बधाई पत्रकार रणजीत सिंह शेखावत, आपने कोरोना के इस नकारात्मक माहौल में लोगों को जीने की नई राह दिखा दी
मेरा मानना है कि इस वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी आपके आस-पास ऐसी बहुत सारी खबरें बिखरी पड़ी हैं। जिसमें जीवंतता है। जिसमें जिजीविषा है। जिसमें समाज को झकझोरने की क्षमता है। जिसमें समाज को एक दृष्टि प्रदान करने की कूबत है। बस आपको उसे देखने की जरुरत है, महसूस करने की जरुरत हैं और फिर अपने भाव को अखबारों में प्रकट करने या चैनलों में उसे प्रस्तुत कर देने की आवश्यकता हैं और ये खबरे निश्चय ही आपके कार्य को बुलंदियों तक पहुंचा देती है, जिसमें आपका भी भला होता हैं और समाज को भी एक ऊर्जा व सम्मान प्राप्त हो जाता है।
हम बात कर रहे, राजस्थान के सीकर के गांव पलसाना की। जहां रहते है राजस्थान पत्रिका से जुड़े संवाददाता रणजीत सिंह शेखावत। इनकी एक खबर ने पूरे देश में धूम मचा दी है। देश के बड़े-बड़े अखबारों ने इनकी खबर पत्रिका में छपने के बाद, अपने यहां इस खबर को जगह दी हैं, चूंकि खबर है ही ऐसी, पर वो कहां जाता है कि जिसने इस खबर को पहली बार प्राथमिकता दी, श्रेय तो उसी को जायेगा।
इधर राष्ट्रीय चैनलों का जब इनके खबर पर ध्यान गया, तो वे भी इस खबर को अपने चैनल पर स्थान देने से खुद को नहीं रोक सके। भाई, ये खबर थी ही ऐसी, कि सभी अखबारों व चैनलों को न चाहते हुए भी स्थान देना पड़ा और सबके मुंह से ये निकल गई कि भाई समाचार हो तो ऐसा।
आखिर खबर क्या थी? खबर थी कि पलसाना में बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश व राजस्थान के करीब 54 मजदूरों को क्वारेन्टाइन कर रखा गया था। पलसाना गांव के लोग क्वारेन्टाइन के लिए रखे लोगों को जी भर कर मदद की। तब इन मजदूरों को लगा कि जब पलसाना गांव के लोग इतनी खुलकर मदद कर रहे हैं, तो क्यों न हम भी उनके लिए कुछ करें।
फिर क्या था, जिस स्कूल में क्वारेन्टाइन कर उन्हें रखा गया था, उस स्कूल यानी शहीद सीताराम कुमावत व सेठ केएल ताम्बी राजकीय उच्च मध्य विद्यालय की रंगाई-पुताई शुरु कर दी। क्वारेन्टाइन में रह रहे मजदूरों का कहना था कि अगर वे काम नहीं करेंगे तो बीमार पड़ जायेंगे, इसलिए वे चाहते कि जब गांव के लोग हमारी मदद कर रहे हैं तो क्यों न हम भी उनके लिए कुछ करके जाये, गांववालों को भी इनकी बातें अच्छी लगी, गांव के लोगों ने रंग-रोगन की व्यवस्था की और फिर स्कूल की रंगाई-पुताई शुरु हो गई।
कमाल की बात देखिये, पूरे देश में एक ओर जहां क्वारेन्टाइन के लिए जहां-जहां जिन लोगों को रखा गया था, वे धमाल मचा रहे थे, पुलिस और डाक्टरों पर हमले कर रहे थे, उन्हें भला-बुरा कह रहे थे, उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार कर रहे थे, पर यहां तो नजारा ही कुछ था, और जब वहां के पत्रकार रणजीत सिंह शेखावत की नजर पड़ी तो इन्होंने इस बात को अपने अखबार में देने की ठान ली।
अखबार में भी बैठे लोगों को इस अद्भुत समाचार प्रेरणात्मक लगी और लीजिये रणजीत सिंह शेखावत की स्टोरी को उन्होंने बाइलाइन छाप दिया और यहीं से रणजीत सिंह शेखावत सुपर हीरो बन गये। पूरे राजस्थान में इनकी जय-जय हो रही हैं, देशस्तर पर उनके इस रिपोर्टिंग को सम्मान मिल रहा है। लोग इनकी तारीफ कर रहे हैं। सोशल साइट पर इनके अखबार की कटिंग को डालकर लोग उनका सम्मान बढ़ा रहे हैं, आज विद्रोही24 डॉट कॉम ने भी पत्रकार रणजीत सिंह शेखावत से बात की और उनको इसके लिए बहुत-बहुत बधाई दी।
बिहार-झारखण्ड के पत्रकारों को भी चाहिए कि वे ऐसी खबरें निकाले, जिससे आमलोगों को राहत महसूस हो। लोग इस नकारात्मकता भरे माहौल में सकारात्मक समाचारों से स्वयं को ऊर्जान्वित कर सकें, नहीं तो कोरोना तो बाद में कमाल दिखायेगा, लोग ऐसे ही नाना प्रकार के बिमारियों से ग्रस्त हो जायेंगे, तो फिर ऐसे में कैसा माहौल बनेगा, चिन्तन करिये।
केन्द्र सरकार/राज्य सरकार जो इस माहौल में बेहतर करने की कोशिश कर रही हैं, वो तो करेगी ही, हमारा भी दायित्व बनता है कि लोगों में सकारात्मकता को भरे, अच्छे हो रहे कामों को जनता के बीच लाये, जैसा कि पत्रकार रणजीत सिंह शेखावत ने किया। बधाई क्वारेन्टाइन में रखे गये उन 54 मजदूरों को जिनकी सोच अद्भुत है, बधाई पलसाना के ग्रामीणों को भी, जिन्होंने सकारात्मक सोच रखी और बधाई जिला प्रशासन को भी कि उसने इस सकारात्मकता को बल प्रदान करते हुए एक नया इतिहास रच दिया।