कांग्रेस विधायक इरफान अन्सारी ने कहा रिम्स की हालत बद से बदतर
झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था पर जमकर बरसते हुए कांग्रेस के जामताड़ा विधायक डॉ इरफान अंसारी ने कहा कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। रिम्स की हालत बदतर हो चुकी है और यहां आए दिन मरीजों की जान जा रही है और सरकार नई हॉस्पिटल खोलने की बातें कर रही है। रिम्स की स्वास्थ्य व्यवस्था पर विधायक इरफान ने जमकर भड़ास निकाली और बताया कि दो दिन पहले उनके विधानसभा क्षेत्र जामताड़ा के अमोई गांव का 25 वर्षीय ठाकुर मुर्मू सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था और उसे जल्दबाजी में रिम्स में भर्ती कराया गया था।
विधायक इरफान के प्रयास से इलाज भी चालू करा दिया गया परंतु इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई। मृत्यु के दो दिन बीत जाने के बाद भी परिवार वालों को शरीर नहीं सौंपा गया, जिससे परिवार वाले काफी परेशान हो गये और विधायक इरफान को फोन कर बुलाया। खबर मिलते ही इरफान आनन–फानन में रिम्स अस्पताल पहुंचे और मृतक के परिजनों से मिलकर कहा कि अब आप लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। मौके पर विधायक ने मेडिकल सुपरिटेंडेंट को बुलाया और सारी प्रक्रिया को पूरा कर परिवार वालों को बॉडी सौपा और सारी व्यवस्था करा कर जामताड़ा के लिए रवाना हुए।
मौके पर विधायक इरफान ने कहा की लचर व्यवस्था देखकर काफी अफसोस होता है। बात परिवार वालों को बॉडी सौंपने का नहीं है बल्कि ऐसी घटना लोगों के साथ घट रही है, वह अपने आप में ही निंदनीय है। उन्होंने कहा कि वे स्वास्थ्य मंत्री से कहेंगे कि वे सप्ताह में तीन दिन अस्पताल में ही बैठकर यहां की व्यवस्था का जायजा लें, क्योंकि उनके अधिकारी ही उनकी आंखों में धूल झोंक रहे हैं और गलत फीडबैक देने का काम कर रहे हैं।
राज्य के सभी सदर अस्पतालों का हाल किसी से छुपा नहीं हैं, जहां इलाज के नाम पर मरीजों से पैसे ऐंठी जा रही है। अस्पतालों में डॉक्टर की कमी है। अस्पताल सिर्फ औपचारिकता मात्र ही रह गई है और लोगों को बेहतर इलाज के लिए प्राइवेट नर्सिंग होम जाना ही पड़ता है।
इधर झारखंड की भाजपा सरकार झारखंड की स्वास्थ्य सेवा को अव्वल मान रही है तथा जनता की आंखों में धूल झोंक रही है। सरकार को जनता के दर्द का बिल्कुल भी एहसास नहीं हैं। सरकार सिर्फ जनता का खून पीने के लिए बनी है। इस निकम्मी सरकार से यहां की जनता का भला नहीं होने वाला। यह सरकार सिर्फ बड़ी–बड़ी बातें और गरीब जनता की आंखों में धूल झोक सकती है परंतु सच क्या है? वह धरातल पर उतर कर देखने की आवश्यकता है।