अपनी बात

दैनिक भास्कर को उन ज्योतिषियों से पूछना चाहिए था कि जब बृहस्पति मेष, राहु मीन व शनि मूल त्रिकोण राशि, मंगल वृश्चिक राशि में था, तो ऐसे में भारत आस्ट्रेलिया से क्रिकेट में हार कैसे गया?

जिस दिन क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल था। ठीक उसी दिन दैनिक भास्कर के जोधपुर संस्करण ने एक खबर छापी थी। खबर की सब हेडिंग थी – वर्ल्ड कप फाइनल आज * कप्तान रोहित शर्मा की तुला राशि में गजकेसरी योग जीत का बजाएगा डंका, जबकि हेडिंग थी – टीम इंडिया विजयी भवः … ज्योतिष बोले – बृहस्पति मेष, राहु मीन व शनि मूल त्रिकोण राशि में, मंगल भी वृश्चिक राशि में, भारत इसलिए मजबूत।

खबर – कम्यूनिटी रिपोर्टर की थी और ये खबर जोधपुर डेडलाइन से प्रस्तुत की गई थी। नतीजा क्या निकला, ये आप सब को मालूम होगा। भारत की हार हुई, आस्ट्रेलिया जीत गया पर न तो दैनिक भास्कर और न ही इनके संवाददाता और न उन ज्योतिषियों को शर्म महसूस हुई, जिन्होंने झूठी खबरें छापकर अपने पाठकों के मन-मस्तिष्क को बुरी तरह प्रभावित किया।

आप तमाम पाठकों को मालूम होगा, कि जब भी क्रिकेट या अन्य खेलों से संबंधित फाइनल मैच अथवा राजनीतिक उठा-पटकों से संबंधित चुनाव होते हैं तो ऐसे में कई ज्योतिष अपने-अपने तरीके से खेलों के परिणाम व चुनावों के परिणाम के बारे में भविष्यवाणी करते हैं। कभी-कभी ये भविष्यवाणियों सही भी हो जाती है और कभी-कभी ये गलत।

ऐसे भी अगर ध्यान दें तो किसी भी फाइनल में दो ही प्रतिद्वंदी होते हैं, कही भी दस प्रतिद्वंदी नहीं होते, ऐसे में एक हारेगा ही और एक जीतेगा ही। इस प्रकार के मैचों या चुनाव परिणामों में अगर दस मूर्खों में से एक भी मूर्ख कुछ बोल देगा तो उस मूर्ख की भी भविष्यवाणियां कभी न कभी सही हो ही जायेगी। इसमें कोई किन्तु-परन्तु की बात भी नहीं। लेकिन अखबारों के द्वारा इस प्रकार के भविष्यवाणियों का महिमामंडन अथवा उन्हें अपने अखबारों में स्थान देना, आखिर क्या बताता है?

जब अखबार के कम्यूनिटी रिपोर्टर ने ऐसे ज्योतिषियों को लेकर फाइनल के दिन इस प्रकार की थोथी बातें छापी तो क्या उसके दूसरे दिन इन ज्योतिषियों के थोथी भविष्यवाणियों का ऑपरेशन नहीं करना चाहिये था? क्या कम्यूनिटी रिपोर्टर को फिर से उन ज्योतिषियों के पास नहीं जाना चाहिये था और नहीं पूछनी चाहिये थी कि आखिर उनकी भविष्यवाणियां कैसे गलत हो गई, वो भी तब जबकि उनके अनुसार बृहस्पति मेष, राहु मीन व शनि मूल त्रिकोण राशि में, मंगल भी वृश्चिक राशि में और भारत उनके अनुसार मजबूत भी था।

तो ऐसे में आस्ट्रेलिया कैसे बाजी मार लिया गया, क्या अचानक आस्ट्रेलिया के ज्योतिषियों ने इन सारे ग्रहों को अपने वश में करके आस्ट्रेलिया को जीत दिला दी? रोहित शर्मा की तुला राशि में जो गजकेसरी योग था, उस गजकेसरी योग की हवा कैसे निकल गई? दरअसल ऐसे ही ज्योतिषी और ऐसे ही अखबार भारतीयों के दिमाग की दही बना देते है।

रही बात विजयी भवः की तो ये अखबारवाले संस्कृत भाषा का भी बंटाधार करके ही रहेंगे। कई बार इन्हें कहा गया कि विजयी भवः के भव में विसर्ग नहीं होता, फिर भी ये जान बूझकर विसर्ग लगाकर अपने पाठकों के दिमाग का दही बना दे रहे हैं। पता नहीं, इनके संपादक कौन से विश्वविद्यालय की डिग्री लेकर, संपादक के पद पर पहुंच जाते हैं, जो बार-बार गलती कर एक रिकार्ड बनाने में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं?

अंततः अखबार के पाठकों से अपील कभी भी इन अखबारों व ज्योतिषियों के चक्कर में नहीं पड़ें, अगर आप इनके चक्कर में पड़ेंगे तो निश्चय ही आप अपने मन-मस्तिष्क को दूषित करेंगे, जिससे आपका जन-जीवन प्रभावित होगा। अखबारों को सिर्फ मनोरंजन के लिए लें या अन्य उपयोग में लाये, इससे कभी भी ज्ञानवर्द्धन के रुप में न लें।