CPI-ML ने आदिवासियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये निर्णय के लिए केन्द्र को ठहराया दोषी
भाकपा माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने आज रांची में कहा कि 20 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदिवासियों को वनभूमि से बेदखली का निर्णय भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा आदिवासियों पर एक बड़ा हमला है। दरअसल भाजपा की केंद्र सरकार ने वनक्षेत्र मे रहने वाले आदिवासियों के बचाव में कोई पक्ष ही नहीं रखा। जिस वजह से वनाधिकार कानून रहने के बावजूद सर्वोच्च न्यायालय ने वनक्षेत्र के आदिवासियों की बेदखली का निर्णय सुना दिया।
भाजपा सरकार वनाधिकार कानून के खिलाफ खड़ी रही है, क्योंकि वनजीवों की रक्षा के आवरण मे ये वनक्षेत्र की अकूत प्राकृतिक सम्पदा पर कारपोरेट घरानों का कब्जा चाहती हैं। उड़ीसा, झारखंड, व अन्य प्रदेश मे वनक्षेत्रों मे खनिज भंडार भरे पड़े हैं , जिसपर अडानी–अंबानियों की गिद्ध दृष्टि है। केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा बेदखली के पक्ष मे निभाई गई यह भूमिका अदिवासियों को न सिर्फ बनभूमि से उजाड़ देगा, बल्कि भारत की भूमि से आदिवासियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय का 20 फरवरी 2019 के निर्णय से आदिवासियों की 11 लाख से भी आधिक परिवार स्वत: जमीन से बेदखल होकर उजड़ जाएंगे, इसीलिए केंद्र सरकार सर्वोच्य न्यायालय के आदिवासियों को उजाड़ देने के इस निर्णय के खिलाफ एक याचिका दायर करे, अन्यथा इस जनविरोधी निर्णय के खिलाफ आदिवासी जनता बगाबत की तेवर में सड़कों की लड़ाई में उतरने को वाध्य होगी और इसकी सारी जवाबदेही केंद्र सरकार पर होगी।