भविष्य के गर्भ में हैं, मुख्यमंत्री ने आश्वासन तो दे डाला कि उसकी समस्या का समाधान एक महीने के अंदर हो जायेगा और वे इसकी मानिटरिंग अजय कुमार सिंह से करवाने की बात कह रहे हैं।
पर जैसे ही उनके चहेते यानी मुख्यमंत्री के सचिव सुनील बर्णवाल, धनबाद के डीसी से यह कहते है कि वहां माडा का एमडी मौजूद है, तो सीएम रघुवर दास खुद कह देते हैं, कि उसको बोलने से क्या होगा? उसके पास तो पैसे ही नहीं, वो कहां से भुगतान करेगा तथा यह कहते हुए उनके चेहरे की मुस्कान बता देती है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र दरअसल समस्याओं के समाधान के लिए नहीं बल्कि समस्याओं को येन–केन प्रकारेन लटकाने में ज्यादा ध्यान दे रहा हैं।
कमाल है, मुख्यमंत्री रघुवर दास कहते है कि आयुष्मान कार्ड नही बना था क्या? क्या सीएम रघुवर दास को यह भी मालूम नहीं कि भारत में आयुष्मान कार्ड कब से प्रारम्भ हुआ? जब उनके पास अक्टूबर 2017 में शिकायत आई तो फिर आयुष्मान कार्ड बना या नहीं, ये पूछने की क्या जरुरत थी, क्या आयुष्मान कार्ड सभी के लिए बना है, क्या आयुष्मान कार्ड 2017 में बन चुका था, क्या इससे नहीं पता लगता कि मुख्यमंत्री जनता की समस्याओं को सुलझाने में कितने गंभीर है?
इधर पूरे राज्य में बिजली की स्थिति गंभीर है, कब बिजली आयेगी और कब जायेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता, हालांकि जनता के सामने राहुल पुरवार को उन्होंने यह तो कह दिया कि वे उनके काम से खुश नहीं हैं, पर ये डायलॉग बोल देने या जनता को सुना देने से समस्या का समाधान तो नहीं होता, जनता को तो समस्या का समाधान चाहिए, आज का मुख्यमंत्री रघुवर दास की सीधी बात, बता दिया कि जनता को हर हाल में अपनी समस्याओं से खुद दो–चार होना है, यहां की सरकार को उनकी शिकायत से कोई लेना–देना नहीं, अगर कोई यह समझता है कि उनकी समस्या मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में दे देने से समाधान हो जायेगी तो वह अपनी दिल को झूठी तसल्ली दे रहा है।