अपनी बात

निरंजन राय के समर्थन में सड़कों पर उतरा जनसैलाब, धनवार से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बाबूलाल मरांडी के करीबी निरंजन ने नामांकन पत्र किया दाखिल, राजनीतिक पंडितों का अनुमान मरांडी का जीत पाना अब मुश्किल

आज का दिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और पूरी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है। बाबूलाल मरांडी ने आज धनवार विधानसभा सीट से नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। लेकिन जो भीड़ बाबूलाल मरांडी के नामांकन पत्र दाखिल करने के समय दीखनी चाहिए थी। वो नहीं दिखी। आश्चर्य है कि यह भीड़ न तो बाबूलाल मरांडी के सोशल साइट पर दिखी और न ही भाजपा झारखण्ड के सोशल साइट पर दिखी। जो आज चर्चा का विषय भी बना रहा।

उधर आज के ही दिन बाबूलाल मरांडी के कभी खासमखास रहे निरंजन राय जब नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचे, तो उनके साथ जनसैलाब दिखा। वे जिधर से भी गुजरे। लोगों ने उनका अभिवादन किया। अभिनन्दन किया। राजनीतिक पंडित कहते हैं कि बाबूलाल मरांडी के नामांकन पत्र दाखिल भरने के समय भीड़ रहेगी भी तो कैसे? क्योंकि जो बाबूलाल मरांडी के लिए भीड़ लाते थे या जो उनके पास होते थे। वे सभी आज तो निरंजन राय के साथ थे।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो आज की निरंजन राय के नामांकन पत्र दाखिल करने के समय उनके साथ आई भीड़, उसका जोश, उसका उमंग-उत्साह सब कुछ कह दे रहा था कि यहां अब क्या परिणाम आनेवाला है। राजनीतिक पंडित तो अब साफ कह दे रहे है कि यहां का रिजल्ट अब साफ है। बाबूलाल मरांडी के जीत पर आज निरंजन राय ने प्रश्न चिह्न खड़ा कर दिया है। आज की निरंजन राय के साथ आई भीड़ निश्चय ही भाजपाइयों और बाबूलाल मरांडी की नींद उड़ा देनेवाली तथा बाबूलाल मरांडी के विरोधियों के बीच हर्ष की लहर दौड़ा देनेवाली है।

निरंजन राय के समर्थक आज पूरी तैयारी से आये थे। कमाल है इनलोगों ने बड़ी जल्दी गाने भी तैयार कर लिये थे। गाने के बोल थे – ‘कोई के बात में न अइह हो, विजय के माला पहिरइह हो, निरंजन भइया के जितइह हो, निरंजन भइया के …।’ गीत-संगीत पर थिरकते युवा अपने प्रत्याशी निरंजन राय का जोश बढ़ा रहे थे। इसमें नारे भी लग रहे थे। नारे के बोल थे – कोई नहीं हैं टक्कर में, क्यों पड़े हो चक्कर में। सबको देखा बार-बार, निरंजन भइया है इस बार। अपना नेता कैसा हो, निरंजन भइया जैसा हो। देखो-देखो कौन आया, शेर आया, शेर आया।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो निरंजन राय को समझाने-बुझाने के लिए भाजपा के कई बड़े नेता आये। लेकिन वे नहीं माने। उसका मूल कारण देवी मंदिर के समक्ष लिया गया, वो संकल्प था, जिसमें उन्होंने और उनके लोगों ने संकल्प लिया था कि कुछ भी हो जाये, वे इस बार नहीं मानेंगे, चुनाव लड़ेंगे और गांव-कस्बे तथा उनके समुदाय के लोग इस बार निरंजन राय को जीताने में मदद करेंगे।

राजनीतिक पंडित ये भी कहते हैं कि भूमिहार समुदाय हमेशा से बाबूलाल मरांडी को वोट करता रहा हैं। जिसके बल पर बाबूलाल मरांडी और भाजपा यहां से जीतती रही हैं। लेकिन इस बार खुद निरंजन राय चुनाव लड़ रहे हैं तो स्थिति स्पष्ट है कि भूमिहार समुदाय के लोग इस बार निरंजन राय को ही वोट देंगे और अगर ऐसा हो गया, जैसा कि दिख भी रहा हैं तो रिजल्ट समझ लीजिये। वहीं होगा, जो 2014 में हुआ था। झाविमो के टिकट पर कई लोग चुनाव जीत तो गये। लेकिन बाबूलाल मरांडी खुद ही यह सीट गवां बैठे थे।

राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि भाजपा के दिग्गज यह समझे थे कि वे रवीन्द्र राय को कार्यकारी अध्यक्ष बना देंगे तो धनवार के लोग बाबूलाल मरांडी या भाजपा के पक्ष में आ जायेंगे या निरंजन राय को वे मना लेंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि रवीन्द्र राय का कोई पकड़ यहां नहीं हैं और न ही लोग रवीन्द्र राय को अब वो सम्मान ही देते हैं। अब रवीन्द्र राय को सभी जान चुके है कि उन्हें सिर्फ अपने पद और प्रतिष्ठा से मतलब है। इसलिए अब यहां के लोग रवीन्द्र राय को भी सुनने नहीं जा रहे। स्थिति स्पष्ट है कि निरंजन राय ने नामांकन पत्र दाखिल कर, प्रदेश से लेकर दिल्ली तक के भाजपा के दिग्गजों को इस बार हाथ-पांव फूला दिये हैं। वो भी ऐसा हाथ-पांव फूला दिये हैं, जिसका फिलहाल कोई इलाज नहीं हैं।

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