CM रघुवर ने आपातकालीन भ्रष्टाचार छुपाव अभियान की शुरुआत की, JMM ने भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को चेताया
आज रांची में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि एक सामान्य सी दो गाड़ियों में जब टकराव हो जाती है, तो उस दौरान किसी की इन्ज्यूरी हो या न हो, फिर भी उस संबंध में प्राथमिकी दर्ज हो जाती है, और यहां झारखण्ड विधानसभा में इतना बड़ा अग्निकांड हो गया, और प्राथमिकी तक दर्ज नहीं हुई, इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि रघुवर सरकार अब जाते-जाते आपातकालीन भ्रष्टाचार छुपाव अभियान की शुरुआत भी कर दी, और इसके लिए अब तक जितने भी भ्रष्टाचार हुए, उसके स्मारक के रुप में जो विधानसभा तैयार हुआ था, उन सारे आरोपियों को आरोप से मुक्त करने के लिए एक नई साजिश की शुरुआत कर दी गई।
यहीं नहीं इस अग्निकांड में शामिल लोगों को बचाने के लिए तरह-तरह के बहाने ढूंढे जा रहे है। जिसका सबूत प्राथमिकी का दर्ज नहीं होना है। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि एक्सपर्ट कहते हैं कि शार्ट सर्किट से किसी पर्टिकुलर स्पॉट पर पहले फ्लेमिंग होता है, उसके बाद उसका फैलाव धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र में पड़ता है, पर यहां अजीब संदेह उत्पन्न हो रहा है, यहां तो एक साथ चारों कोनों से आग उठने के संकेत मिल रहे हैं, जो बता रहे है कि इस अग्निकांड को अंजाम दिया गया और अब इसमें शामिल लोगों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
झामुमो का कहना है कि घटनास्थल पर दमकल की गाड़ियां आई और जो अग्निशामालय का पक्ष आया है, वह बताता है कि 12 तारीख को उनका फायरिंग क्लियरेंस नहीं था, और जो भी था, वह कंडीशनल था, मतलब अग्निशामालय ने जो दिशा-निर्देश जारी किये थे, उसे पूरा करना जरुरी था, उसके बाद नगर निगम को कंप्लीट सर्टिफिकेट जारी करना था, पर अब नगर निगम बताए कि जब अग्निशामालय ने क्लियरेंस दिया ही नहीं तो फिर उसे कम्पलीट होने का सर्टिफिकेट नगर निगम ने कैसे जारी कर दिया?
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का कहना था कि आखिर मुख्यमंत्री किनके लिए झूठ बोल रहे है, वे किनको बचाना चाहते है, सच्चाई तो यह है कि वे खुद को भी नहीं बचा पायेंगे, क्योंकि भ्रष्टाचार के प्रति जो उनकी प्रतिबद्धता है, वह साथ दिखाई पड़ता है। वे तो ढाई हजार करोड़ की कोनार नहर योजना को चूहे को समर्पित कर देते है। इनके प्रधानमंत्री मंडल डैम का सपना दिखाते है, और सच्चाई यह है कि उस मंडल डैम का अभी तक घास भी नहीं इन्होंने छिलवाया है।
कमाल है झारखण्ड में चुनाव आचार संहिता लगा है और एक अधिकारी मुख्यालय में बैठकर विभिन्न विभागों की समीक्षा कर रहा हैं, और दिशा-निर्देश जारी कर रहा है, आखिर ये किसके कहने पर मंत्रालय में बैठकर विभागीय समीक्षा कर रहा है, चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। झामुमो ने कहा कि राज्य की गजब स्थिति इनलोगों ने बना दी है, लगता है यहां के अधिकारी भ्रष्टाचार, बेइमानी और अत्याचार का खाया नमक अदा कर रहे हैं.
दुमका में तो एक जिला कल्याण पदाधिकारी श्वेता भारती और झारखण्ड राज्य लाइवली प्रमोशन सोसाइटी की परियोजना निदेशक आशायनी मारको तो खुलकर भाजपा प्रत्याशी व राज्य की कल्याण मंत्री लुइस मरांडी के पक्ष में खुलकर काम कर रही हैं। चुनाव आयोग को चाहिए कि इस मामले को देखें तथा ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करें।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि झामुमो झारखण्ड विधानसभा अग्निकांड के विषय में राज्यपाल से इनकी न्यायिक जांच कराने की मांग की थी, पर जो सूचना आ रही है, कि वहां रिपेयरिंग का काम शुरु कर दिया गया, मतलब उसकी फोरेंसिक जांच जो होनी चाहिए, टेक्निकल व नन-टेक्निकल स्तर पर वह भी नहीं हो पायेगा, यानी सारे सबूत को धीरे-धीरे मिटाने का काम शुरु कर दिया गया, जिसे किसी भी हालात में सही नहीं ठहराया जा सकता।