PM की यात्रा पर कांग्रेस की टेढ़ी नजर, केएन त्रिपाठी ने कहा तीन सूत्री मांगों पर विचार किये बिना शिलान्यास अनुचित
पांच जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डालटनगंज यात्रा को लेकर, कांग्रेस ने भी अपनी नजरें टेढ़ी कर दी हैं। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता के एन त्रिपाठी ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने यहां की जनता की मांगों का विस्तार से जिक्र किया है। पीएम मोदी को लिखे पत्र में के एन त्रिपाठी ने कहा है कि वे आगामी 5 जनवरी को हजारों परिवारों के साथ 58 किलोमीटर पैदल चलकर, तीन सूत्री मांगों से संबंधित एक ज्ञापन पीएम मोदी को सौपेंगे, क्योंकि बिना उनकी मांगों पर विचार किये, इस पर बिना निर्णय लिये, शिलान्यास कर कार्य प्रारम्भ करना उचित नहीं होगा।
के एन त्रिपाठी ने अपने पत्र में जिन मांगों का जिक्र किया है, वह इस प्रकार है। 1. बेनिफिसियरी कमांड एरिया एवं डीपीआर नये सिरे से निर्धारित की जाय, जिसमें पलामू, गढ़वा, लातेहार एवं चतरा जिले को पानी देने के बाद ही बाद के जिलों को पानी दी जाये। 2. मंडल परियोजना के नीये खपिया तथा अमानत नदी एवं कोयल नदी के संगम पर बराज का निर्माण किया जाय ताकि पलामू एवं गढ़वा को पानी मिल सके। 3. विस्थापित पन्द्रह गांव के 1600 परिवारों को जमीन का पुरा मुआवजा दिया जाये, बसाने के लिए एक कॉलोनी बनाई जाये, जिसमें विस्थापितों को बसाया जाये, उन्हें इस परियोजना में नौकरी दी जाये एवं कुछ गैरमजरुआ जमीन खेती करने के लिए दी जाये।
केएन त्रिपाठी ने कहा है कि मंडल परियोजना वर्ष 1967 के अकाल के बाद पलामू, गढ़वा, लातेहार और चतरा जो सूखाग्रस्त इलाका है, उन्हें पानी देने के लिए बनाया गया था, लेकिन उस समय के लोगों ने इसका बेनिफिसियरी एरिया इन चार जिलों के बाद के जिलों को भी बना दिया। उसके बाद त्तत्कालीन पलामू प्रमंडल के नेताओं ने भीष्म नारायण सिंह की अगुवाई में इसका विरोध किया तो यह कह कर कि ओरगा जलाशय योजना, कनहर जलाशय योजना, तहले जलाशय योजना एवं बटाने जलाशय योजना के द्वारा इन चार जिलों को पानी दी जायेगी, परन्तु अभी भी पलामू प्रमंडल में प्रतिवर्ष सुखाड़ और अकाल की स्थिति है।
अब झारखण्ड अलग राज्य बन चुका है, अतः इन योजनाओं के शिलान्यास के पूर्व नये सिरे से डीपीआर तैयार करना होगा, जहां पर मंडल डैम अवस्थित है, जो गढ़वा एवं लातेहार जिला को जोड़ता हैं, वहां से कैनाल निकालकर गढ़वा, लातेहार एवं चतरा जिले को सिंचित किया जा सकता है, एवं उससे आगे खपिया एवं अमानत नदी एवं कोयल नदी के संगम के पास छोटा बराज बनाकर पलामू के अन्य जिलों को भी सिंचित किया जा सकता है, अतः इसे नये सिरे से डीपीआर एवं बेनिफिसयरी कमांड एरिया को निर्धारित करने की जरुरत है, साथ ही बचा हुआ पानी बाद के जिलों में दिये जाने की जरुरत हैं।
केएन त्रिपाठी का कहना है कि इस परियोजना के लिए जो पन्द्रह गांव आज से 48 साल पहले कागजों पर विस्थापित किये गये थे, वे आज भी वहां अवस्थित है। उन दिनों कुछ हजार रुपये 276 परिवारों को दिये गये थे, परन्तु आज करीब पन्द्रह-सोलह सौ परिवार वहां रह रहे हैं, और उनके पास आजीविका का कोई संसाधन उपलब्ध नहीं है, आज सिर्फ दस या पन्द्रह लाख रुपये देकर उन्हें विस्थापित कराना, उनके विरुद्ध अन्याय होगा, अतः पांच जनवरी को उन हजारों परिवारों के साथ, 58 किलोमीटर पैदल चलकर, ज्ञापन देने के लिए उन तक वे पहुंचेंगे।