अपनी बात

अभिनन्दन अभय मिश्रा को, जो सत्ता-सरकार-माफिया-पुलिस द्वारा रचे षडयंत्र व 40 मुकदमें झेलने के बावजूद विवेकानन्द विद्या मंदिर की रक्षा के लिए चट्टान की तरह खड़े हैं

मिलिये झारखण्ड हाई कोर्ट के अधिवक्ता अभय मिश्रा से, जिन पर 40 मुकदमें हैं, फिर भी किसी से नहीं घबराते और गरीबों-मजलूमों की सेवा के लिए सबसे आगे रहते हैं। जिन्होंने विवेकानन्द विद्यामंदिर की शान बढ़ा दी हैं, होना तो यह चाहिए था कि इस शख्स को इसके लिए मंच पर समाज/सरकार द्वारा सम्मानित करना चाहिए था, पर हो क्या रहा है?

सत्ता, सरकार, माफिया और पुलिस इन्हें जेल में घुसाने के लिए हर प्रकार के षडयंत्र रच रही हैं, अब एक और नया षडयंत्र सामने आ गया है। इन षडयंत्रों से आजिज होकर अभय मिश्रा ने अपनी वेदना सोशल साइट पर लिखी है, शायद कोई भलामानस उनकी इस वेदना को पढ़कर सत्य की रक्षा के लिए आगे आये, पर जिस प्रकार की राज्य में स्थिति हैं, खुलकर कहें तो गुंडागर्दी है, उसे देखते हुए हम कह ही नहीं सकते कि इस व्यक्ति को न्याय मिलेगा, न्याय का एक सहारा सिर्फ और सिर्फ अब ईश्वर रह गया है, पढ़िये अभय मिश्रा की ये वेदना-

“मैंने कम शुल्क अथवा बिना शुल्क वृद्धि किए विद्यालय चलाकर विकास किया। उस पर कितने-कितने झमेले, और परेशानी झेले, वो सिर्फ मैं ही जानता हूं और लीजिये फिर एक नया झमेला….

मामला सिर्फ #vivekanadavidyamandir को लेकर है, जिस विद्यालय को मैंने फर्श से अर्श तक पहुंचा दिया। अगर मैं इसका भी इतिहास लिखूं तो रामायण-महाभारत से भी ज्यादा बड़ा महाकाव्य हो जाएगा। मैंने सिर्फ जितने जांच में भाग लिया, सिर्फ उनको भी लिखने का प्रयास करू हो तो कम से कम 30 से 40 पन्ने लगेगें। चलिए लिखता हूं।

1. महिला आयोग – पूर्व प्रधानाचार्य, सन 2009 में झूठा शिकायत।‌ जांच के उपरांत झूठा पाया गया।

2. झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण। 2009 अधिवक्ता का प्रमाण पत्र वापस लिया जाए उसके लिए शिकायत। जांच के उपरांत झूठा पाया गया। इस बीच करीब 40 और मुकदमा। चलिए 2017 से शुरू करता हूं।

3. सन 2017 दंडाधिकारी रांची के पास शिकायत। जांच के उपरांत झूठा पाया गया।

4. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ट्रिब्यूनल में खाते को बंद के लिए व पैसे का दुरुपयोग को लेकर शिकायत सन 2017, जांच के उपरांत झूठा पाया गया।

5. विवेकानंद विद्या मंदिर की संबद्धता। CBSE से खत्म करने की शिक़ायत सन 2017, 2018। जांच के उपरांत ना सिर्फ गलत निकला, बल्कि बड़ाई की गई और संबद्धता पांच साल के लिए बढ़ा दी गई। ( झूठी शिकायत से विद्यालय को लाभ हुआ।)

6. माननीय न्याय आयुक्त के आदेश से अंकेक्षण सन 2018, अंकेक्षण में किसी भी प्रकार का कोई गलत नहीं पाया गया।

7. जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास सन 2017, 2018, 2019 में शिकायत व जांच के उपरांत जिला शिक्षा अधिकारी ने पाया विद्यालय में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं।

सभी बैंक के खाता संचालन पर रोक लगाने का आवेदन सन 2020, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश से दो खाता संचालन करने का आदेश दिया गया। मगर करीब 4.30 करोड़ रुपए बैंकों में फंस गए और महामारी के दौर में कर्मचारियों को भूखे रहना पड़ा किसी तरह से दाल-चावल-रोटी, मैंने तथा मेरे प्रबंधन के सहयोगियों ने दिया अपने पैसे से।

8. इनकम टैक्स कमिश्नर के यहां शिकायत वाद सन 2017, इनकम टैक्स कमिश्नर के जांच के बाद कुछ गलत नहीं पाया गया। आदेश विद्यालय के पक्ष में गया।

9. प्रोविडेंट फंड कमिश्नर के यहां शिकायत सन 2017 जांच के उपरांत कुछ गलत नहीं पाया गया।

10. ESI कमिश्नर के यहां शिकायत जांच के उपरांत कुछ गलत नहीं पाया गया।

11. मेरी पत्नी के ऊपर शिकायत वाद नियुक्ति अवैध है। जांच के उपरांत कुछ नहीं पाया गया सन 2018।

12. विद्यालय में अग्निशमन व्यवस्था नहीं है, की शिकायत। जिससे विद्यालय को लाभ हुआ, सन् 2018 में लाखों रुपए का अग्निशमन यंत्र लगाना पड़ा।

13. मेरे निजी इन्कम टैक्स के लिए शिकायत इन्कम टैक्स कमिश्नर के यहां जांच के उपरांत कुछ गलत नहीं पाया गया।

14. मेरी पत्नी ने कर्मचारियों के खातों में एक करोड़ रुपए से ज्यादा छुपा कर रखे हैं, आज के उपरांत एक रुपये भी नहीं मिले।

15. मुझे बदनाम करने के लिए वीडियो फिल्म का निर्माण किया गया। तीन लाख रुपये की रंगदारी का मांग और धमकी दी गई पैसे दे दोगे तो तो फिल्म जारी नहीं की जाएगी। मैंने पैसे नहीं दिए फिल्म जारी हुई। मेरी बदनामी तो नहीं, सन् 2020 में संस्था को बदनाम किया गया।

16. तरह तरह के अखबारों में मेरे खिलाफ दुष्प्रचार करने के शिकायत।

17. उपायुक्त रांची के यहां पद और पैसे का दुरुपयोग के लिए शिकायत। जांच के उपरांत कुछ नहीं पाया गया शिकायत झूठा निकला सन 2020।

18. जीएसटी कमिश्नर के यहां शिकायत जांच के उपरांत कोई भी चीज गलत नहीं पाया गया सन 2020।

19. लेबर कमिश्नर के यहां शिकायत विद्यालय में सैकड़ों मजदूर कार्य करते हैं जांच के उपरांत गलत पाया गया। सन 2017।

20. हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन एचईसी प्रबंधन के पास जमीन अवैध रूप से अतिक्रमण करने के लिए शिकायत l जांच के उपरांत झूठा पाया गया सन 2018। कितना लिखूं संख्या ज्यादा है।

21. पुलिस के द्वारा मुझसे ₹5 लाख से ज्यादा की मांग अगर आप नहीं देंगे तो मुकदमा आप के विरोध में कर दिया जाएगा, मैंने नहीं दिया। उल्टा माननीय लोकायुक्त में शिकायत वाद दर्ज कर दी। घटना सच पाई गई जिसके चलते झूठा मुकदमा सच कर दिया गया। सन 2020। इसके अतिरिक्त करीब  40 और झूठे मुकदमे, शिकायत वाद आपराधिक मुकदमे।

दो मुकदमा जिस में विरोधियों को कुछ लाभ प्राप्त हुआ वह इस प्रकार है –

1. महेश तिवारी जी अधिवक्ता के द्वारा झूठा मुकदमा अपने मुवक्किल के लिए। सन 2017। गैरकानूनी रूप से वारंट निकाला गया है, जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी गई है।

2. गैरकानूनी रूप से तथा क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर निबंधन महानिरीक्षक के द्वारा दोबारा निबंधन ना करने के प्रावधान ना होने के बावजूद संस्था निबंधन। महा निबंधक के द्वारा दिए गए गलत आदेश वह जालसाजी पूर्व लिए गए आदेश को उच्च न्यायालय में सन 2020 में रिट याचिका दायर की जा चुकी है। आदेश पारित है, सभी पक्ष उसमें उपस्थित हैं, मामला लंबित है और अंतरिम आदेश विद्यालय के पक्ष में पारित है।

हमारे विद्यालय में शुल्क बहुत कम है अन्य विद्यालयों की अपेक्षा। सुविधा यूं कहूं तो पूरे भारतवर्ष के विद्यालयों से सबसे ज्यादा है।सन 2015 से मैंने ₹1 की शुल्क वृद्धि नहीं की है ‌तीरंदाजी, तलवारबाजी, निशानेबाजी, …ना जाने कितनों प्रकार के मुफ्त प्रशिक्षण। हमारे स्कूल का बैग पाइपर बैंड हर वर्ष गवर्नर हाउस में तथा मुख्यमंत्री को स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस तथा विशेष आयोजनों पर सलामी देने जाता है।

वर्तमान समय में झारखंड का सर्वोत्तम बैंड माना जाता है। इ सब से क्या यह सब तो अच्छी बातें है तो क्या हुआ विद्यालय का नाश करना है। देश में ईमानदारी की कोई महत्व नहीं है। ईमानदारी की कद्र होती तो मुझे इनाम दिया जाता मेरे ऊपर ग़लत तरीके से वारंट नहीं निकाला जाता।

जहां सभी विद्यालयों के पुस्तकों के दाम बढ़ते हैं। मेरे विद्यालय में प्राथमिक खंड में 5000 से मैंने ₹250 तथा उच्च कक्षाओं में 7000 से 1500कर दिए कम कर दिए जो कहीं भी संभव नहीं है। सत्य ही है कि जनता नेता अधिकारी किसी के लिए भी ईमानदारी का कोई महत्व नहीं है।

एक नया शिकायत वाद विद्यालय के लिए – प्रश्न सत्ता पक्ष के विधायक मोहंती जी विधानसभा में उठा रहे हैं। चलिए लगता है एक हजार से ज्यादा शिकायत वाद, झूठा मुकदमा , वांरट,  ना जाने क्या-क्या झेलना है अभी। विद्यालय को भी झेलना है सिर्फ कम खर्च में उत्कृष्ट विद्यालय चलाने का सजा।

सन 2015 में छात्रों की संख्या 935 वर्तमान में 3600 से ज्यादा और आरोप मैंने विद्यालय का सारा पैसा चोरी कर लिया? मेरे पूर्व कर्मचारियों को वेतन मिलता था। सिर्फ 15% महंगाई भत्ता मिलता था 2015 के पहले, जिसे मैंने 85% कर दिया, बहुत से रेगुलर नहीं, कॉन्ट्रैक्ट इंप्लाइज थे, मैंने रेगुलर कर दिया, ग्रेच्युटी लागू कर दी जो पूर्व में लागू नहीं थी, अन्य सुविधाएं भी शुरु में दो बसे थी, स्कूल के पास 2015 तक वर्तमान में मैंने 24 बस कर दिया।

मैंने कहा था अगर लिखना चालू करूंगा तो महाभारत रामायण से बड़ा हो जाएगा । यही है यह सब कहावतें हैं सत्य कभी हारता नहीं सत्य को हराने के लिए सभी लगते हैं लगे रहते हैं जब तक सत्य को हराते नहीं। चलिए देखते हैं आगे सत्य हारता है अथवा असत्य।

और इतना सिर्फ इसलिए कि एक सस्ता और उत्कृष्ट विद्यालय ना चले। इसके पीछे संस्था के विरोधी नहीं लगे रहते हैं बहुत बड़े-बड़े लोग लगे रहते हैं। वास्तव में विद्यालय संचालन आज व्यापार बन चुका है और मैंने बहुत के व्यापार में खलल डाल दिया है सभी एकमत है ताकि व्यापार चले शिक्षा नहीं।

जितना देखते हैं ना अभिभावकों का दोहन, वो दोहन जारी रहे इसके लिए किसी भी सस्ते विद्यालय को पूरे भारतवर्ष में चलने नहीं दिया जाता है यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है। हमारे विरोधी जो मेरे खिलाफ लड़ रहे हैं वह तो सिर्फ चेहरे हैं इसके पीछे बहुत बड़े बड़े लोग होते हैं। चेहरा कोई और और लड़ाई किसी और के लिए हो रही है।

दुख इस बात का है विद्यालय कब्जा करना बड़ा आसान है विद्यालय संचालन करना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है।और विद्यालय कब्जा करके नाश कर देना बहुत ही आसान है जैसा डीएवी धुर्वा, ना जाने कितने विद्यालयों के साथ हुआ।”