CMO के अजय नाथ झा पर वित्तीय अनियमितता का आरोप, विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ
और आखिर वहीं हुआ, जिसका अंदेशा पूर्व में ही विद्रोही 24. कॉम ने जताया था। मुख्यमंत्री कार्यालय में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के उप निदेशक के पद पर कार्यरत अजय नाथ झा के खिलाफ विभागीय कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई। अजय नाथ झा पर वित्तीय अनियमितता का आरोप है। वित्तीय अनियमितता के आरोप पाये जाने पर सीएम रघुवर दास ने भी इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही प्रारंभ करने की अनुमति दे दी है।
बताया जाता है अजय नाथ झा, दुमका में उप निदेशक पद पर रहते हुए निकाली गई झांकी के भुगतान में गड़बड़ी की थी। इस पूरे प्रकरण पर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के उप सचिव मनोज कुमार को संचालन पदाधिकारी और अमरेश कुमार को उपस्थापन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है। अजय नाथ झा को इस पूरे प्रकरण पर अपना पक्ष रखने को कहा गया है। इसके लिए उन्हें नोटिस भी जारी कर दिया गया।
बताया जाता है कि दुमका में गणतंत्र दिवस के अवसर पर झांकी बनाई गई थी। जिसकी लागत साढ़े तीन लाख रुपये थी। कुछ गड़बड़ियों को देखने के कारण ट्रेजरी ने इसका भुगतान करने पर रोक लगा दिया था। इसके बाद अजय नाथ झा ने उस फंड को जिला सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी के यहां अपने स्तर से ही स्थानांतिरत कर दिया और एक बजट सब हेड खोलकर उसका भुगतान करा दिया। भुगतान के बाद यह बजट से ज्यादा हो गया।
महालेखाकार ने इसकी सूचना वित्त विभाग को दी। वित्त विभाग ने इसे सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को स्थानांतरित कर दिया। इसके बाद आइपीआरडी ने अजय नाथ झा से स्पष्टीकरण मांगा। बताया जाता है कि अजय नाथ झा के द्वारा दिये गये जवाब से असंतोष प्रकट करते हुए विभाग ने वित्त विभाग से सलाह मांगी। वित्त विभाग ने फंड ट्रांसफर और अलग बजट हेड खोलने को वित्तीय गड़बड़ी बता दिया, और इस प्रकार अजय नाथ झा के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
अजय नाथ झा केवल इसी मामले में गड़बड़ी नहीं किये है। एक और मामला इन पर चल रहा है। इन पर 16 साल पहले भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनके खिलाफ दिल्ली के चाणक्यपुरी थाने में सरकारी राशि के गबन का केस दर्ज है। राज्य सरकार द्वारा जैसे ही, हाल ही में इन्हें आइएएस में प्रमोशन के लिए यूपीएससी को नाम भेजा गया, तभी इनके खिलाफ किसी ने यूपीएससी को पत्र भेजकर इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने की बात बताई। यूपीएससी ने इससे संबंधित जवाब जानने के लिए मुख्य सचिव को पत्र प्रेषित किया था। इसके बाद यूपीएससी ने इंटरव्यू की तिथि ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।
सूत्र बताते है कि जैसे ही यूपीएससी ने मुख्य सचिव से अजय नाथ झा के बारे में सूचनाएं मांगी। मुख्य सचिव ने उक्त पत्र को कार्मिक विभाग एवं आइपीआरडी को भेज दिया। आइपीआरडी ने दिल्ली की प्राथमिकी के बारे में अनभिज्ञता जताई, जिस पर कार्मिक विभाग का कहना था कि वह आइपीआरडी के इस जवाब से संतुष्ट नहीं है, कृपया इस पूरे मामले की विस्तृत जांच कराकर, इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, कार्मिक विभाग को जानकारी उपलब्ध करायें।
बताया जाता है कि अजय नाथ झा पर राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा का वरद्हस्त प्राप्त है। राजबाला वर्मा ने ही अजय नाथ झा को दुमका से रांची स्थानांतरित कराते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थापित कराया था, जबकि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार से परामर्श तक नहीं ली गई और न ही उनकी बात सुनी गई। अजय नाथ झा के खिलाफ हाल ही में एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था, जिसे सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने जारी किया था। प्रधान सचिव संजय कुमार का कहना था कि अजय नाथ झा ने वैसी खबर प्रकाशित करा दी थी, जिन बातों को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा ही नहीं था। यह मामला रांची व जमशेदपुर के नो इंट्री से संबंधित था। अजय नाथ झा पर विभागीय कार्यवाही संभवतः सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग झारखण्ड की इतिहास में पहली घटना हैं। सूत्र बताते हैं कि आज तक किसी भी अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही की बात न तो की गई थी और न हुई।