CM रघुवर ने आज शराब की दुकानें खुलवा रखी हैं, शराब पीये-पिलायें और दिवाली की मस्ती में डूब जाये
दिवाली के दिन सर्वोच्च न्यायालय ने पटाखों को लेकर एक आदेश क्या जारी किया? हमारी झारखण्ड की रघुवर सरकार भी उस आदेश का पालन कराने में जुट गई। यहां भी प्रशासन ने विज्ञापन के माध्यम तथा समाचारों के माध्यम से लोगों को चेता दिया कि अगर आपने दिये गये समय के पूर्व या बाद में पटाखे फोड़े तो आप पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना का केस चल सकता है।
लोग भी इस आदेश से इतने भयभीत हो गये कि अपने इलाके में उतने पटाखों की आवाज सुनने को अभी नहीं मिल रही, जितनी की इसके पिछले या पूर्व के सालों में सुनाई पड़ती थी, पर ये क्या बगल की अनुराधा जो बहुत ही गरीब है, अपने पति को दिवाली की मार्केटिंग करने के लिए भेजी थी, पर अनुराधा के पति ने तो दिवाली की मार्केटिंग करने के बजाय सारे पैसे शराब और जूए में गवां दिये, अब वो और उसके बच्चे दिवाली क्या मनायेंगे? वे तो गम में डूब गये, क्योंकि उसके मेहनत के पैसे शराब की भेंट चढ़ चुके थे, अब अनुराधा किसे कोसे, रघुवर दास को, उसकी नीति को, उसकी आज के दिन भी शराब की दुकान खोलने की नीति को, शराबी पति को या नियति को।
आम तौर पर ज्यादातर लोग यहीं सोचते है कि पर्व-त्यौहारों के समय में शराब की दुकानें बंद रहती हैं, पर मुझे भी आज पता चला कि होली में राज्य सरकार शराब की दुकानें बंद रखती हैं, ताकि कोई अनहोनी न हो, पर दिवाली में उसे अनहोनी की आशंका नहीं रहती, इसलिए शराब की दुकान दिवाली के दिन खुली रहती है, पर सच्चाई तो यह भी है कि अनुराधा जैसी कई औरतों की आज की दिवाली रघुवर सरकार द्वारा आज के दिन खोले गये शराब की दुकान की भेंट चढ़ गई होगी।
जानकार बताते है कि राज्य सरकार को होली की तरह, दिवाली के दिन या प्रमुख त्योहारों में शराब या नशीली वस्तुओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। जानकार ये भी बताते है कि होली से ज्यादा अनहोनी की आशंका दिवाली में रहती है, क्योंकि पटाखों की शोर में राइफल से निकली गोलियों की आवाज ऐसी दब जाती है कि लोगों को पास में हुई हिंसक घटना का पता ही नहीं चलता, और शराब के नशे में इस प्रकार की घटना को अंजाम देना सामान्य सी बात है, क्योंकि नशे में अपराध करनेवाले लोगों की पाशविकता विकराल रुप धारण कर लेती है, पर इस राज्य सरकार के कथित विद्वान मुखिया रघुवर दास को कौन समझाये, जो समझाने जायेगा, वो खुद ही समझ जायेगा, इसलिए लोग चुप रहना बेहतर समझते है। जानकार ये भी बताते है कि रांची में हुई हाल ही में गैंगवार की हिंसक घटना बताता है कि यहां अपराध की क्या स्थिति हैं और पर्व-त्यौहारों में इसकी आशंका ज्यादा बन जाती है।
आज पूरे झारखण्ड में राज्य सरकार ने शराब की दुकानें खुलवा रखी है, जमकर शराब बेची जा रही है, लोग भी इन खुली दुकानों से शराब लेकर इस दिवाली को यादगार बनाने में लगे हैं, इसका मतलब है कि शराब की आड़ में आज देर रात तक बड़े-बड़े घरानों एवं क्लबों में जूए की महफिल सजेगी, लोग पीयेंगे और जूएं खेंलेंगे। इसी में कोई लूढ़क भी सकता है, पर राज्य सरकार को इससे क्या मतलब, उसे तो राजस्व से मतलब हैं, और सर्वाधिक राजस्व तो शराब से ही प्राप्त होता है, और रही बात समाज की चिंता की बात, तो उसने हर शराब की बोतल पर ये लिख ही दिया है कि शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बाकी जनता अगर नहीं समझती है तो उसे समझाने और ठीक करने का ठेका सरकार ने थोड़े ही ले रखा है, उसे और कोई काम है कि नहीं।