अपनी बात

अभिनन्दन करिये अंकित की टीम को, जिसने बंगलुरु से भटक कर कतरास पहुंचे ‘डीन जोन्स’ को उनके घर पहुंचाया

कुछ दिन पहले की बात है। विद्रोही24 को यह खबर मिली, जो बहुत ही संवेदनशील एवं मानवीय मूल्यों पर आधारित थी। बंगलूरु से चलकर डीन जोन्स जहां उन्हें पहुंचना था, वे वहां तक तो नहीं पहुंचे, पर पहुंच गये दो हजार से भी ज्यादा किलोमीटर दूर धनबाद के कतरास, जहां इन्हें पहुंचना ही नहीं था। पता चला बंगलुरु से निकलने पर रास्ते में वे नशाखुरानी गिरोह के शिकार हो गये, जिनसे उनके पास रखी हुई सारे कीमती सामान भी चोरी हो गये।

अंकित बताते है कि जैसे ही ये कतरास पहुंचे, तो राणा जी का उनके पास फोन आया कि एक व्यक्ति भटककर बंगलुरु से कतरास आ चुका है, जल्दी  आइये। उस वक्त शाम के चार बज चुके थे, डीन जोन्स के रिश्तेदारों से संपर्क करने की कोशिश की गई, उनकी बहन ने फोन उठाया, और डीन जोन्स के बारे में सारी बाते बताई, वो बताई कि वो फारेस्ट डिपार्टमेन्ट में एक अधिकारी है।

इसी बीच गुरुकुल के निदेशक रंजीत कुमार से संपर्क किया गया। रंजीत कुमार ने धनबाद से चेन्नई तक का टिकट कटवा दिया ताकि वे फिर चेन्नई से बंगलुरु पहुंच सकें, क्योंकि धनबाद से बंगलुरु की कोई डायरेक्ट ट्रेन नहीं है, एक ही ट्रेन हैं, धनबाद-अल्लापुजा जो चेन्नई होते हुए अल्लापुजा को जाती है, ऐसे में डीन जोन्स के लिए चेन्नई पहुंच जाना, राहत की बात थी। इसी बीच डीन जोन्स एक दिन अंकित की टीम के साथ रहे।

पहले दिन अंकित अपने घर ले गये, और उन्हें अपनी मां के हाथों से बनी चाय पिलवाई व नाश्ता करवाया। सायं समय विवेक कुमार बर्नवाल उन्हें अपने घर ले जाकर सुलवाया, भोजन कराया। दूसरे दिन नये कपड़े देकर उन्हें धनबाद अल्लापुजा के एस-वन बॉगी में बिठा दिया, साथ ही अंकित की टीम ने रास्ते भर के लिए भोजन और पानी का भी प्रबंध कर दिया। अंकित की इस टीम के इस मानवीय भाव को देख डीन जोन्स ने कहा कि वे दुबारा कतरास आयेंगे और सभी से मिलेंगे। अंकित की टीम में शामिल समाजसेवी रंजीत कुमार, चतुर्भुज कुमार, बंटी विश्वकर्मा, सूरज बर्णवाल, अमित बर्णवाल की मुख्य भूमिका रही।