अपनी बात

अभिनन्दन उन युवाओं का, जो कोरोना के इस घातक लहर में अपनी जान की परवाह किये बिना प्रभावितों की सेवा में जी-जान से जुटे हैं

मुझसे कोई पूछे कि भारत कहां रहता हैं, तो मैं इन युवाओं को देख सीधे कह दूं कि भारत इन्हीं के दिलों में रहता है, इन्हीं के दिलों में धड़कता है, इन्हीं के दिलों में सजता-संवरता है। जरा देखिये न, रांची में क्या हो रहा है? एक तरफ वैसे-वैसे बड़े-बड़े प्रशासनिक अधिकारियों व बड़े-बड़े धनाढ्यों के निजी अस्पताल है, जहां एक ही धंधा चल रहा हैं, कि कैसे कोरोना मरीजों के परिवारों की जेबों पर डाका डाला जाये, उनके जेब में जो भी कुछ हैं, निकाल लिया जाय।

वह भी कब? जब इस कोरोना नामक महामारी में, विश्व के सारे देशों के नागरिक त्रस्त हैं, पर इसी समाज में ऐसे भी युवा है, जो अपनी जान की परवाह किये बिना निकल पड़े हैं, वैसे लोगों की सेवा करने के लिए जिन पर किसी का ध्यान नहीं हैं। यहां एक दो सांसदों को छोड़ दें, तो ज्यादातर सांसद व विधायक अपनी-अपनी जान बचाने के लिए अपने घरों में कैद है, पर इन युवाओं को देखिये, वे वहां पहुंच रहे हैं, जहां कोई पहुंच ही नहीं सकता, इसलिए ऐसे युवाओं का तो अभिनन्दन होना ही चाहिए।

देखिये ये हैं राष्ट्रीय युवा शक्ति के लोग, जैसे ही इन्हें पता चला कि घाघरा में जहां कोरोना से प्रभावित शवों को जलाने के लिए उनके परिजन पहुंच रहे हैं, वहां इस भीषण गर्मी में पीने को पानी तक की व्यवस्था ही नहीं हैं, इनसे जो भी कुछ बन पड़ा, वहां पीने की पानी के बोतल की व्यवस्था कर दी, वह भी पंडाल लगाकर, ताकि लोग आराम से यहां बैठ भी सकें, जरा पूछिये तो राज्य के राजनीतिक दलों के उन नेताओं से जो सत्ता का स्वाद चखते हैं, वे कितने ऐसे लोग हैं, जिन्होंने यहां पीने के पानी की व्यवस्था कराई।

अब जरा रांची के ही एक युवा को देखिये नाम रवि अग्रवाल, यह युवा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़ा है, यह ऑटो चालक है, इसने इस कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए, उन कोविड रोगियों को आपातकाल में निः शुल्क अस्पताल पहुंचा रहा हैं, जिस पर किसी का ध्यान नहीं।

रांची में ही भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा एक युवा है सूर्य प्रभात, जिसे पता चला कि लोगों को ऑक्सीजन की सिलिण्डर मिलने में दिक्कत हो रही है, उसने एक-एक सौ रुपये में ऑक्सीजन की सिलिण्डर की व्यवस्था कराना शुरु किया। आखिर यह सब कैसे हुआ, ये प्रेरणा उसे कहां से मिली, कोई तो हैं, जो ऐसे युवा में सेवा के प्राण फूंकता है।

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से ही जुड़ा एक युवा सुजीत उपाध्याय है, जो कोरोना प्रभावित लोगों को मदद करने के लिए आगे निकला है, उसका कहना है कि जिसे भी कोई मदद की आवश्यकता है, वे हमें फोन करें, हमेशा वे उनके लिए उपलब्ध है, इस युवा को हमने देखा है कि जहां भी कही किसी पीड़ित को देखा है, वह उसकी सेवा के लिए दिन-रात एक कर दिया है।

भाजपा के ही सांसद संजय सेठ, युवा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी, और अंकित राजगढ़िया के बारे में तो मैं पूर्व में ही बता व लिख चुका है, कि ये कैसे लोगों की मदद के लिए आगे बढ़ रहे हैं, कुछ मुस्लिम युवाओं को भी देख रहा हूं कि इस रमजान के महीने में जबकि रोजा चल रहा है, भूखे पेट वे कई लोगों को ऑक्सीजन की सिलिण्डर देने के लिए आगे बढ़े हैं, यानी हम कह सकते है कि रांची ही नहीं बल्कि हर जगह के युवाओं ने इस कोरोनाकाल में इंसानियत की वो लकीर खींची है कि आनेवाले समय में लोग इस सेवा भाव को काफी समय तक याद रखेंगे।

आज तो धनबाद के अंकित राजगढ़िया ने बड़ी ही मार्मिक अपील कर दी। उसने कहा कि हो सकता है कि मैं या हम लोगों में से कुछ इस दुनिया में न रहें, कोरोना से मेरी मौत हो जाये, मगर जो बच जाएं, वो एक काम जरुर करियेगा, देश में बेहतर अस्पताल और शिक्षा के लिए जरुर लड़ियेगा। अब जरा सोचिये, कि इस युवा ने इस मार्मिक अपील में कितनी बड़ी बात कह दी। ये वहीं झारखण्ड का पहला युवा है, जिसनें अपनी शरीर को कोविड भैक्सीनेशन के टेस्ट के लिए समर्पित कर दिया था, याद रखियेगा, भूलियेगा नहीं।