राजनीति

सरयू राय को साइड करने की प्रक्रिया में लगे सीएम रघुवर दास

ईर्ष्या, जलन, सौतियाडाह, एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति अगर देखना है तो झारखण्ड में सत्तारुढ़ भाजपा सरकार को देखिये, जहां का मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने ही मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों और विधायकों की नहीं सुनता। इन दिनों मुख्यमंत्री रघुवर दास, अपने ही मंत्री सरयू राय को साइड करने की प्रक्रिया में लग गये हैं। जरा देखिये, पिछले दो सालों से विधानसभा सुचारु रुप से नहीं चलने तथा सदन की कार्यवाही प्रभावित होने से दुखी, राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने इसके लिए स्वयं को दोषी मानते हुए, अपने पद से हटने की ईच्छा क्या जाहिर कर दी, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने त्वरित निर्णय लेते हुए, उनसे वह विभाग लेकर, नीलकंठ सिंह मुंडा को थमा दिया।

अब सवाल उठता है कि जिन मुद्दों को लेकर, सरयु राय ने संसदीय कार्य मंत्री से स्वयं को हटाने की सीएम से इच्छा जाहिर की थी, क्या वे मुद्दे नीलकंठ सिंह मुंडा हल कर लेंगे?

जब राज्य का मुख्यमंत्री ही चाहता है कि सदन नहीं चले तो ऐसे में संसदीय कार्य मंत्री क्या कर लेगा?  जब राज्य का मुख्यमंत्री ही यह संकल्प कर ले कि हमें विपक्षी दलों के प्रश्नों का जवाब नहीं देना है और उनकी सुननी भी नहीं हैं तो फिर संसदीय कार्य मंत्री क्या कर लेगा? क्या मुख्यमंत्री को नहीं मालूम की सदन हठधर्मिता से नहीं, बल्कि लोकलाज से चलता है, जब कोई लोकलाज भूलकर गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार का ही मार्ग अपना लें तो फिर कोई भी व्यक्ति कर ही क्या सकता है?

अरे भाजपा को छोडिये, सारा झारखण्ड जानता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास, सरयू राय को फूंटी आंखों से देखना तक पसन्द नहीं करते, सारा झारखण्ड जानता है कि सरयू राय ने समय-समय पर राज्य सरकार की गड़बड़ियों पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया, पर हुआ यहीं कि सीएम रघुवर दास, सरयू राय की हर बातों को हवा में उडा देते। चाहे वह मोमेंटम झारखण्ड का मामला हो या कौशल विकास का मामला, चाहे मुख्यसचिव का मामला हो या अन्यान्य। झारखण्ड में सिंगल पीस व्यक्ति रहे सरयू राय, जिन्होंने खुलकर जनहित में अपनी बातें रखी, पर उतनी ही सच्चाई है कि रघुवर दास ने कभी भी सरयू राय को पसंद नहीं किया।

ऐसे भी मुख्यमंत्री रघुवर दास को राज्य में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और मुख्यमंत्री के सचिव सुनील कुमार बर्णवाल ही सिर्फ पसंद है। वे सुनील कुमार बर्णवाल जो हैं सचिव, पर मुख्यमंत्री सचिवालय, उन्हें प्रधान सचिव के रुप में पेश करते हुए समाचार प्रकाशित और प्रसारित करवा रहा हैं, जबकि सुनील कुमार बर्णवाल को प्रधान सचिव में पदोन्नति नहीं दी गई है, जो स्थितियां झारखण्ड की हैं, वह बहुत ही भयावह है।

जब व्यक्ति सत्ता के मद में चूर होता है और उसे उपर के शीर्षस्थ नेताओं का वरदहस्त प्राप्त होता है तो वहीं होता है, जो झारखण्ड में दिखाई पड़ता है। ऐसे भी बुद्धिजीवियों का मानना है कि अगर यहीं हाल चलता रहा तो 2019 में भाजपा का हाल पूऱे झारखण्ड में बुरा होगा, क्योंकि रघुवर दास में इतनी ताकत नहीं कि वे अपनी चुनावी सभा में भीड़ जुटा लें, विधायकों और सांसदों को जीताना तो बहुत ही बड़ी बात है।