मीडिया चैनलों, अखबारों और IAS अधिकारियों द्वारा की जारी रही नियमित चाटुकारिता बेहद शर्मनाक
नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने आज अपने आवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूरे राज्य में राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके भाजपाइयों ने संवैधानिक मर्यादाओं की धज्जियां उड़ाकर रख दी है, विधानसभा के उद्घाटन को भी चुनावी माहौल में रंग दिया और उन सारी बिंदूओं को चोट पहुंचाया, जो विधानसभा की मर्यादाओं को प्रभावित करती है, यहीं कारण रहा कि झामुमो ने आज के विधानसभा की बैठक से खुद को अलग रखा, क्योंकि कल का दिन झारखण्ड के इतिहास में काला दिन था।
उन्होंने यह भी कहा कि कल भीड़ जुटाओ–झूठ फैलाओं कार्यक्रम के नाम पर जो कुछ हुआ वह बेहद शर्मनाक था। कल भाजपा और सरकार में कोई फर्क नहीं दिख रहा था। चुनावी ढोल बजाने की फिराक में आधे–अधूरे भवनों, बंदरगाह, और योजनाओं का उद्घाटन कर दिया गया। क्यूँ, किस बात का डर था भाजपा और रघुवर सरकार को, जो आनन–फानन में यह सब उन्हें करना पड़ा? उन्होंने कहा कि इस बाबत मीडिया चैनलों, अखबारों और IAS अधिकारियों द्वारा की जारी रही नियमित चाटुकारिता बेहद शर्मनाक रही है।
नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने सभी से कहा कि वे लोकतंत्र को तार–तार न करे। उन्होंने मीडिया को कहा कि आप लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं, कृपया आत्मन्थन कर अपनी जिम्मेदारी समझे। लोकतंत्र का वॉचडॉग बनें, सरकार का पेटडॉग नहीं। अन्यथा कहीं ऐसा न हो जाये कि भाजपा की लूटतंत्र से त्रस्त झारखंडी जनता सभी को यह सिखला दे की लोकतंत्र क्या होता है?
उन्होंने इसी बीच राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास से सवालिया लहजे में पूछा कि क्या वे बता सकते है कि क्या सच में विधानसभा पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया? क्योंकि उनके पास सबूत है कि अभी भी विधानसभा को पूरी तरह से तैयार होने में दो से तीन महीने समय लगेंगे। उन्होंने कहा कि आनन–फानन में जो साहेबगंज के बंदरगाह का उद्घाटन करने का प्रोग्राम बनाया गया, क्या ये सही नहीं कि वहां आज भी 181 एकड़ जमीन जो अधिग्रहित करने की बात थी, उनमें से मात्र 63 एकड़ ही जमीन अधिग्रहित हुई और उसमें भी कल के साहेबगंज की हालत यह थी कि वहां विस्थापितों और प्रशासन के बीच गोली बारी होते–होते बची।
क्या कल जो मंच पर जो लोग उपस्थित थे, उन्हें सम्मान मिला, क्या मंच पर उपस्थित लोग बता सकते है कि आखिर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव यहां की मेयर आशा लकड़ा को दो शब्द बोलने तक क्यों नहीं दिया गया, क्या यहीं सम्मान है? हेमन्त सोरेन ने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ मंच साझा करने का तजुर्बा उन्हें भी है, वे जानते है कि पीएम मोदी किस प्रकार से अपने विपक्षियों का मजाक उड़ाते हैं, क्या उन्हें पता नहीं कि विधानसभा में स्पीकर, संसदीय कार्य मंत्री और नेता प्रतिपक्ष का क्या स्थान होता है, और जब वे जानते है तो उन्होंने इस मुद्दे पर क्या किया।
उन्होंने कहा कि क्या ये दुर्भाग्य नहीं कि जिस भाजपा के विधायक ढुलू महतो पर यौन–शोषण का आरोप हैं, वह पीएम मोदी के साथ सेल्फी लेने के लिए इधर से उधर उछल रहा था। उन्होंने कहा कि जिस मुंबई से तुलना साहिबगंज की, की जा रही थी क्या वहीं मुंबई की बिमारी जैसे स्मगलिंग, नशे का बाजार और आदिवासी मां–बहनों के सम्मान के साथ खिलवाड़ का बाजार नही सजेगा? यानी जो बिमारियां महानगरों की थी, वो महानगरों की बिमारी झारखण्ड में नहीं आयेगी? क्या साहिबगंज में बंदरगाह के निर्माण से पहले राज्य के आदिवासी परामर्शदातृ समिति से राय ली गई, यानी आप जो भी मनमानी करें, सब सही हैं, अगर ये पैटर्न चल रहा हैं तो फिर राज्य को बर्बाद होने से कौन रोक सकता है?
उन्होंने कहा कि क्या ये सही नहीं कि कल राज्य के ज्यादातर उपायुक्तों ने स्वयं को भाजपा कार्यकर्ता के रुप में पेश किया, मोदी विद झारखण्ड के साथ जमकर ट्विट किया तथा एक राजनीतिक दल के लिए काम किया, जबकि उन्हें भारत के संविधान और देश के प्रति ज्यादा वफादार रहना चाहिए था, पर उन्होंने ज्यादातर समय भाजपा के कार्यकर्ता के रुप में बिताया, क्या उन्हें पता नहीं कि इसी राज्य में एक ऐसा भी अधिकारी हुआ हैं, जिसे चुनाव आयोग ने राज्य बदर तक घोषित किया हैं, उन्होंने कहा कि वे इस मामले को जल्द ही चुनाव आयोग तक ले जायेंगे और चुनाव आयोग से कहेंगे कि जिस राज्य में उपायुक्त तक भाजपा कार्यकर्ता के रुप में पेश आते हो, वहां चुनाव निष्पक्ष करवाना क्या संभव है?
उन्होंने यह भी कहा कि पूरे राज्य में ट्रैफिक आतंक का बोलबाला हैं, राज्य की जनता पर यहां की पुलिस इस प्रकार टूट पड़ रही हैं, जैसे लगता हो कि वे ही सबसे बड़े गुनहगार हो, जबकि अन्य लोगों पर इनकी कृपा देखते ही बन रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में फिलहाल जो भी कुछ हो रहा हैं, उसमें सभी को सतर्क रहना होगा? नहीं तो स्थिति और बद से बदतर होगी, सभी को समझ लेना चाहिए।
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