झारखण्ड की जनता का फैसला, गोड्डा में फिर से निशिकांत, दुमका व राजमहल सीट पर झामुमो की बल्ले-बल्ले, लोकसभा चुनाव झामुमो के लिए जीत तो भाजपा और कांग्रेस के लिए चेतावनी भी
सातवें चरण का अंतिम मतदान भी संपन्न हो गया। सभी सीटों पर शांतिपूर्ण मतदान संपन्न हुए हैं। झारखण्ड की प्रतिष्ठा वाली सीट दुमका पर झामुमो फिर से कब्जा करने की तैयारी में हैं। जबकि राजमहल हमेशा की तरह इस बार भी झामुमो का साथ दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर निशिकांत दूबे चौथी बार संसद पहुंचने जा रहे हैं। जनता ने निर्णायक वोट सभी विजय होनेवाले प्रत्याशियों को थमा दिया है। चार जून को औपचारिकता मात्र बाकी है।
लगता है जनता ने एक तरह से इन तीनों सीटों पर पहले से ही फैसला कर लिया था कि करना क्या है? और जनता ने वहीं किया भी। सीता सोरेन जो सोच रही थी कि भाजपा के टिकट पर दुमका सीट जीत लेंगी, जनता ने उन्हें निराश किया है। जनता आज भी झामुमो के साथ है। कल्पना सोरेन के साथ है। शिबू सोरेन के साथ है। जिन राजनीतिक पंडितों को लगता था कि झामुमो से बगावत करने के बाद भाजपा में शामिल होकर सीता सोरेन मजबूत हुई है। उन राजनीतिक पंडितों को भी आज निराशा ही हाथ लगी है।
उधर राजमहल में एक बार फिर विजय हांसदा चुनाव जीतने जा रहे हैं। जनता ने उन्हें फिर से एक तरह से अपना प्रतिनिधि चुन लिया है। भारी भरकम मतदान और जनता के बीच विजय हांसदा की लोकप्रियता तथा कल्पना सोरेन की लगातार इन क्षेत्रों में की गई मीटिंग जीत का कारण बनी है। राजमहल और दुमका में झामुमो की बड़ी जीत निश्चय ही इसका श्रेय कल्पना सोरेन को जायेगा।
हेमन्त सोरेन के जेल में रहने के बावजूद इन दोनों सीटों पर विजय प्राप्त करवाने में आगे रहना कोई साधारण बात नहीं थी। ऐसे भी जनता की डिमांड भी सर्वाधिक अगर झामुमो में किसी नेता का था, तो वो कल्पना सोरेन ही थी। जनता भी उनकी बातों को सुनने में खुब दिलचस्पी दिखाई और उनकी बातों को स्वीकार करते हुए झामुमो को अपना पार्टी दिल से स्वीकार किया।
इधर गोड्डा में निशिकांत दूबे की नैया पार लग गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कृपा से वे चौथी बार दिल्ली के संसद में दिखेंगे। जनता ने उनकी ओर भारी मतदान कर, उनके विरोधियों के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव को इस बार भी निराशा ही हाथ लगेगी। कुल मिलाकर देखा जाये तो झारखण्ड में सर्वाधिक नुकसान अगर इंडिया गठबंधन में किसी को मिल रहा है तो वो कांग्रेस है।
इसने प्रत्याशी ही ऐसे खड़े किये, जो हारने के लिए ही बनाये गये थे। रांची में यशस्विनी सिन्हा और गोड्डा में अचानकर दीपिका पांडेय को हटाकर प्रदीप यादव को टिकट थमा देना उनमें से एक सुंदर उदाहरण है। झामुमो ने इस बार बेहतर प्रदर्शन किया है। अपने नेता हेमन्त सोरेन के ऐन मौके पर जेल में जाने के बाद भी झामुमो का अच्छा प्रदर्शन ये बताता है कि जनता उसे आज भी उसी प्रकार चाह रही हैं, जैसा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में था। भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव चेतावनी लेकर भी आया है। अगर नही सुधरी तो फिर विधानसभा में झाल बजाने के लिए फिर से तैयार रहे।