अपनी बात

दैनिक जागरण ने अपने पाठकों को दिया धोखा, शुरु की गलत परम्परा, CM हेमन्त के प्रेस कांफ्रेस को साक्षात्कार के रुप में किया पेश

दैनिक जागरण ने अपने पाठकों को खूलेआम धोखा देकर, एक नई परम्परा की शुरुआत कर दी। राज्य के सीएम हेमन्त सोरेन की प्रेस कांफ्रेस को साक्षात्कार के रुप में जनता के सामने पेश कर, एक तरह से जनता के साथ धोखाधड़ी भी कर दी। बुद्धिजीवियों की मानें तो ये शत् प्रतिशत फ्राडिज्म है और इससे हर अखबार को बचना चाहिए, क्योंकि जनता अखबारों पर विश्वास करती है, अगर अखबार इस प्रकार का जनता के साथ षडयंत्र करेंगे तो दिक्कतें आयेंगी।

दैनिक जागरण के 29 दिसम्बर के अखबार का कटिंग, भाग-1

सच्चाई यह है कि 28 दिसम्बर को मुख्यमंत्री आवास में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हिन्दुस्तान, प्रभात खबर आदि अखबारों के पत्रकारों को आमंत्रित किया गया था। जहां सीएम हेमन्त सोरेन ने समयाभाव के कारण सभी प्रिंट मीडिया से जुड़े पत्रकारों को एक साथ प्रेस कांफ्रेस के रुप में संबोधित किया था।

दैनिक जागरण के 29 दिसम्बर के अखबार का कटिंग, भाग-2

दूसरे दिन यानी 29 दिसम्बर को दैनिक जागरण छोड़कर सभी अखबारों ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से जुड़ी खबरों को प्रेस कांफ्रेस के तौर पर ही जनता के समक्ष पेश किया, पर दैनिक जागरण ने पूरे समाचार को साक्षात्कार के रुप में पेश कर दिया, जो इन दिनों समाचार जगत् में चर्चा का विषय बन गया है। कई पत्रकारों/बुद्धिजीवियों ने तो दैनिक जागरण के इस कार्य पर कड़ी टिप्पणी करते हुए, इसे फ्रॉडिज्म तक कह डाला।

प्रभात खबर के अखबार का कटिंग, जिसने समाचार को प्रेस कांफ्रेस के रुप में पेश किया

कई अखबारों के संपादकों ने तो अपने संवाददाताओं की क्लास तक ले ली, यह कहकर कि दैनिक जागरण को सीएम हेमन्त सोरेन ने इंटरव्यू दिया और आप सभी इस इंटरव्यू से वंचित रहे, जो शर्मनाक है, पर जब उन क्रुद्ध संपादकों को दैनिक जागरण में इंटरव्यू के रुप में छपे उक्त समाचार को स्वयं के अखबार में कार्यरत संवाददाता के समाचार से मिलाया तो यह समझते देर नहीं लगी कि दैनिक जागरण ने सीएम हेमन्त सोरेन के प्रेस कांफ्रेस को किस प्रकार चालाकी से इंटरव्यू के रुप में पेश कर, फ्रॉडिज्म को बढ़ावा दे दिया।

सूत्र बताते है कि बातचीत सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग तक गई, और सच यही निकला कि मुख्यमंत्री ने उक्त दिन किसी भी प्रिंट मीडिया को अलग से साक्षात्कार नहीं दिया, बल्कि वहां प्रेस कांफ्रेस ही थी, क्योंकि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के पास उस दिन समय का अभाव था। अब सवाल उठता है कि अगर कोई प्रेस कांफ्रेस को इंटरव्यू की शक्ल दे दें, तो ये उसकी समस्या है, न कि मुख्यमंत्री अथवा विभाग की और ऐसा करने से यह भी नहीं कि मुख्यमंत्री उक्त अखबार पर फिदा हो जायेंगे और उसे कोई विशेष उपहार मिल जायेगा।

जो लोग राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को जानते हैं, वे यह भी जानते है कि उनके उपर कभी-भी, किसी की फ्रॉडिज्म असर नहीं दिखाती और न ही उन्हें इस प्रकार की हरकतें पसन्द हैं, वे तो इसके अंदर छुपी कलाकारी को भलीभांति समझ लेते हैं कि आखिर प्रेस कांफ्रेस को इंटरव्यू को शक्ल क्यों दे दिया गया? बुद्धिजीवियों की मानें तो जिस चाहत में प्रेस कांफ्रेस को दैनिक जागरण ने इंटरव्यू का शक्ल दिया है, वो चाहत शायद दैनिक जागरण को फिलहाल पूरी नहीं होने जा रही हैं, क्योंकि राज्य में अब रघुवर सरकार नहीं, हेमन्त सरकार है।