CMO ने दोषियों पर कार्रवाई नहीं की, जनसंवाद के महिलाकर्मियों को नहीं मिला न्याय
मुख्यमंत्री रघुवर दास बताये कि आखिर उनके कार्यालय द्वारा बनायी गई विभागीय महिला यौन उत्पीड़न निरोध शिकायत समिति, जनसम्पर्क निदेशालय ने जब अक्टूबर 2017 में अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंप दी, तब उस रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई? आखिर उस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में क्यों डाल दिया गया? उस रिपोर्ट को दबाकर आखिर किसे मदद किया जा रहा है?
ज्ञातव्य है कि 19 जनवरी 2017 को मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत दो महिलाकर्मियों ने मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में महिलाओं के साथ किये जा रहे दुर्व्यवहार की शिकायत राज्य महिला आयोग और उस शिकायत की प्रतिलिपि, राज्यपाल, मुख्य न्यायाधीश झारखण्ड उच्च न्यायालय, मंत्री महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग, प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री के तत्कालीन प्रधान सचिव संजय कुमार, व सचिव सुनील कुमार बर्णवाल को दी थी।
जिसको लेकर 20 जनवरी 2017 को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार ने इस प्रकरण का संज्ञान लेते हुए, संबंधित महिलाकर्मियों और मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र से जुड़े अधिकारियों एवं सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के तत्कालीन निदेशक राजीव लोचन बख्शी को बुलाकर मामले की जांच की थी, तथा इस संबंध में महिलाकर्मियों को न्याय दिलाने का पूर्ण भरोसा दिलाया था।
इधर जब यह मामला तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के पास गया, तब उनके निर्देश पर आनन फानन में त्रिस्तरीय विभागीय महिला यौन उत्पीड़न निरोध शिकायत समिति को यह मामला सौंपा गया, तथा इस समिति ने शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को अक्टूबर में सौंप दी, लेकिन पूरे छः महीने से भी अधिक बीत गये पर उस जांच रिपोर्ट का क्या हुआ, दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई, इसका कोई ठौर-ठिकाना नहीं, आखिर यह समझ में नहीं आ रहा कि राज्य सरकार दोषियों को बचाने में इतना गंभीर क्यों है? जबकि मुख्यमंत्री बराबर महिलाओं को सम्मान देने की बात कहा करते हैं, जब मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में महिलाओं को सम्मान नहीं मिल रहा तो बाहर में महिलाओं की क्या स्थिति होगी? क्या हम समझे कि मुख्यमंत्री रघुवर दास विभागीय महिला यौन उत्पीड़न शिकायत समिति की जांच रिपोर्ट पर दोषियों को दंडित करेंगे और उन महिलाओं को न्याय दिलायेंगे?