CM की बदजुबानी, दो जवानों के मौत का कारण बन गई, यानी CM रघुवर को कभी बोलना नहीं आयेगा
संत कबीर कहते हैं –
बोली एक अमोल है, जो कोई बोलै जानि।
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।।
अर्थात् यदि कोई भी व्यक्ति जो बोलना जानता है, उसे पता है कि बोली एक अनमोल है, इसलिए वह बिना हृदय के तराजू पर तौले, उसे बाहर आने नहीं देता, पर शायद भारत के कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों में से एकमात्र झारखण्ड के ही एकमात्र मुख्यमंत्री ऐसे है, जिन्हें आज तक बोलना नहीं आया और न ही कभी बोलना आयेगा।
जनता से आशीर्वाद मांगने चले थे और दे डाली उग्रवादियों को धमकी, यानी हसुंआ के ब्याह में खुरपी का गीत गा डाला राज्य के होनहार मुख्यमंत्री ने
जरा देखिये न, चल रहे जन–आशीर्वाद यात्रा को लेकर, पर उनकी जन–आशीर्वाद यात्रा, आशीर्वाद यात्रा न होकर, कल धमकी यात्रा में परिवर्तित हो गई, जब उन्होंने बसिया में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में उग्रवाद अंतिम सांसे ले रहा है। पांच साल की भाजपा सरकार ने उग्रवादियों की कमर तोड़ दी है, इस मौके पर उन्होंने उग्रवादियों को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि वे मुख्यधारा से जुड़ जायें, नहीं तो पाताल से भी खोजकर मारेंगे। उग्रवादियों को भी लगा कि भाई मुख्यमंत्री ने अल्टीमेटम दिया हैं तो चलो उस अल्टीमेटम को स्वीकार किया जाय और उग्रवादियों ने तनिक भी देर नहीं किया और दो निर्दोष जवानों की उग्रवादियों ने हत्या भी कर दी।
दरअसल नेता तो नेता है, उसे तो केवल बोलना हैं, जिस पर पड़ती हैं, वो न जानता है, नेता तो जानता है कि उग्रवादियों के हाथ कभी भी उस तक नहीं पहुंच सकते और न ही उनके परिवारों तक उग्रवादियों की धमक पहुंच सकती हैं, क्योंकि उसकी सुरक्षा ऐसी है कि एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता, और रही बात जवानों की तो वो मरने के लिए ही बने हैं, जहां ऐसी सोच होती है, वहीं का मुख्यमंत्री इस प्रकार की भाषा बोलता है।
जरा उग्रवादियों को अल्टीमेटम देनेवाले मुख्यमंत्री से पूछिये कि उसके अल्टीमेटम को तो उग्रवादियों ने हाथों-हाथ लिया, अब वे अपना अल्टीमेटम कि पाताल से निकालकर मारेंगे, कब शुरु कर रहे हैं?
आज जरा जाकर देखिये, उन मृत जवानों के परिजनों के घर आज नवरात्र के अवसर पर कैसा मातम पसरा है, और जरा मुख्यमंत्री रघुवर दास को देखिये, वह जेपी नड्डा के साथ छिन्नमस्तिका मंदिर में पूजा कर रहा हैं, अरे तुमने तो उग्रवादियों को चुनौती दिया था, उन्होंने तुम्हारी चुनौती स्वीकार कर ली, अब तुम कर क्या रहे हो, जाओ उन्हें पाताल से लाकर मार गिराओ।
सूत्र तो बताते है कि उग्रवाद राज्य में कभी खत्म हो ही नहीं सकता, क्योंकि इसी के नाम पर तो अरबों–खरबों का खेल चलता है, भला इस धंधे में जो लोग है, उसे क्यों बंद करना चाहेंगे और इसमें सरकार के लोग ही शामिल हैं। कौन नहीं जानता कि ये उग्रवादी राजनीतिक दलों के लिए किस हद तक काम करते हैं, पर बोल बच्चन की जो आदत हैं, इसलिए बोल दो और जिस पर परे, वो जानें। जहां ऐसी सोच के राजनीतिज्ञ हो, मुख्यमंत्री हो, उस राज्य में ये सब चलता रहता है।
इधर उग्रवादियों ने दो जवानों की हत्या कर दी और उधर राजनीतिक क्षितिज पर छाने के लिए छिन्नमस्तिका मंदिर में प्रार्थना कर रहे थे जे पी नड्डा के साथ मुख्यमंत्री रघुवर
ऐसा नहीं कि उग्रवाद झारखण्ड में ही हैं, बहुत सारे उग्रवाद प्रभावित राज्य भारत में हैं, पर उनके मुख्यमंत्रियों की इस प्रकार की भाषा सुनने को नहीं मिलती, वे काम करते हैं, और काम में ही विश्वास रखते हैं, पर झारखण्ड में एक ऐसा अनोखा मुख्यमंत्री झारखण्डियों को मिला हैं, जो बोलता कुछ और करता कुछ हैं और जब जातिवादी सम्मेलन हो, तो महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की दौर लगा देता हैं, लेकिन जब नक्सली इसके अल्टीमेटम को स्वीकार करते हैं, तो वह छिन्नमस्तिका मंदिर में मत्था टेकने लगता है। इस राज्य का दुर्भाग्य है कि इस राज्य को ऐसा मुख्यमंत्री मिला, जिसे बोलना ही नहीं आता और न कभी बोलना आयेगा, ऐसे में झारखण्डियों और यहां के जवानों को, तो उग्रवादियों के रहमोकरम पर ही रहना होगा, भले ये जनाब कितना भी बकवास क्यों न कर लें।
राजद लोकतांत्रिक के कैलाश यादव ने मुख्यमंत्री को कहा वे बदजुबानी से बाज आयें, उनकी नक्सलियों की दी गई धमकी दो गरीब जवानों के मौत का कारण बन गई
इधर मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा उग्रवादियों को दिये गये अल्टीमेटम और उसके जवाब में उग्रवादियों द्वारा दो जवानों की हत्या से माहौल गरमा गया है, कई विपक्षी दलों के नेताओं ने मुख्यमंत्री के उक्त बयान को गैर–जिम्मेदाराना बताया। राष्ट्रीय जनता दल लोकतांत्रिक के मीडिया प्रभारी कैलाश यादव ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के उस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अपनी भाषा पर संयम बरते, बदजुबानी से उन्हें बाज आना चाहिए, आज मुख्यमंत्री के बदजुबानी के कारण ही कल दो निर्दोष जवानों की हत्या हो गई। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों को भाषाओं की मर्यादा बरकरार रखने की जरुरत है, और सत्तारुढ़ भाजपा नेताओं द्वारा नक्सलियों को धमकी देने के बजाय बात कर उनलोगों को मुख्यधारा में लाने और इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाना चाहिए, न कि भड़कानेवाला भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
कांग्रेस ने कहा मुख्यमंत्री के द्वारा दिये गये अल्टीमेटम के बाद उग्रवादियों ने दो जवानों की हत्या करके मुख्यमंत्री के मुंह पर कालिख पोत दी
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के लाल किशोर नाथ शाहदेव और आलोक कुमार दूबे ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि उग्रवादियों को घर में घुसकर मारने की मुख्यमंत्री की चुनौती को स्वीकार करते हुए उग्रवादियों ने राजधानी में घुसकर हमारे पुलिस के जवानों की हत्या कर दी और बड़बोले मुख्यमंत्री के मुंह पर कालिख पोतने का काम किया है। मुख्यमंत्री के बिना सोचे समझे बयानबाजी के कारण राजधानी रांची के दशम फॉल में जवान अखिलेश राम तथा खंजन कुमार महतो को जान गंवानी पड़ी। इन नेताओं ने कहा कि कम से कम सुरक्षा को लेकर एवं राज्य की सीमाओं के संदर्भ में मुख्यमंत्री खामोश रहें और नेतागिरी से बाज आये तथा सुरक्षा अधिकारियों को अपना काम करने दें।